जीवन यकीनन बहुत सरल हैं ,यदि मन में रोमांच खुशी व उत्साह हों तो जीवन के रहस्य परत दर परत खुलने लगते हैं …इसलिए बच्चों की तरह उत्सुक बनना होंगा |
हमारा कार्य हमीं से शुरू होता हैं |हमारी दृष्टि खुशियो पर ही होनी चाहिए |आनंद ,उत्साह ,उमंग पर ही होनी चाहिए |हम जो खोंजेंगे वही पायेंगे |जैसा देखेंगे वों ही पायेंगे |सब कुछ हमारे हाथ में ही हैं |
दृष्टि कों सकारात्मक रखने के प्रयत्न से ,चीजों कों सही नजरिये से देखने के प्रयत्न से ..यह हमारे स्वाभाव का मूल गुण बन जायेंगा |फिर तो खुशियाँ ही रहेंगी ...आनंद ही रहेंगा |
बालपन की Empowering मान्यताओं को अपने भीतर हमे
लगातार पोषित करते रहना चाहिए |क्यूंकि बड़े होने के साथ साथ अपने सपनो पर
सीमाओं[LIMITATIONS] का कुहाशा बढ़ने लगता हैं ,विश्वास रखें हर लक्ष्य हम प् सकते
हैं |
प्रार्थना जब खुद के लिए की जाती हैं तो बहुत सकारात्मक असर डालती हैं ,जब अपने लोगों के लिए की जाती हैं..तो और असरदार हों जाती हैं… यदि अज्ञात लोगों के लिए कि जाती हैं तो इसका असर बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली हों जाता हैं |
हृदय से निकली एक साधारण प्रार्थना बड़ी से बड़ी बाधाओं को दूर कर सकती हैं ,आस्था रखिये |
अपना एक मेमोरी अकाउंट खोल लीजिए |
खुशी के पलों
कों लगातार जमा करते जाईये |
परेशानी और कष्टों
कों लगातार निकलते रहिये |
धीरे धीरे खुशिया
बढती जायेंगी ........और दुःख घटते घटते कम होते जायेंगे |जब
भी वक्त मिले हमे अपनी खूबसूरत जिंदगी की सौगातों कों याद कर लिया कीजिये ....
हमारा तो स्वाभाव
हीं प्रेम हैं,दुखी होना,क्रोधित होना हमारा
स्वाभाव नही हैं |जीवन में ऐसी बातें हों जाती हैं की क्रोध आ जाता हैं ,दुःख
हों जाता हैं उस पर से अपना फोकस /ध्यान हटा देना हैं |जैसे
क्रोध या दुःख आया हैं वैसे ही चला भी जायेंगा |आनंद
ही स्थायी हैं |खुश रहना ही स्थायी भाव हैं |फिर
हम दुखो में क्यों जिए????
,,,आनंद उठाये |अपने
हृदय के बंद दरवाजों,
खिडकियोंको खोलिये…..उल्लास
मनाएं तथा खुशियाँ बिखेरें …उत्सव मनाये |उत्सवधर्मी
प्रकृति का होना आज के समय कि डिमांड हैं |अगर
गाने का मन हैं तो गाईये |जी
भर गाइये ,गाने के सुर ताल-लय ,ढंग पर न जाइये |नाचने
का मन कर रहा हैं तो नाचिए|अरे !नाच ही लीजिए |नाचने की स्टाईल पर
मत जाइये |हसने की इच्छा हैं तो खुलकर हँसिये |किसी
की परवाह न करिये|खुलकर
जीयें |पूरी आज़ादी से विना किसी दबाव के जियें |मिलेंगा जितना आप सोंच सकते हैं ,सब मिलेंगा |अपने पैर फैलाईये ,चादर खुद ब खुद फैलेंगी | ज्यादा की अपेक्षा लालच नही हैं ,यह दुनिया को अपने मुट्ठी में भर लेने कि आकांक्षा हैं ,चुनौती स्वीकार करे ,ज्यादा की अपेक्षा कीजिये |जिंदगी आसान हैं |
दूसरों कों
खुशी देखकर हमे भी अपनी खुशियों कों बढ़ाना हैं |दूसरों के दुःख देखकर हमे अपना दुःख कम करना हैं |जीवन परिवर्तन शील हैं |जो कल था ,आज नही हैं |जो आज हैं ,कल नही रहेंगा |अपना कर्म ही समस्त सुखो का आधार हैं |अपने कर्तव्य के पालन द्वारा ही हम
शांत -चित्त बने रह सकेंगे |
सपने संजोये
…क्यूंकि …..
सपने हर हाल में
पुरे होंगे हीं…संकल्प कि नीव पर जो टिके हैं,मेहनत
के विश्वास और असीम हिम्मत पर आधारित हैं जो
………..अनंत तक पहुचने का प्रयास कीजिये |केवल
एक बच्चा ही बेहिचक और अनजाने में कुछ भी कर सकता हैं,बच्चे जैसी डेयरिंग कीजिये |
आप असीम हैं ,अनंत हैं |इस ब्रम्हांड की सीमा से भी बड़ी आपकी सीमा हैं ,झूठे विश्वास लिमिटेसंस कों तोडिये |आजाद होईये |
आगे बढते रहना हैं, चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यूँ न हों ….चाहे जितने व्यवधान आये ,चाहे जितने संकट आये ……संघर्ष ही हमे मजबूत बनाएंगा…..रचना करें ऐसी परिस्थितियो का जो हौंसला दे किसी भी विषमता में …
बचपन में चंद पंक्तियाँ सुनी थी -
समर में घाव खाता हैं ,
उसी का मान होता हैं .
छिपी उस वेदना में …
अमर वरदान होता हैं |
सृजन में चोट खाता हैं
छेनी और हथौरी से
व्ही पाषाण कहीं मंदिर में ..
भगवान होता हैं ..
खुद पर विश्वास रखना हैं क्यूंकि ……………..
खुद पर विश्वास
रखना हैं क्यूंकि ……………..
जीवन में
हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती हैं | हैं न |
मुहम्मद
अली बोक्सर के बारे में मैंने सुना हैं की ,वे अपने हर मुक्के के साथ बोलते थे "I'M GETTING BETTER AND BETTER".
कोई कार्य
असम्भव {IMPOSSIBLE}सिर्फ इसलिए होता हैं की इससे पहले कोई उसपर कोशिश हीं
नही किया होता |आप और हम... आईये ...हर असंभव कों संभव बनाये ,नई परिभाषाये गठित करें |
हर विजेता , सिर्फ जीत पर ध्यान रखते हैं ,और जिस चीज पर हम ध्यान रखते हैं उर्जा उसी की दिशा में
बहती हैं |
मैं पहले
ही लिख चूका हूँ ,और दुहरा रहा हूँ की हम मानव लोग ,आत्मिक जीव हैं ,जो एक महान
उद्देश्य के लिए इस पृथ्वी पर आये हुए हैं|
जब आप योग्यता रखते हैं तो सफलता के शिखर को क्यूँ नही छूते ….क्या रोक रहा हैं? भीतर से….. ,पकड़िये और निकाल फेकियें …..क्यूंकि हम सभी सिर्फ सफल होने के लिए ही पैदा हुए हैं |उड़ान भरें |
किसी शायर ने ठीक ही कहा हैं-
- वही है जिन्दा ,जिसकी आस जिन्दा है,
वही है जिन्दा ,जिसकी प्यास जिन्दा है,
श्वास लेने का नाम ही जिंदगी नहीं,
जिन्दा वही है ,जिसका 'विश्वास'जिन्दा है!
मुस्कुराएं ! दुनियां में इसकी बराबरी करने वाली
कोई चीज हैं क्या ????आओ खुश रहें ..जो भी करें उसमे खुशी खोजिये .आनंद खोजिये
|
जरा महसूस कीजिये ..आपने बचपन कों,बचपन के आनंद को|
एक कहावत हैं "Happiness is more a state of health than of wealth"
प्रेम कोई सीमा नही बांधता ,कोई बंधन नही मानता
,जाति धर्म सम्प्रदाय …इंसान जानवर जैसी हर सीमा से मुक्त होता हैं …इसके साथ कोई
शर्ते नही जुड़ी होती हैं |
वैसे ..राम चरित मानस में तुलसी जी कहते हैं - "शुद्ध प्रेम ” ( अनन्य ) से मनुष्य के ऊपर जैसी कृपा ईश्वर की होती है , वैसी कृपा किसी भी प्रकार के योग ,जप , दान , तपस्या , विभिन्न प्रकार के यज्न /यग्य , व्रत और नियम करने से नहीं होती . ”प्रेम-मय हों जाए-
जीवन में एक क्षण भी खुशियों का न जाने पाए …कल किसको जीना हैं भला ..बस आज आओ उत्सव मनाये …
कभी हार नही मानना हैं …….हम सब हैं विजेता ……SUCCESS का SOFTWARE सबके भीतर इंस्टाल हैं ,बस इस्तेमाल करना हैं ……
सभी का अभिवादन !
जय हिंद ,वन्देमातरम !
-डॉ अजय की प्रस्तुति |
{कुछ चित्र -गूगल/फेसबुक से साभार}