...
हम अपने भाग्य के निर्माता हैं,जो कार्य हमारे सामने हैं ,वह हमारी शक्ति से परे नही हैं तथा इसको पूरा करने के लिए जो कष्ट सहना पडेंगा,वह भी हमारी सहन शक्ति से अधिक नही हैं और जब तक हमे अपने जीवन प्रयोजन और जीतने की अजेय इच्छाशक्ति पर विश्वास हैं,कोई भी सफलता हमसे अधिक दूर नही रह सकती |{ winston churchill}
27 October 2012
रहस्य:व्यक्तिगत कायाकल्प का भाग –२
रहस्य:व्यक्तिगत कायाकल्प का भाग –२
बुल्गारिया के मनोवैज्ञानिक लोजनोव दुनिया भर से मिलने वाले super learning के उदाहरणों से हैरान थे,उन्होंने देखा की मुस्लिम विश्वविद्यालायो में प्रवेश से पहले मुस्लिम छात्रों को पूरा कुरान याद हों जाता था ,भारतीय गुरुकुलो के छात्रों को पूरी गीता और रामायण याद हों जाती थी |
भारत के कई धर्मों/पंथो में लिखित धर्मग्रन्थ या सामग्री नही हैं |इन पंथो के गुरू और अनुनायी अपना ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक मौखिक रूप से पहुचाते रहें हैं ,
लोजनोव ने शोध किया की २ मस्तिष्क होते हैं दायां और बायां |
दांया मस्तिष्क तार्किक ,रेखीय ,व्यावहारिक हैं यह तर्कशक्ति ,विश्लेषण और गणनाकरता हैं ,यह तस्वीरों और कहानियो के संदर्भ में सोचता हैं |यह सम्पूर्णतावादी हैं और किसी विचार या स्थिति के सभी पहलुओ से एक साथ संपर्क रखता हैं |बांया मस्तिष्क तार्किक जानकारी से प्रेरित होता हैं |दांया मस्तिष्क शिथिल अवस्था में जानकारियों को ज्यादा अच्छी तरह से प्रोसेस करता हैं |लोजानोव ने पाया की जब दोनों मस्तिष्क साथ कार्य करतें हैं तो सीखने की गती तेज हों जाती हैं | लोजानोव ने ब्रेन वेव के विभिन्न स्तरों पर शोध किया ,उन्होंने जागृत अवस्था की बीटा वेव्स स्तर {१४ वेव /सेकंड से ज्यादा ],एल्फा अवस्था [८-१३वेव्स/सेकंड]और थीटा अवस्था [५से ७वेव्स/सेकंड ]पर शोध किया |उन्होंने पाया की अल्फ़ा अवस्था सीखने के लिए सबसे ज्यादा आदर्श अवस्था हैं |उन्होंने अपनी खोजो को मिलाकर एक ऐसी तकनीक इजाद की जिससे किसी भी प्रकार की जानकारी सीखी और संगृहीत की जा सकतीथी |इसे आज accelerated learning कहा जाता हैं |
लोजानोव की accelerated learning तकनीक :-
लोजानोव ने पाया की अगर आप किसी व्यक्ति को शिथिलता की गहरी अवस्था यानि अल्फ़ा अवस्था में रखकर नई जानकारी देतें हैं और पृष्ठभूमि में धीमा शास्त्रीय संगीत बज रहां हों ,तो दाया और बांया मस्तिष्क सामंजस्य में आ जातें हैं और सीखने की गति तेज हों जाती हैं |उन्होंने अपने प्रयोंगो के दौरान व्ययस्को को क्लासो में गहरी शिथिलता में बैठाया ,जिनकी आँखे बंद थी और कमरे में मंद मंद संगीत बज रहा था उसके बाद विदेशी भाषाओ की सूचियां पढ़ी और उन्हें अलग अलग तरीको से दुहराया गया |फिर विद्यार्थियो को जागृत अवस्था में लाकर उनकी स्मृति की जाँच की गयी ,विद्यार्थियो को सीखी गयी ९७% बातें याद थी |लोजानोव ने शिथिलता के उन्नत तरीको का इस्तेमाल कर १९६९ में एक दिन में १००० शब्द छात्रों को याद कराएँ ,१९७४ में विद्यार्थियो की एक खास कक्षा में लोजानोव ने एक दिन में १८०० शब्द याद कराए |बाद में १९७९ में ३००० शब्द एक दिन में याद कराने में वे सफल रहें |उन्होंने सिद्धह किया की तीव्र गती से तथ्य ,जानकारी नये व्यवहार ,नयी मानसिक आदतें सीखना संभव हैं |दोस्तों भारत में भी कुछ ऐसे गुरू हैं जिनको मैं जानता हूँ जों की ऐसे शांत एल्फा मूजिक को बेचते हैं [विदेशो की तुलना में बहुत अल्प दरों पर]जिनसे हम लोजनोव के प्रयोग से भी ज्यादा लाभ ले सकतें हैं ,मैंने भी यह खुद करके देखा हैं |
हेटरोजेनिक कंडीशनिंग :-
यह आपके बजाय किसी दूसरे द्वारा की गयी प्रोग्राम्मिंग या कंडिशनिंग हैं |ये वे चीजे हैं ,जों माता-पिता ,रिश्तेदारों,टीचर्स और कैन अन्य सम्मानित लोगों ने आपको बतायीं हैं |जब भी आप दूसरों की कोई बात सुनते हैं ,खासकर उस व्यक्ति से जिसे आप पसंद करते हों …तो यह आपके अवचेतन मन को प्रभावित करता हैं |इसलिए आपको कभी भी किसी को ऐसी बात कहने की इजाजत नही देनी चाहिये ,जिसे आप सचमुच ना देखना चाहते हों|मान लीजिए कोईकह भी दिया तो आप खुद को कम से कम २ – सकारात्मक आत्म सुझाव दीजिए |आप मेरे[अजय यादव]के ब्लॉग को तब तक पढ़ चुके होंगे | आप एक बहुत ही सशक्त सिद्धांत के साथ काम कर रहें हैं और आपको इसका इस्तेमाल सकारात्मक तथा सृजनात्मक तरीके से करना चाहिये |
टेप के म्यूजिकल संकल्प :-
१] सब्लिमिनल टेप्स सुनना :-बाजार में ऐसे बहुत सारें सब्लिमिनल टेप्स हैं ..पर ज्यादातर बकवास हैं |भारत में माईंड पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट और डॉ जितेन्द्र अधिया का एल्फा मूजिक का टेप्स हैं |माईंड पावर रिसर्च इंस्टिट्यूट के टेप्स मैंने अब तक सबसे उम्दा लाजवाब पाया हैं |
२]रिलेक्सेशन टेप्स :-संगीतमय संकल्प वाले टेप्स प्रयास हिन् और आसान हैं |अगर आप दिन भर में दो बार यानि सुबह शाम इनका अभ्यास करतें हैं तो आप ज्यादा सकारात्मक ,ज्यादा शांत ज्यादा रचनात्मक होंगे और अपनी भावनाओं पर ज्यादा नियंत्रण भी रख पायेंगे |आपकी कई छुटपुट बिमारियां भी खत्म होंगी |मैंने ऐसे भी लोंगो को देखा हैं ,जिन्होंने इन तकनीकों के इस्तेमाल से बड़ी बीमारियो को भी ठीक किया हैं |एक २० मिनट का रिलेक्सेशन टेप ४ घंटे की नींद के बराबर आराम देता हैं |भारत में ऐसे टेप्स आज उपलब्ध हैं हिन्दी भाषा में ट्रेनर हिमानी { http://www.clickabooks.com/index.php/relaxation-hindi-audio-cd-700.html} या डॉ जितेन्द्र अधिया के टेप्स उपलब्ध हैं { http://www.clickabooks.com/index.php/all-time-gujarai-cds-vcds-dvds/relaxation-hindi-audio-cd.html} डॉ अधिया के टेप्स शक्तिशाली हैं |इसी प्रकार का टेप माईंड पावर इंस्टिट्यूट द्वरा निर्मित जीनियस सीडी हैं |ये वास्तव में परम शक्तिशाली हैं |दोस्तों इन सबके अलावा सर्वोत्तम यह होंगा की अपना टेप हम खुद तैयार करें |उसमे अपना लक्ष्य खुद रिकार्ड करे जबकि पृष्ठभूमि में दूसरे टेप में आप अपने संकल्प को रिकार्ड कर लें जबकि पृष्ठभूमि में शांत संगीत बज रहा हों |घर पर बना कैसेट भी आपके लक्ष्यों को हांसिल करने की प्रोग्रम्मिंग में बहुत असरदार हों सकता हैं |
फटाफट संकल्प तकनीक :-
इस तकनीक का इस्तेमाल किसी महत्वपूर्ण घटना से पहले कर सकते हैं जैसे सेल्स काल या बॉस के साथ मीटिंग या मेडिकल सेमिनार्स |मानसिक प्रोग्रम्मिंग की इस विधि का इस्तेमाल प्रोफेशनल वक्ता ,अभिनेता,कलाकार और बड़े बिजिनेस मैंन करते हैं |इससे वे आने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए खुद को तैयार कर लेते हैं ,जब उनके सर्वश्रेष्ठ रूप में रहना उनके लिए महत्वपूर्ण होता हैं |फटाफट संकल्प तकनीक में मानसिक तैयारी के पहले बताये गए कदमो की टेलिस्कोपिंग शामिल हैं |यह एक तरह से मानसिक वार्मअप हैं |आप इसे ३० सेकंड से भी कम समय में कर सकतें हैं |आप अपनी कार ,लिफ्ट या वाशरूम में भी इस तकनीक का प्रयोग कर सकते हैं |
इस तकनीक का इस्तेमाल काफी आसान हैं आप अकेले होतें हैं ,अपनी आंखे बन करते हैं ,आदर्श परिणाम का संकल्प करते हैं ,उसकी मानसिक तस्वीर देखते हैं ,उसमे भावना भरते हैं और उसे मुक्त कर देते हैं |देखे और महसूस करें की वह घटना सफलता पूर्वक हों गया हैं |फिर उस मीटिंग या कार्यक्रम में शांतिपूर्वक और आत्मविश्वास के साथ जाईये |
अगर आपको कुछ दिनों में कोई महत्वपूर्ण प्रस्तुति देनी हों या इंटरव्यू देना हों तो उस बारे में सोचते समय आपको हर बार इस तकनीक का प्रयोग करना चाहिये |जब आप घटना वाले दिन और समय के ज्यादा करीब पहुँचते हैं तो आपको अपना आत्मविश्वास बढ़ता हुआ प्रतीत होंगा |और वास्तविक घटना के समय आप सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए मानसिक रूप से तैयार हों चुन्केंगे |
ऑटोजेनिक कंडीशनिंग विधि या रिलेक्सेशन और विजुलायिजेसन :-
{विजुलायिजेसन के लिए एक मार्गदर्शक आडियो पेश हैं -
http://www.ziddu.com/download/20636671/11.mp3.html}इस अभ्यास में आप संकल्प लेने ,मानसिक तस्वीर देखने ,भावना भरने और तस्वीर को मुक्त करने से पहले अपने पूरे शरीर को रिलेक्स करते हैं |
आरामदेह कुर्सी पर या विस्तर पर लेट जाईये ,अपने पूरे शरीर को रिलेक्स कीजिये …आँखे बंद कीजिये अपने शरीर के भागो से बातचीत किजीयें ..सब अंगों को रिलेक्स किजीयें
या
कोई शांत जगह पसंद कर लें जहां आपको १५-२० मिनट तक कोई विक्षेप ना हों |बिलकुल आरामदेय स्थिति में बैठें |
चेहरा सीधा करके ,अपनी नजरो को दूर के किसी काल्पनिक विन्दु पर स्थिर करें और विना पलक झपकाएं उस विन्दु को देखतें रहें |
पलके भारी होते ही आँखे बंद कर लें और अपना ध्यान साँसों पर रखें |सांस को देखिये की कैसे अंदर आती हैं ..बाहर निकलती हैं ,साँसों का निरीक्षण कीजिये |फिर १० से एक तक की गिनती करते जाईये |आपका शरीर धीरे धीरे शिथिल और शांत होता जायेंगा |१ गिनती के समय आप एल्फा अवस्था में होंगे …[ब्रेन वेव्स-७से १३]आपकी ब्रेन वेव्स चेतन और अवचेतन मस्तिष्क को समान स्तर पर रखती हैं इस समय आप खुद को जों भी सुझाव देंगे वह हर हाल में आपकी दुनिया में प्रकट होंगा ही |आपको जों चीज पाना हैं …उसकी आप मानसिक मूवी देखिये –मानसिक मूवी मात्र देखने के लिए नही हैं इसमें आपकी भागीदारी भी होनी चाहिये ,गतिमान चित्र होने चाहिये ,घटनाये वर्तमान काल की हों ,रंग /आकार की पहचान होनी चाहिये |इसमें स्थान [घर /आफिस /क्लिनिक]का उलेख कीजिये,समय का उल्लेख कीजिये[सुबह /शाम ],कौन कौन से पात्र हों ,सभी पात्र खुश दिखने चाहिये |लोगों की आवाजे ,वस्तुओ की आवाजे ,ट्रैफिक की आवाजे …गंध ,स्वाद का अनुभव …स्पर्श का अनुभव सब आपकी मानसिक मूवी की स्क्रिप्ट में शामिल होना चाहिये |बेहतर होंगा की आप अपनी मानसिक मूवी की स्क्रिप्ट पहले ही लिख लीजिए |
इस तकनीक का इस्तेमाल आप अपने संबंधो ,कार्यस्थल ,वित्तीय जीवन,सेहतअन्य गतिविधियों में डरो से उबरने में और आत्मविश्वास बढ़ाने में कर सकते हैं |यह किसी घटना का मानसिक रिहर्शल हैं |ओलम्पिक के स्वर्ण विजेता हों या मेरे जैसे छात्र लगभग सभी जागरूक लोग इस तकniक का इस्तेमाल कर अपने जीवन में क्रांति ला चूंके हैं |
http://www.divshare.com/download/23661574-0d6
[विस्तर पर लेट जाईये ,जहां कोई अआप्को डिस्टर्ब ना करे फिर इस आडियो को सुनिए ,या किसी आराम कुर्सी पर बैठकर ,जहां रीढ़ कि हड्डी सीधी रहे ….खुद को रिलैक्स कर सकते हैं,आप सदैव प्रसन्न रहे ,शुभकामनाओं सहित ……!जब भी दिक्कत महसूस कीजिये आडियो तुरन्त निकाल दीजिए ,मत सुनिए और हाँ हेडफोन से और अच्छा महसूस करेंगे }…–drakyadav@rediffmail.com
रहस्य :व्यक्तिगत कायाकल्प का {भाग -१}
रहस्य :व्यक्तिगत कायाकल्प का {भाग -१}
मित्रों !मैंने पढ़ा हैं की सन १८५९मे जेनेवा के डॉ .एमिल कुए के क्लिनिक में सवास्थ्य लाभ की दर अन्य अस्पतालों या क्लीनिको की तुलना में पांच गुनी अधिक पायी गयी थी |वे हर मरीज को यह कहना सिखाते थे “हर दिन हर तरीके से मैं बेहतर और बेहतर महसूस कर रहां हूँ “|
उनके क्लिनिक में डॉ और नर्स हर मरीज का यह कहकर अभिवादन करतें थे “हर दिन हर तरीके से आप बेहतर और बेहतर दिख रहें हैं”
बाद में जर्मन डॉ शुल्ज ने ,जों की एक मनोचिकित्सक भी थे उन्होंने देखा की व्यक्ति खुद से बात करते समय जितनी शान्ति से कहता था की “हर दिन हर तरीके से मैं बेहतर और बेहतर महसूस कर रहा हूँ”उतनी ही जल्द वह स्वास्थ्य प्राप्त कर रहा हैं |डॉ शुल्ज एक मनोचिकित्सक थे और वे डिप्रेसन ,न्युरासिस ,तनाव उन्मूलन पर कार्य कर रहें थे |
डॉ शुल्ज ने अंततः आटोजेनिक कंडीशनिंग की परक्रिया विकसित की ..जिसे आप आगामी लेखो में पढेंगे …. विश्व भर के अनेक सेमिनारों में शामिल होकर मैंने भी कुछ चीजे सीखी हैं …और इन पर शोध जारी हैं …….इन चीजों को ही प्रश्नोत्तर के रूप में पेश कर रहा हूँ :-
प्रश्न १]
अपने अवचेतन मन का प्रयोग कैसे करें ?
उत्तर-
यहाँ ५ कदमो की एक प्रक्रिया हैं .जिसका इस्तेमाल आप मनचाहे मानसिक,शारीरिक,भावनात्मक परिणाम पाने के लिए कर सकतें हैं |
१]अपने मनचाहे परिणाम को [जिसे आप पाना चाहते हैं ]को शब्दों में व्यक्त कीजिये और उसे पाने का संकल्प कीजिये |
आपका कथन इच्छित परिणाम या अंतिम अवस्था का स्पष्ट वर्णन होना चाहियें |विवरण में ही ना उलझें रहें |
२]आप उस स्थिति में जों परिणाम चाहतें हैं ,उसकी मानसिक तस्वीर बनाएँ और उसे स्पष्ट रूप से देखें |खुद को और हर शामिल व्यक्ति को परिणाम के साथ खुश देखना जरूरी हैं |
३]अपने संकल्प और मानसिक तस्वीर को भावनात्मक बनाएँ |वह “भावना”पैदा किजीयें जों आप सुखद परिणाम पाने पर सचमुच महसूस करेंगे|
कल्पना कीजिये की आप सफल हों गयें हैं और लक्ष्य प्राप्त हों गया हैं |
४]स्थिति को पूरी तरह से मुक्त कर दीजिए …इसे इस स्थिति में छोड़ दें ,जैसे किसी विश्वशनीय व्यक्ति ने आपको ये आश्वासन दे दिया हों की वह इसे संभल लेंगा और आपको इसके बारे में दोबारा सोचने की जरूरत नही हैं |
५]प्राप्ति ,लक्ष्य का मिलना |
अपने लक्ष्यों को,सपनो को जल्दी कैसे साकार करे ?
मानसिक तकनीकें
प्रश्न २]क्या अपने लक्ष्यों को लिखकर,संकल्प करके उन्हें और जल्दी प्राप्त कर सकतें हैं ?
उत्तर :-
जी हाँ |
वर्तमान काल में अपने मुख्य लक्ष्यों को ,उद्देश्यों को स्पष्ट वर्णन के साथ लिखिये |ठीक वैसा ही जैसा आप उसे हकीकत में देखना चाहतें हैं |आप इस वर्णन को जितना भी लंबा या छोटा रखना चाहते हों रख सकते हैं |यह संक्षिप्त भी हों सकता हैं विस्तृत भी |
अपने लक्ष्य लिखने के बाद पेन नीचे रख दीजिए |अपनी आँखे बंद कर दीजिए ,गहरी सांस लीजिए और अपने लक्ष्य की मानसिक तस्वीर इस तरह बनाईये की जैसे यह हांसिल हों चुका हों या दिन भर की घटनाओं के संतुष्टि से सुलझने की मानसिक तस्वीर देखें |मानसिक तस्वीर देखते वक्त वह भावना पैदा कीजिये,जों सफलता के बाद मिलतीं हैं |लक्ष्यों की उपलब्धि पर मिलन वाली खुशी का मुस्कुराते हुए आनंद लीजिए |फिर इसे पूरी तरह से मुक्त कर दीजिए छोड़ दीजिए …..असीमित सत्ता के लिए |अपनी आँखे खोल लीजिए और अपना दिन शुरू कीजिये |
लिखना अपने अवचेतन मन पर अपने अक्ष्यो की छाप छोड़ने का सबसे सशक्त तरीका हैं |आप अपने लक्ष्यों को जितनी बार लिखते हैं ,वे उतनी ही ज्यादा तेजी से हांसिल होते हैं |
लक्ष्यों को कैसे लिखें?एक स्पायिरल नोटबुक लें .,उसमे हर दिन अपने लक्ष्य लिखियें |इसमें सिर्फ कुछ मिनट का समय लगता हैं किन्तु इससे आपकी प्रोग्रम्मिंग कई घंटो आगे की हों जाती हैं |अपने लक्ष्यों को बार बार लिखने से आपको पहले से ज्यादा विश्वास होने लगता हैं |की उन्हें हांसिल किया जा सकता हैं |जब आपका विश्वास गहरा होता जाता हैं और आत्मविश्वास बढ़ता हैं तो आप लक्ष्यों को पाने के अवसरों को बढ़ा देतें हैं और law of attraction को सक्रिय कर देतें हैं |इसके बाद लक्ष्य आपको प्राप्त होने लगतें हैं |
प्रश्न ३]standard affirmation technique क्या हैं ?
उत्तर :-इसमें आप तीन से पांच इंच के इंडेक्स कार्ड पर अपने लक्ष्यों को बड़े बड़े अक्षरों में लिख लेते हैं …………..वर्तमान काल में और स्पष्ट शब्दों में |
इस विधि का उपयोग सुबह और रात्रि को कीजिये …कोई इसी जगह बैठिये जहां आपको कुछ मिनटों तक कोई डिस्टर्ब ना करें |शरीर को शीथील कीजिये और मस्तिष्क को तैयार करने के लिए गहरी गहरी साँसे लीजिए ..और छोडिये ….
अपना पहला लक्ष्य[कार्ड]पढ़िए,आँखे बंद करके इसे ५ बार दुह्रारायियें,लक्ष्य की मानसिक तस्वीर इस तरह से देखिये जैसे यह हांसिल हों चुका हों |कल्पना करें की वह लक्ष्य इस समय हांसिल हों चुका होता तो आप कैसे चलते ,बात करते और काम करतें |लक्ष्य की अपनी इस तस्वीर में भावना ,खुशी व् वह सुख भारियें जों आपको लक्ष्य प्राप्त होने पर मिलेंगी |
फिर एक और गहरी सांस लीजिए …और छोडिये और लक्ष्य को आत्मविश्वास से मुक्त किजीयें |अपने हर लक्ष्य के साथ ही ऐसा ही कीजिये |आपका अवचेतन मन इस तरीके से एक बार में बीसों लक्ष्यों पर सफलता पूर्वक कार्य कर सकता हैं |
प्रश्न ४] standard affirmation technique का इस्तेमाल सुबह शाम दो बार करने की कोई विशेष वजह ?
उत्तर ;-जी हाँ |वैसे आप चाहे तो केवल सुबह या शाम भी ,इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकतें हैं |
सुबह बाहर निकलने या अपने काम पर जाने से पहले आप अवचेतन मन को प्रबल संकेत भेजते हैं |परिणाम स्वरूप आपका अवचेतन मन आकर्षण का नियम सक्रिय कर देता हैं और दिन भर के लिए आपकी जागरूकता बढ़ा देता हैं |ताकि आप अपने आस पास हों रही घटनाओं को देखकर एक या अधिक लक्ष्य पूरा करने के अवसर को ताड़ लें |
इसी तरह से रात को सोने से पहले आप अपने अवचेतन मन को रात में लक्ष्यों पर काम करने का निर्देश दे देतें हैं ,अक्सर सुबह जागने पर आपका अवचेतन मन आपको सही विचार और समाधान सुझा देता हैं | क्रमशः………………….
-अजय यादव {ajayyadav@myself.com]
मित्रों !मैंने पढ़ा हैं की सन १८५९मे जेनेवा के डॉ .एमिल कुए के क्लिनिक में सवास्थ्य लाभ की दर अन्य अस्पतालों या क्लीनिको की तुलना में पांच गुनी अधिक पायी गयी थी |वे हर मरीज को यह कहना सिखाते थे “हर दिन हर तरीके से मैं बेहतर और बेहतर महसूस कर रहां हूँ “|
उनके क्लिनिक में डॉ और नर्स हर मरीज का यह कहकर अभिवादन करतें थे “हर दिन हर तरीके से आप बेहतर और बेहतर दिख रहें हैं”
बाद में जर्मन डॉ शुल्ज ने ,जों की एक मनोचिकित्सक भी थे उन्होंने देखा की व्यक्ति खुद से बात करते समय जितनी शान्ति से कहता था की “हर दिन हर तरीके से मैं बेहतर और बेहतर महसूस कर रहा हूँ”उतनी ही जल्द वह स्वास्थ्य प्राप्त कर रहा हैं |डॉ शुल्ज एक मनोचिकित्सक थे और वे डिप्रेसन ,न्युरासिस ,तनाव उन्मूलन पर कार्य कर रहें थे |
डॉ शुल्ज ने अंततः आटोजेनिक कंडीशनिंग की परक्रिया विकसित की ..जिसे आप आगामी लेखो में पढेंगे …. विश्व भर के अनेक सेमिनारों में शामिल होकर मैंने भी कुछ चीजे सीखी हैं …और इन पर शोध जारी हैं …….इन चीजों को ही प्रश्नोत्तर के रूप में पेश कर रहा हूँ :-
प्रश्न १]
अपने अवचेतन मन का प्रयोग कैसे करें ?
उत्तर-
यहाँ ५ कदमो की एक प्रक्रिया हैं .जिसका इस्तेमाल आप मनचाहे मानसिक,शारीरिक,भावनात्मक परिणाम पाने के लिए कर सकतें हैं |
१]अपने मनचाहे परिणाम को [जिसे आप पाना चाहते हैं ]को शब्दों में व्यक्त कीजिये और उसे पाने का संकल्प कीजिये |
आपका कथन इच्छित परिणाम या अंतिम अवस्था का स्पष्ट वर्णन होना चाहियें |विवरण में ही ना उलझें रहें |
२]आप उस स्थिति में जों परिणाम चाहतें हैं ,उसकी मानसिक तस्वीर बनाएँ और उसे स्पष्ट रूप से देखें |खुद को और हर शामिल व्यक्ति को परिणाम के साथ खुश देखना जरूरी हैं |
३]अपने संकल्प और मानसिक तस्वीर को भावनात्मक बनाएँ |वह “भावना”पैदा किजीयें जों आप सुखद परिणाम पाने पर सचमुच महसूस करेंगे|
कल्पना कीजिये की आप सफल हों गयें हैं और लक्ष्य प्राप्त हों गया हैं |
४]स्थिति को पूरी तरह से मुक्त कर दीजिए …इसे इस स्थिति में छोड़ दें ,जैसे किसी विश्वशनीय व्यक्ति ने आपको ये आश्वासन दे दिया हों की वह इसे संभल लेंगा और आपको इसके बारे में दोबारा सोचने की जरूरत नही हैं |
५]प्राप्ति ,लक्ष्य का मिलना |
अपने लक्ष्यों को,सपनो को जल्दी कैसे साकार करे ?
मानसिक तकनीकें
प्रश्न २]क्या अपने लक्ष्यों को लिखकर,संकल्प करके उन्हें और जल्दी प्राप्त कर सकतें हैं ?
उत्तर :-
जी हाँ |
वर्तमान काल में अपने मुख्य लक्ष्यों को ,उद्देश्यों को स्पष्ट वर्णन के साथ लिखिये |ठीक वैसा ही जैसा आप उसे हकीकत में देखना चाहतें हैं |आप इस वर्णन को जितना भी लंबा या छोटा रखना चाहते हों रख सकते हैं |यह संक्षिप्त भी हों सकता हैं विस्तृत भी |
अपने लक्ष्य लिखने के बाद पेन नीचे रख दीजिए |अपनी आँखे बंद कर दीजिए ,गहरी सांस लीजिए और अपने लक्ष्य की मानसिक तस्वीर इस तरह बनाईये की जैसे यह हांसिल हों चुका हों या दिन भर की घटनाओं के संतुष्टि से सुलझने की मानसिक तस्वीर देखें |मानसिक तस्वीर देखते वक्त वह भावना पैदा कीजिये,जों सफलता के बाद मिलतीं हैं |लक्ष्यों की उपलब्धि पर मिलन वाली खुशी का मुस्कुराते हुए आनंद लीजिए |फिर इसे पूरी तरह से मुक्त कर दीजिए छोड़ दीजिए …..असीमित सत्ता के लिए |अपनी आँखे खोल लीजिए और अपना दिन शुरू कीजिये |
लिखना अपने अवचेतन मन पर अपने अक्ष्यो की छाप छोड़ने का सबसे सशक्त तरीका हैं |आप अपने लक्ष्यों को जितनी बार लिखते हैं ,वे उतनी ही ज्यादा तेजी से हांसिल होते हैं |
लक्ष्यों को कैसे लिखें?एक स्पायिरल नोटबुक लें .,उसमे हर दिन अपने लक्ष्य लिखियें |इसमें सिर्फ कुछ मिनट का समय लगता हैं किन्तु इससे आपकी प्रोग्रम्मिंग कई घंटो आगे की हों जाती हैं |अपने लक्ष्यों को बार बार लिखने से आपको पहले से ज्यादा विश्वास होने लगता हैं |की उन्हें हांसिल किया जा सकता हैं |जब आपका विश्वास गहरा होता जाता हैं और आत्मविश्वास बढ़ता हैं तो आप लक्ष्यों को पाने के अवसरों को बढ़ा देतें हैं और law of attraction को सक्रिय कर देतें हैं |इसके बाद लक्ष्य आपको प्राप्त होने लगतें हैं |
प्रश्न ३]standard affirmation technique क्या हैं ?
उत्तर :-इसमें आप तीन से पांच इंच के इंडेक्स कार्ड पर अपने लक्ष्यों को बड़े बड़े अक्षरों में लिख लेते हैं …………..वर्तमान काल में और स्पष्ट शब्दों में |
इस विधि का उपयोग सुबह और रात्रि को कीजिये …कोई इसी जगह बैठिये जहां आपको कुछ मिनटों तक कोई डिस्टर्ब ना करें |शरीर को शीथील कीजिये और मस्तिष्क को तैयार करने के लिए गहरी गहरी साँसे लीजिए ..और छोडिये ….
अपना पहला लक्ष्य[कार्ड]पढ़िए,आँखे बंद करके इसे ५ बार दुह्रारायियें,लक्ष्य की मानसिक तस्वीर इस तरह से देखिये जैसे यह हांसिल हों चुका हों |कल्पना करें की वह लक्ष्य इस समय हांसिल हों चुका होता तो आप कैसे चलते ,बात करते और काम करतें |लक्ष्य की अपनी इस तस्वीर में भावना ,खुशी व् वह सुख भारियें जों आपको लक्ष्य प्राप्त होने पर मिलेंगी |
फिर एक और गहरी सांस लीजिए …और छोडिये और लक्ष्य को आत्मविश्वास से मुक्त किजीयें |अपने हर लक्ष्य के साथ ही ऐसा ही कीजिये |आपका अवचेतन मन इस तरीके से एक बार में बीसों लक्ष्यों पर सफलता पूर्वक कार्य कर सकता हैं |
प्रश्न ४] standard affirmation technique का इस्तेमाल सुबह शाम दो बार करने की कोई विशेष वजह ?
उत्तर ;-जी हाँ |वैसे आप चाहे तो केवल सुबह या शाम भी ,इस तकनीक का इस्तेमाल कर सकतें हैं |
सुबह बाहर निकलने या अपने काम पर जाने से पहले आप अवचेतन मन को प्रबल संकेत भेजते हैं |परिणाम स्वरूप आपका अवचेतन मन आकर्षण का नियम सक्रिय कर देता हैं और दिन भर के लिए आपकी जागरूकता बढ़ा देता हैं |ताकि आप अपने आस पास हों रही घटनाओं को देखकर एक या अधिक लक्ष्य पूरा करने के अवसर को ताड़ लें |
इसी तरह से रात को सोने से पहले आप अपने अवचेतन मन को रात में लक्ष्यों पर काम करने का निर्देश दे देतें हैं ,अक्सर सुबह जागने पर आपका अवचेतन मन आपको सही विचार और समाधान सुझा देता हैं | क्रमशः………………….
-अजय यादव {ajayyadav@myself.com]
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