मैंने अपनी पढ़ाई अपने
गाँव के प्राथमिक विद्यालय से शुरू की हैं|टाट –पट्टी पर पंक्ति बद्ध होकर
बैठना,चाक से लकड़ी के पटरी पर इमला लिखना,बाद में अच्छरो कों सुंदर लिखने के लिए
नरकट की कलम का प्रयोग ऐसे लगता हैं जैसे अभी कल की ही बात हों |हमारे प्राथमिक
विद्यालय में उन दिनों शिक्षकों कों उनकी कक्षा के अनुसार नाम करन किया जाता था
“कक्षा ५ में पढाने वाले शिक्षक श्री शिवराम कों हम ‘पांच वाले मास्टर’, २ में पढाने वाले श्री
बद्रीनाथ कों “दो वाले मास्टर” इसी तरह से...| कुल पांच गाँवों के बच्चे पढ़ने आते
थे|गुलाब मास्टर के बारे में मशहूर था की जब वों “क ख ग ....”पढ़ाते थे तो ५०० मीटर
परिधि में उपस्थित बच्चे बच्चे एवं उनके खेतों में काम कर रहें माँ-बाप तक कों भी
इमला याद हों जाता था |अपने इन शिक्षकों की इतनी मेहनत याद करके रोम रोम आज उनके
सम्मान में पुलकित हों उठता हैं |
हमारे प्राथमिक विद्यालय में जिस दिन छुट्टी
होती थी,वह दिन बहुत बुरा लगता था |छुट्टियों में दिन काटें नही कटते थे,लगता था
कब स्कूल खुले और हम किताबों का झोला लेकर पंहुंच जाएँ|कक्षा ३ तक तो मैं सामान्य
बच्चों की तरह रहा,पर कक्षा ४ में एक दिन डिप्टी साहेब के सवालों का जवाब निर्भयता
से और सही से देकर मैं ‘४ वाले मास्टर’का प्रिय छात्र बन गया,उन्होंने मुझे और
अच्छा बनाने के लिए छड़ी ,मुक्को ,हाथ-मरोड़ना हर अस्त्र का इस्तेमाल किया,जिसे याद
कर मन आज भी सुखद अनुभूति से भर जाता हैं,काश थोड़ी और ज्यादा मार पड़ी होती तो हम
सफलता की थोड़ी और ऊँची गाथा लिख रहे होते|कक्षा ५ के मेरे शिक्षक ,उन दुर्लभतम
शिक्षकों की कैटेगरी में आते हैं ,जिनका
पढ़ाया हुआ जिंदगी भर नही भूलता,शेरशाह सूरी ...प्लासी का युद्ध...दो गति करने वाले
पौधे ,कबीर रहीम ,रसखान के दोहे ,काव्य,,आज तक उनके वही अर्थ याद हैं जो उन्होंने
पढ़े और सबसे खास बात यह हैं की इतनी सुंदर व्याख्या आज तक कहीं नही पढ़ी |
पांचवी पास कर मैं मिडिल स्कूल {६ से ८ तक } में
पहुंचा,जो घर से तीन किमी था |गाँवों के मिडिल स्कूलों की भाति यहाँ भी शिक्षकों
की पहली पसंद बाहरी पोलिटिक्स{राज्य/देश/गाँव} और दूसरी पसंद स्कूल की भीतरी पोलिटिक्स थी |हाँ अगर समय बच
गया तो साथ में क्लास भी पढ़ा देते थे|यहाँ
भी दो ऐसे शिक्षक मिले जिनका पढ़ाया हुआ,आज तक मुझे याद हैं
,जिनकी दी हुयी सीख आज भी कदम कदम पर मेरा मार्गदर्शन करती हैं |एक शिक्षक श्री
अभिमन्यु यादव,इतने बुलंद स्वरों में पढ़ाते थे ,की स्कूल से १०० मीटर दूर खेत में
काम कर रहा कभी स्कूल न गया किसान भी काफी कुछ याद कर लेता था|अंग्रेजी इतना बढ़िया
इन्होने पढ़ाया की आज तक स्पीकिंग में बहुत मदद मिलती हैं|व्यक्तिगत सफाई ,और
मानसिक सफाई के संदर्भ में मेरे शिक्षक {पांच वाले और श्री अभिमन्यु } आज भी मेरा
मार्गदर्शन करते हैं|घनश्याम मास्टर का विज्ञान समझाने का अंदाज़,लालता मास्टर का
पढाया हुआ संस्कृत का हरेक पाठ आज तक मुझे बखूबी याद हैं|गणेश-स्तुति, शिव-स्तुति,
पार्वती-स्तुति, सरस्वती-स्तुति का एक एक श्लोक मुझे आज भी बखूबी याद हैं ,जिसके
कारण आज भी किसी अनजानी जगह पर सुबह की प्रार्थना के वक्त,श्लोक उच्चारण करने
पर लोग मुझे कर्म-कांडी ब्राम्हण समझ
बैठते हैं |
हाईस्कूल
के लिए मैंने अपना नामांकन घर से पन्द्रह किलोमीटर दूर ‘सरस्वती मंदिर’ में कराया
,जहाँ मुझे धर्म ,आध्यात्म और भारतीय गुरुकुलो वाली शिक्षा दी गयी जो मेरे जीवन का
आधार स्तम्भ हैं |भोजन मंत्र ,स्नान मंत्र,निद्रा मंत्र....और स्वदेशी कों पूर्ण
रूप से इस्तेमाल योग्य कैसे निर्मित करें सीखा,यही पर मैंने विधिवत वाणिज्य की
शिक्षा ली |राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक अति-सक्रीय सदस्य के रूप में स्वदेशी के
उपयोग का प्रचार-प्रसार और मोटिवेशनल चीजे सीखी|
इंटरमीडिएट की पढाई के लिए मैं इलाहाबाद के
एक छोटे से औद्योगिक शहर नैनी आ गया,जहाँ मैंने वों सब कुछ सीखा जो आज आपसे इस
ब्लॉग के जरियें बाटता हूँ ,राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में मेडल और अनेक
ट्राफियो से मेरा घर भरा पड़ा हैं|उसी समय मेरे स्कूल में रेखा श्रीवास्तव {रेखा मैडम } ,रविकिरण
सिंह तोमर जैसे परवाह करने वाले शिक्षक मिले |
दोस्तों ये ज्यादा पहले की
बातें नही हैं ,अभी मैं खुद २५+ में हूँ |पर इतने कम समय में हमारे मूल्य इतने
तेजी से बदलें हैं की आज शिक्षक की छात्र के मंगलमय भविष्य के संदर्भ में कहीं गयी
कोई बात छात्र कों इतना नागवार लगती हैं की सरे-बाजार उसे पीट देता हैं ,और आधुनिक
शिक्षक ?............|मैंने अपने अनमोल एक
वर्ष अध्यापन किया हैं ,और पाया हैं की अगर आप बिना किसी लोभ ,लालच,वासना के काम करते हैं तो बच्चे आपकी ईज्जत करते हैं,आपका
मान करते हैं |रसायन पढाने से पहले मैंने रसायन विषय में खास योग्यता और समझ
विकसित किया,साथ ही अच्छे पढ़ाने के तरीके समझने के लिए पुस्तके भी पढ़ी | मैंने
सिर्फ एक वर्ष के अध्यापन में इतना सीखा हैं,जितना की १२ वर्ष अध्ययन के दौरान भी
नही सीखा था,मेरे छात्रों ने इतने अदभुत तरीके कों तेजी से अपनाकर ,नए मुकाम तय
किये हैं|धैर्य,आराम से बोलना ,सत्य बोलना ,संकल्प,कर्तव्य,समय का पाबंद होना
,दूसरों कों मोटिवेट करते करते खुद और ज्यादा मोटिवेट होना ....जैसे अनमोल चरित्र
सीखे | मेरे छात्रों का एक बहुत बड़ा समुदाय आज वेबिनार,सेमीनार के
जरिये,एक्स्ट्रा क्लासेज के जरिये मुझसे जुड़ता हैं|
अच्छे शिक्षक ,और अच्छे छात्र
हमेशा थे और रहेंगे|
शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
{चित्र -गूगल}
-डॉ अजय की कलम से |