5 October 2013

"IPS" अनुराधा ठाकुर !... "against dowery" .

                    
               दिसम्बर मास की उस रविवार को शाम के लगभग ९ बजे का वक्त था ,हमेशा कि भांति OPD अभी खुली थी |इक्का दुक्का …मरीज ,तीमारदार आ जा रहें थे |सिस्टर ने अंतिम पेशेंट बुलाया “इंजी.अनुराधा ठाकुर”!मैं चौंक पड़ा …! “अन्नू को क्या हुआ?”…तभी अनुराधा की बहन सीमा केबिन में दाखिल हुयी “दीदी आई थी ..!बाहर लंबी पंक्ति देखकर आपके घर गयीं हैं ,सिस्टर शीबा से उन्होंने चाबी ले लिया हैं |आप जाओ मैं स्कूटी लायी हूँ , घर चली जाउंगी, दीदी को छोड़ दिजियेंगा”मैंने कहा “कभी नही” ! “IPS अनुराधा ठाकुर ….सैलूट यू सर”! सामने आते ही अटेंशन की मुद्रा में उसने तगड़ा सैल्यूट किया | अन्नू को इस रूप में देखकर मेरे नयनो से  आँसुओ की धार टपक पड़ी ,उसी शालीनता और कृतज्ञता से मैंने भी उसको सैल्यूट किया |मेरी आवाज और लहजे में तेजी आ गयी थी ,मैं खुशी से पागल हों रहा था …इससे पहले होश खोकर गिरता कि …अन्नू ने मुझे बाँहों में भर लिया था”!

3 October 2013

"love letters" / प्रेम-पत्र(२)

                     प्रेम-पत्र(२)

हें प्रियतम !

तुमसे अपने प्रेम कों भला कैसे परिभाषित करूं?कुछ चीजों कों व्यक्त करने के लिए शब्द ही कहाँ बने हैं ?जब भी तुम्हारी आँखों का दीदार होता हैं ,उनमे छलकता असीमित प्रेम तारों-सितारों और हीरो-मोतियों से भी ज्यादा खूबसूरत ,चमकदार एहसास देते हैं | आँखे मिलते ही सम्प्रेषण हेतु शब्दों की जरूरत ही नही रहती |चेतना विलीन हों जाती हैं |याद हैं ,न कल की शाम जब हम –तुम यमुना तट पर फूलो की घाटी में बैठे थे ,बदरा आयें ,उमड-घुमड़ और  बरस गयें...पता हीं नही चला |चेतना लौटी तो हमने खुद कों भीगा पाया |हम-दोनों कों ऐसा लगा जैसे गहरे मेडिटेशन या समाधी से उठे हों |शायद राधा-कृष्ण के ऐसे ही अनन्य प्रेम ने उनकों  महान योगी निर्मित किया |

2 October 2013

"mahtma gandhi: a great thinker"महात्मा गांधी :एक महान विचारक !

                        
           महात्मा गाँधी का जन्म २ अक्टूबर १८६९ कों गुजरात स्थित कठियावाड़ प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर पोरबंदर नामक कसबे में हुआ था |महात्मा गाँधी{१८६९-१९४८} कों भारत में जन आंदोलन का जनक  कहा जाता हैं ,जन आंदोलनों से ही उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि प्राप्त हुई |इन्हें इस उपाधि से सम्मानित करने वाले आधुनिक भारत के महान विचारको में से रविन्द्रनाथ टैगोर{१८६१-१९४१} भी थे | ‘बोस’ ने इन्हें “राष्ट्र-पिता” कहा |आम आदमी उन्हें ‘बापू’ कहकर पुकारते थे |

       गाँधी जी रस्किन ,थोरयु और टालस्टाय जैसे पश्चिमी चिंतकों  से जीवन भर बहुत प्रभावित रहे,हालाँकि उन्होंने पश्चिमी सभ्यता की कुछ अच्छी बातो कों भारतीय चुनौतियों के हिसाब से बदला| वे प्रबल आर्थिक विचारों से भी अच्छी तरह परिचित थे और मार्क्स की ‘हैंडबुक आफ मार्क्सवाद’ स्मिथ की रचना ‘द वेल्थ आफ नेशन’ और स्नेल  की ‘प्रिंसिपल आफ इक्विटी’ से प्रभावित थे | टालस्टाय का प्रेम में विश्वास और ‘शरमन आन द माउन्ट’ की शिक्षा ,बाईबिल और न्यू टेस्टामेंट तथा थोरयु की सविनय अवज्ञा की अवधारणा ने उन्हें बहुत प्रभावित किया |

29 September 2013

big ocean of inspiration /किन्तु पहुंचना उस सीमा में………..जिसके आगे राह नही!{for students}


कहते हैं सफल होना है तो सपने देखो मगर केवल सपने देखना पर्याप्त नहीं है,बल्कि आपके अंदर उसे पाने की तीव्र इच्छा एवं अदम्य साहस का होना जरुरी है|सूचना क्रांति के इस दौर में भले ही दुनिया तेजी से सिकुड़ती जा रही हो लेकिन सच तो यह है कि अधिकतर नवयुवक यह जानते ही नही हैं कि उन्हें करना क्या है,वे दूसरे को कुछ करता देख वैसा ही करने के लिए भेड़चाल में चल पड़ते हैं|भेड़चाल में चलने के बजाय यदि अपनी क्षमताओ का आकलन करते हुए लक्ष्य निर्धारित करें तो सफलता प्राप्ति सुनिश्चित है|सफलता कोई अजूबा नहीं बल्कि कुछ बुनियादी उसूलों का लगातार पालन करना है|

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