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3 September 2013

जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ.....


||जिम्मेदारियाँ... हैं  ! तेरी मेहरबानियाँ..||

          इस ब्रम्हांड में संयोग जैसी कोई चीज नही होती ,हम एक सुव्यवस्थित ब्रम्हांड में रहते हैं |हमारे जीवन में होने वाला सब कुछ जिसे हम अच्छे या बुरे के आधार पर केटेगराईज्ड करते हैं |सब के लिए केवल और केवल हम,हमारी भावनाए या एहसास जिम्मेदार हैं |जरुरी हैं की , हमारा फोकस लेजर जैसा हों ,ताकि हमेशा मनचाही चीज के बारे में सोंचते व बात करते रहे | अक्सर लोग कहतें हैं “अजय जी !काम पर जाना पड़ता हैं”.बहुत कम कहते हैं की “काम पर जाता हूँ” ! दोस्तों ..जिम्मेदारी से सामर्थ्य बढ़ती हैं ,लेकिन उन लोगों का क्या ?जिनको जिम्मेदारी बोझ लगती हैं ,उन लोगों के मस्तिष्क के सोफ्टवेयर वाईरस{नकारात्मक विचार/भावनाएं } द्वारा प्रभावित हों चुके होते हैं |एक शेर याद आ रहा हैं

“एक  खता  ता-उम्र  हम ,   करते     रहें|

धूल चेहरे पर थीं,और आइना साफ़ करते रहें”||

दोस्तों हम सब आखिर क्यूँ जी रहें हैं ?

आप क्यूँ जी रहें हैं ?

हम सब जी रहें हैं क्यूंकि हम खुश रहना चाहतें हैं |

                हमे खुश रहने के लिए अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा उत्तम रखना होंगा |शारीरिक स्वास्थ्य अर्थात कसरत जबकि मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य नकारात्मक भावनाओं कों हटाकर सकारात्मक भावनाओं {Progressive Thought}कों स्थापित करना हैं |

यह कैसे होंगा ?

जैसे अंधेरे कों भगाने के लिए दीपक जलाते हैं, वैसे मन में सकारात्मकता कों लगातार स्थान देने पर नकारात्मकता का अंत हों जाता हैं |
अपने जीवन में अच्छे मित्रों,अच्छी पुस्तकों आदि कों समय देना होंगा |किसी व्यक्ति कों मैं उसके मित्रों कों देखकर ही पहचान जाता हूँ की यह किस स्वभाव का होंगा ,दोस्तों आपके जीवन का स्तर{दशा/दिशा }वैसे ही होंगी{औसतन} ,जैसे की आपके करीबी पांच मित्रों की होंती हैं |
परिवार {F.A.M.I.L.Y.=Father And Mother I Love You} की खुशी का ध्यान रखकर ही हम खुश हों सकतें हैं |हमारा देश वर्षों से पितृभक्ति वाला देश रहा हैं ,आप महर्षि परशुराम  के ज़माने से यह देख रहें हैं | 
माँ कभी कोई फरमाईश नही करतीं ,वे हमेशा बिना शर्त का प्रेम बांटती फिरती हैं ,दोस्तों उनको खुश रखियें |दुनिया के हर रिश्ते से ,माँ के साथ रिश्ता नौ महीने ज्यादा का होता हैं |माता खुश हैं तो पूरा परिवार खुश रहता हैं |
दोस्तों इस दुनिया में कोई सेल्फ मेड नही होता ,इस दुनिया में आने के लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती हैं|हम अपने दिन के २४ घंटों में से ज्यादातर अपने काम के सिलसिले में खर्च करते हैं,हम जिस कंपनी में काम करते हैं,अगर उस कम्पनी कों खुद की कम्पनी मानकर  कार्य  करें तो आश्चर्यजनक तरक्की और इनकम से हमारी दुनिया आबाद हों जाएँ|
दोस्तों सारी दुनिया में ,यहाँ तक की घर-गृहस्थी में भी  तनाव का सबसे प्रमुख कारण “Lack Of Communication” हैं |घर पर होना अलग बात हैं ,घर वालों के साथ होना अलग बात  ! आप डिसाईड कीजिये की ज्यादा वक्त tv के साथ बिताते हैं ,या बीबी के साथ |
 दोस्तों !इस दुनिया में हमारा जो भी उद्दम/व्यवसाय/कृति  होती हैं ,उसके कुछ खरीददार होतें हैं,जिन्हें ग्राहक कहते हैं|ग्राहक मुर्गी नही हैं ,जो सोने का अंडा देती हैं ,मुर्गी कों तो कभी न कभी हलाक होना ही पड़ता हैं |दोस्तों !ग्राहक गाय की तरह हैं ,जो सेवा करने पर दूध देती हैं |
    दोस्तों ! दिल में ग्राहक का एक मंदिर बना लिजियें,रोज सुबह उनको नमन कीजिये ,क्यूंकि उन्ही से आपकी रोटी {R.O.T.I.=Return On Time Investment}चलती हैं,आपके बच्चों की फीस भरी जातीं हैं,आपकी बीबी के गहने खरीदे जाते हैं|

    कावड़ लेकर बाबा गोरखनाथ हजारों किमी की यात्रा कर चुके थे ,उन्होंने सड़क के किनारे एक बहुत बीमार ..मरते हुए गधे कों देखा,जो जल के लिए तडप रहा था |बाबा ने अपने कावड़ का जल उस गधे कों पिलाया ,यह देखकर बाकी कावड़िये नाराज़ भी हुए|बाबा बोले “देखो भाईयो !भोलेनाथ के लिए कावड़ तो आप सब ले जा रहें हों और मेरे दो मटके न चढ़े,तो भी उनकी प्यास पर कोई फरक नही पड़ेंगा ,लेकिन अभी यह जल अभी मैंने इस गधे कों नही पिलाया तो इसके प्राण का अंत हों जायेंगा |किद्वंती  हैं की पानी पिलातें ही शिव जी प्रकट हुए और बोलें की “अगर किसी का जल मुझ तक पहुंचा तो गोरखनाथ तेरा”|

दोस्तों ! जिस श्रृद्धा से आप मंदिर जाते हों ,अगर उसी श्रृद्धा से अपने काम पर जातें हों {चाहे जो करतें हों}तो समझ लीजिए की उस परमात्मा के दरबार में हाजिरी लग गयीं |

दोस्तों !
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की  की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
       कुछ लोग तो बड़े सकारात्मक होतें हैं किन्तु एक्सन हीं नही लेते ,इसका भी कोई फायदा नही |इनसे तसल्ली तो मिल सकती हैं ,पर तरक्की नही|इस कैटेगरी के लोग OSTRICH SYNDROME से ग्रसित होते हैं अर्थात यथास्थिति का सामना नही करते ,भौकाल बनाते हैं बस |एडमंड बर्क कहतें हैं -

बुराई के जड़ ज़माने के लिए इतना काफी हैं की अच्छे लोग कुछ न करें ,और बुराई जड़ पकड़ लेंगी”

“For evil to flourish,good people have to do nothing and evil shall flourish”-Edmond Burke

पर कुछ लोग ऐसे LEADER हैं जिनको बेहतर कार्य और हर कार्य की जिम्मेदारी के लिए कोई तमगा नही चाहिए होता हैं{Lead Without A title} |ये किसी का दोष नही देखते ,बहाने नही बनाते और स्थिति कों बेहतर करने की दिशा में निरंतर लगे रहते हैं |इनकी प्रकृति पहल करने वाली {INITIATIVE}होती हैं |दुनिया में होने वाले समस्त बेहतर कार्यों के पीछे इनका हाथ और उर्जा होती हैं |ऐसा ही व्यक्ति बनने की कोशिश में मैं लगा हूँ|

7 August 2013

Mind की पावर Boost करने के लिए Diet



          Mind की पावर Boost करने के लिए Diet

MIND हमारे शरीर के अंगों से सीधा जुड़ा होता हैं |यह HEART से BLOOD ग्रहण करता हैं ,तथा blood से nutrients तथा आक्सीजन |मस्तिष्क के लिए सबसे ज्यादा शक्तिशाली खुद कों सकारात्मक आत्मसुझाव  देना हैं ,अर्थात अपनी कार्यक्षमता ,शक्ति और खुद से जुड़ी अच्छी बातों के लिए जिससे हम प्रेम करतेहैं , खुद को बार बार याद दिलाते रहना हैं |दूसरी खास बात हैं ,खुद कों selective बने रहने  का प्रशिक्षण देना |दुनिया में अच्छाई {प्रेम,करुना,दया,समृद्धि..इत्यादि },बुराई {नफरत,क्रोध ..इत्यादि .}दोनों हैं |हमे अपने हार्ड डिस्क कों अच्छाईयों से भरना हैं |अच्छाईयों के लिए सेलेक्टिव होना हैं,बुराईयां खुद ब खुद चली जायेंगी जैसे अँधेरे के नाश के लिए दिया जलाते हैं उसी तरह से   |अक्सर लोग brain power कों  boost करने के लिए भोजन के संदर्भ में  मुझसे सलाह मांगते हैं |लिहाजा यह पोस्ट मैं लिख रहा हूँ |

 फलो व सब्जियों में antioxidants एवं minerals होते हैं ,इनमे पर्याप्त मात्रा में fibres एवं  vitamins होते हैं |vitamin C अत्यन्त प्रबल antioxidants हैं |मस्तिष्क में इसकी ज्यादा मात्र होती हैं,और यह  neurotransmitter खासकर  dopamine के निर्माण में भाग लेता हैं |vitamin E कों mother of all antioxidants कहा जाता हैं ,यह mineral selenium के साथ खाने पर  stress कम करता हैं |fibers आन्त्रो कों साफ़ कर  उन्हें constipation से मुक्त रखता हैं जिससे vital energy बढती हैं ,और mind power boost होती हैं |

 brain का food केवल glucose हैं |जो खासकर अंगूर,गुड़,चुकन्दर dry fruits आदि में होता हैं | जब blood sugar level कम हों जाता हैं ,तब brain के functions बहुत slow हों जाते हैं |blood sugar के normal होने पर clarity of thought {विचारों की स्पष्टता }बढ़  जाती हैं |भोजन में यदि आप fat{चर्बी ,घी ,तेल ...}की मात्रा कम लेते हैं,तो ज्यादा बेहतर रहता हैं क्यूंकि जिस blood में fat की मात्रा ज्यादा होती हैं ,वो बेहतर circulate  नही कर पाता और blood circulation का बेहतर  level, hypothalmus,pituitary के function कों improve करता हैं ,हालाँकि गाय का घी इसका अपवाद हैं ,मेरी दादी स्वर्गीय श्रीमती रामदेई जिनके विचारों का स्पष्ट प्रभाव आप मेरे ब्लोगिंग पर पायेंगे ,वे मुझसे अक्सर कहती थी “गाय का घी मानसिक असंतुलन ..अर्थात उर्जा असंतुलन ,यादशक्ति कमजोर होने पर ,और शक्ति स्थायित्व की कमी में रामबाण हैं”आधुनिक विज्ञान भी  इस बात  का समर्थन करता हैं,डेयरी के उत्पादों में सबसे अच्छा दही हैं ,जो pro-biotic तकनीक से तैयार होता हैं  |जब आप starvation diet पर होते हैं तो आपका  brain भी .. ,आपके भूखे रहने के कारण कष्ट पाता हैं,जीरो फिगर के लिए डायटिंग कर भूखा मरने से बचे...मस्तिष्क आपको दुवाये देंगा|

      एक कहावत हैं ‘eat your protien first,before you touch carbohydrates’.....हर प्रकार की दालें ,जई{oat},oat flour,aot meal,oat milk,dried beans....अखरोट,बादाम कों भोजन में शामिल करना चाहिए |कुछ soya products कम fat वाले होने के साथ साथ उच्च amino acids युक्त होते हैं ,जो neurotransmitters के समुचित संचालन हेतु आवश्यक होते हैं |प्रोटीन के अच्छे विकल्पों में मछली और अलसी का तेल भी हैं ,जिनमे ओमेगा-३  fatty acids भी होते हैं |सेब,संतरा ,गुलाब जल,अदरक,लीची ,मछली ,गाय का दूध ,लहसुन ,जिनसेंग आदि उत्तम आहार हैं |

        जिनसेंग मस्तिष्क की क्रिया कों नोर्मल करता हैं |यह heart beat,b.p.,और blood sugar के स्तर कों सामान्य बनाये रखने में मदद करता हैं साथ ही endocrine activity तथा metabolism क्रिया कों चुस्त-दुरुस्त रखता हैं |यह drugs,alcohal,chemotherapy,एवं अन्य टोक्सिन के प्रति प्रतिरोधी भी हैं|इसका भी  इस्तेमाल ब्रेन के उत्तम स्वास्थ्य के लिए होता हैं |

    Ginkgo Biloba{cognitive inhancer}brain cells में  acetylcholine recepter की संख्या कों बढ़ाने में सहायता प्रदान करता हैं जिससे memory,thinking,विश्लेषण व reasoning,तथा मानसिक सजगता बढती हैं |यह brain में  blood circulation कों बेटर करता हैं |

    आजकल बाजार में प्रोसेस्ड फूड्स की भरमार हैं |इनकी क्वालिटी पर भरोसा नही किया जा सकता ,न ही इनके निर्माताओ के तरफ से तैयार की  गयी विज्ञापनों पर |डिब्बा बंद भोजन ,नुक्सान देह होते हैं इनसे कोलाईटीस का खतरा रहता हैं ,जो की  एक गंभीर  आंत्रीय रोग हैं |

 memory कम या ज्यादा नही होती यह सिर्फ trained या untrained होती हैं ,

    :) अगली बार जब भाभी जी {आपकी धर्मपत्नी }या भैया जी {आपके पति} आपसे कहें की “जब भगवान बुद्धि बाँट रहे थे तो तुम कहा थे/थी ...तो कदापि मत कहियेंगा ,की “तुम्हारे साथ फेरे ले रही थी/रहा था “....| :)
बल्कि  खुद कों अच्छी मेमोरी के लिए ट्रेन करना हैं ,ऐसा संकल्प किजियेंगा ,भाई मैं तो अभी से प्रैक्टिस करने लगा हूँ ..:)

लेखन -डॉ अजय

  

2 August 2013

“सफल होना कोई बडो का खेल नही बाबू मोशाय ! यह बच्चों का खेल हैं”!

एक कहावत हैं “लोग बूढ़े नही होते ,जब वे अपना विकास करना बंद करदेते हैं तो बूढ़े हों जाते हैं”..दोस्तों हमारी उम्र कितनी भी क्यूँ न हों ,जिंदगी में हमे कुछ भी बहुत बहुत बेहतरीन करना हैं तो एक बच्चे कि तरह विचार करना ही होंगा , डर का वास हमारे मस्तिष्क में होता हैं ,यदि हम अपने मस्तिष्क को डर से मुक्त कर दे तो अज्ञात में छलांग लगाने के काबिल हों जाते हैं ,|अक्सर आपने देखा होंगा बच्चे कहीं से भी कूद फांद सकते हैं क्यूंकि वे डर से मुक्त होते हैं |



 


 जीवन यकीनन बहुत सरल हैं ,यदि मन में रोमांच खुशी व उत्साह हों तो जीवन के रहस्य परत दर परत खुलने लगते हैं …इसलिए बच्चों की तरह उत्सुक बनना होंगा |



हमारा कार्य हमीं से शुरू होता हैं |हमारी दृष्टि खुशियो पर ही होनी चाहिए |आनंद ,उत्साह ,उमंग पर ही होनी चाहिए |हम जो खोंजेंगे वही पायेंगे |जैसा देखेंगे वों ही पायेंगे |सब कुछ हमारे हाथ में ही हैं |
दृष्टि कों सकारात्मक रखने के प्रयत्न से ,चीजों कों सही नजरिये से देखने के प्रयत्न से ..यह हमारे स्वाभाव का मूल गुण बन जायेंगा |फिर तो खुशियाँ ही रहेंगी ...आनंद ही रहेंगा |

बालपन की Empowering मान्यताओं को अपने भीतर हमे लगातार पोषित करते रहना चाहिए |क्यूंकि बड़े होने के साथ साथ अपने सपनो पर सीमाओं[LIMITATIONS] का कुहाशा बढ़ने लगता हैं ,विश्वास रखें हर लक्ष्य हम प् सकते हैं |
 

प्रार्थना जब खुद के लिए की जाती हैं तो बहुत सकारात्मक असर डालती हैं ,जब अपने लोगों के लिए की जाती हैं..तो और असरदार हों जाती हैं… यदि अज्ञात लोगों के लिए कि जाती हैं तो इसका असर बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली हों जाता हैं | 


हृदय से निकली एक साधारण प्रार्थना बड़ी से बड़ी बाधाओं को दूर कर सकती हैं ,आस्था रखिये |


 अपना एक मेमोरी अकाउंट खोल लीजिए |
खुशी के पलों कों लगातार जमा करते जाईये  |
परेशानी और कष्टों कों लगातार निकलते रहिये |
धीरे धीरे खुशिया बढती जायेंगी ........और दुःख घटते घटते कम होते जायेंगे |जब भी वक्त मिले हमे अपनी खूबसूरत जिंदगी की सौगातों कों याद कर लिया कीजिये ....
हमारा तो स्वाभाव हीं प्रेम हैं,दुखी होना,क्रोधित होना हमारा स्वाभाव नही हैं |जीवन में ऐसी बातें हों जाती हैं की क्रोध आ जाता हैं ,दुःख हों जाता हैं उस पर से अपना फोकस /ध्यान हटा देना हैं |जैसे क्रोध या दुःख आया हैं वैसे ही चला भी जायेंगा |आनंद ही स्थायी हैं |खुश रहना ही स्थायी भाव हैं |फिर हम दुखो में क्यों जिए???? ,,,आनंद उठाये |अपने हृदय के बंद दरवाजों, खिडकियोंको खोलिये…..उल्लास मनाएं तथा खुशियाँ बिखेरें …उत्सव मनाये |उत्सवधर्मी प्रकृति का होना आज के समय कि डिमांड हैं |अगर गाने का मन हैं तो गाईये  |जी भर गाइये ,गाने के सुर ताल-लय  ,ढंग पर न जाइये |नाचने का मन कर रहा हैं तो नाचिए|अरे !नाच ही लीजिए  |नाचने की स्टाईल पर मत जाइये  |हसने की इच्छा हैं तो खुलकर हँसिये |किसी की परवाह  न करिये|खुलकर जीयें |पूरी आज़ादी से विना किसी दबाव के जियें |
 पुरानी परिपाटियो और दकियानूसी विचारों को कायम रखना और उनका अनुसरण करना ठहराव हैं ….बदल डालिए जो आपके विकास में बाधक हों यहाँ तक की ईश्वर का स्वरुप भी ऐसा होना चाहिए जो हमारे हित में हों |




मिलेंगा जितना आप सोंच सकते हैं ,सब मिलेंगा |अपने पैर फैलाईये ,चादर खुद ब खुद फैलेंगी | ज्यादा की अपेक्षा लालच नही हैं ,यह दुनिया को अपने मुट्ठी में भर लेने कि आकांक्षा हैं ,चुनौती स्वीकार करे ,ज्यादा की अपेक्षा कीजिये |जिंदगी आसान हैं |
दूसरों कों खुशी देखकर हमे भी अपनी खुशियों कों बढ़ाना हैं |दूसरों के दुःख देखकर हमे अपना दुःख कम करना हैं |जीवन परिवर्तन शील हैं |जो कल था ,आज नही हैं |जो आज हैं ,कल नही रहेंगा |अपना कर्म ही समस्त सुखो का आधार हैं |अपने कर्तव्य के  पालन द्वारा ही हम शांत -चित्त बने रह सकेंगे |




सपने संजोये …क्यूंकि …..
सपने हर हाल में पुरे होंगे हीं…संकल्प कि नीव पर जो टिके हैं,मेहनत के विश्वास और असीम हिम्मत पर आधारित हैं जो  ………..अनंत तक पहुचने का प्रयास कीजिये |केवल एक बच्चा ही बेहिचक और अनजाने में कुछ भी कर सकता हैं,बच्चे जैसी डेयरिंग कीजिये  |


आप असीम हैं ,अनंत हैं |इस ब्रम्हांड की सीमा से भी बड़ी आपकी सीमा हैं ,झूठे विश्वास लिमिटेसंस कों तोडिये |आजाद होईये |

जीवन की कठोर सच्चाईयों में भी कोमलता देखें …अपने हृदय की आवाज सुनिए …आँखों को वह सब देखने दिया जाना चाहिए जो हृदय महसूस करता हैं |

आगे बढते रहना हैं, चाहे कितनी भी विपरीत परिस्थितियाँ क्यूँ न हों ….चाहे जितने व्यवधान आये ,चाहे जितने संकट आये ……संघर्ष ही हमे मजबूत बनाएंगा…..रचना करें ऐसी परिस्थितियो का जो हौंसला दे किसी भी विषमता में …



बचपन में चंद पंक्तियाँ सुनी थी -
समर में घाव खाता हैं ,
उसी का मान होता हैं .
छिपी उस वेदना में …
अमर वरदान होता हैं |
सृजन में चोट खाता हैं
छेनी और हथौरी से
व्ही पाषाण कहीं मंदिर में ..
भगवान होता हैं ..

खुद पर विश्वास रखना हैं क्यूंकि ……………..

खुद पर विश्वास रखना हैं क्यूंकि ……………..

जीवन में हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती हैं  | हैं  न |
मुहम्मद अली बोक्सर के बारे में मैंने सुना हैं की ,वे अपने हर मुक्के के साथ बोलते थे "I'M GETTING BETTER AND BETTER".
कोई कार्य असम्भव {IMPOSSIBLE}सिर्फ इसलिए होता हैं की इससे पहले कोई उसपर कोशिश हीं नही किया होता |आप और हम... आईये ...हर असंभव कों संभव बनाये ,नई परिभाषाये गठित करें |



हर    विजेता ,   सिर्फ   जीत    पर   ध्यान रखते हैं ,और जिस चीज पर हम ध्यान रखते हैं उर्जा उसी की दिशा में बहती हैं |
मैं पहले ही लिख चूका हूँ ,और दुहरा रहा हूँ की  हम मानव लोग ,आत्मिक जीव हैं ,जो एक महान उद्देश्य के लिए इस पृथ्वी पर आये हुए  हैं|

जब आप योग्यता रखते हैं तो सफलता के शिखर को क्यूँ नही छूते ….क्या रोक रहा हैं? भीतर से….. ,पकड़िये और निकाल फेकियें …..क्यूंकि हम सभी सिर्फ सफल होने के लिए ही पैदा हुए हैं |उड़ान भरें |


किसी शायर ने ठीक ही कहा हैं-
  •     वही है जिन्दा ,जिसकी आस जिन्दा है,
                 वही है जिन्दा ,जिसकी प्यास जिन्दा है,
                 श्वास लेने का नाम ही जिंदगी नहीं,
                 जिन्दा वही है ,जिसका 'विश्वास'जिन्दा है!






मुस्कुराएं ! दुनियां में इसकी बराबरी करने वाली कोई चीज हैं क्या ????आओ खुश रहें ..जो भी करें उसमे खुशी खोजिये .आनंद खोजिये |
जरा महसूस कीजिये ..आपने बचपन कों,
बचपन के आनंद को|
एक कहावत  हैं "Happiness is more a state of health than of wealth"
प्रेम कोई सीमा नही बांधता ,कोई बंधन नही मानता ,जाति धर्म सम्प्रदाय …इंसान जानवर जैसी हर सीमा से मुक्त होता हैं …इसके साथ कोई शर्ते नही जुड़ी होती हैं |
 वैसे ..राम चरित मानस में तुलसी जी कहते हैं - "शुद्ध प्रेम ” ( अनन्य ) से मनुष्य के ऊपर जैसी कृपा ईश्वर की होती है , वैसी कृपा किसी भी प्रकार के योग ,जप , दान , तपस्या , विभिन्न प्रकार के यज्न /यग्य , व्रत और नियम करने से नहीं होती . ”

प्रेम-मय हों जाए-



जीवन में एक क्षण भी खुशियों का न जाने पाए …कल किसको जीना हैं भला ..बस आज आओ उत्सव मनाये …


कभी हार नही मानना हैं …….हम सब हैं विजेता ……SUCCESS का SOFTWARE सबके भीतर इंस्टाल हैं ,बस इस्तेमाल करना हैं ……




सभी का अभिवादन !

जय हिंद ,वन्देमातरम !
-डॉ अजय की प्रस्तुति |
{कुछ  चित्र -गूगल/फेसबुक  से साभार}

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