कहते हैं सफल होना है तो सपने देखो मगर केवल सपने देखना पर्याप्त
नहीं है,बल्कि आपके अंदर उसे
पाने की तीव्र इच्छा एवं अदम्य साहस का होना
जरुरी है|सूचना क्रांति के इस दौर
में भले ही दुनिया तेजी से सिकुड़ती
जा रही हो लेकिन सच तो यह है कि अधिकतर नवयुवक यह जानते ही नही हैं कि
उन्हें करना क्या है,वे दूसरे
को कुछ करता देख वैसा ही करने के लिए भेड़चाल
में चल पड़ते हैं|भेड़चाल
में चलने के बजाय यदि अपनी क्षमताओ का आकलन करते
हुए लक्ष्य निर्धारित करें तो सफलता प्राप्ति सुनिश्चित है|सफलता कोई अजूबा
नहीं बल्कि कुछ बुनियादी उसूलों का लगातार पालन करना है|
हम अपने भाग्य के निर्माता हैं,जो कार्य हमारे सामने हैं ,वह हमारी शक्ति से परे नही हैं तथा इसको पूरा करने के लिए जो कष्ट सहना पडेंगा,वह भी हमारी सहन शक्ति से अधिक नही हैं और जब तक हमे अपने जीवन प्रयोजन और जीतने की अजेय इच्छाशक्ति पर विश्वास हैं,कोई भी सफलता हमसे अधिक दूर नही रह सकती |{ winston churchill}
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29 September 2013
14 September 2013
हर संडे डॉ सिन्हा के संग-४
{इस रविवार मैं गुरुदेव की कक्षा में लगभग दौरते हुए पंहुचा और जाकर पीछे बैठ गया }
प्यारे बच्चों !लक्ष्य निर्धारण के लिए हमने काफी कुछ अभ्यास कर लिया
हैं,अब आप सब निम्न सारणी कों भरें |लेकिन इससे पहले कुछ सवाल खुद से पूछ लीजिए-
१]मुझे जीवन में क्या चाहिए ?What i want in my life?
2]मैं जीवन में क्या करना चाहता हूँ ?
What i want to do in my life?
३]मैं जीवन में क्या बनना चाहता हूँ ?What i want to become in my life?
4]मैं किस तरह से जीना चाहता हूँ ?How do i want to live?
अब इस सारणी कों उपर से नीचे भरे ,यानी पहले जीवन का उद्देश्य ,फिर
उसे पाने के लिए एक साल में कितनी मेहनत ,पांच साल में कितनी मेहनत ,१० साल में
कितनी मेहनत करनी होंगी |
{चित्र पर क्लिक करके बड़ा कीजिये }
सही दिशा की मेहनत और सही तरह की मेहनत बहुत महत्वपूर्ण हैं |जीवन
में लक्ष्य का तो बहुत ही ज्यादा महत्व हैं एक सही लक्ष्य हमे हमारे सपनो के करीब
बहुत तेजी से ले जाता हैं |
जीवन में सही लक्ष्य का बहुत महत्व हैं ,लक्ष्य यानि जीवन का नक्शा |
मान लीजिए आपको इलाहाबाद से लखनऊ जाना हैं ,और आपको कानपुर का नक्शा दिया हैं तो क्या आप उस् नक्शे की सहायता से लखनऊ जा सकते हैं…………………………………………………………………………….
नही ?
फिर हम गलत नक़्शे की सहायता से अपने जीवन में जो चाहतें हैं
जीवन में सही लक्ष्य का बहुत महत्व हैं ,लक्ष्य यानि जीवन का नक्शा |
मान लीजिए आपको इलाहाबाद से लखनऊ जाना हैं ,और आपको कानपुर का नक्शा दिया हैं तो क्या आप उस् नक्शे की सहायता से लखनऊ जा सकते हैं…………………………………………………………………………….
नही ?
फिर हम गलत नक़्शे की सहायता से अपने जीवन में जो चाहतें हैं
वो कैसे हाशिल कर सकतें हैं ?
कुछ लोग लक्ष्य का निर्धारण ५ मिनट में कर लेतें हैं
आप बाजार एक पैंट खरीदने जाते हैं सैकड़ो पैंटो में से एक पैंट चुनतें हैं |फिर आपकी जिंदगी इतनी कीमती हैं उसके लिए लक्ष्य निर्धारण इतने अल्प समय में कैसे कर लेते हैं ?
पूरा सोच विचार ,आकलन करने के पश्चात्…….अपनी स्थिति का सही निर्धारण करने के बाद ही स्मार्ट लक्ष्य बनाने चाहियें |
हमे अपने ज्ञान को लगातार बढाते रहना होंगा क्यूंकि बीते हुए कल में आपका शैक्षिक जानकारी स्तर क्या था ,यह आज पुराना हों चुका हैं आज के अनुसार अपडेट करना होंगा |
खुद को लगातार प्रेरित करना होंगा यदि हमे हमेशा सर्व-श्रेष्ठ प्रदर्शन करना हैं तो ….
ज्ञान मे शक्ति बनने की परम शक्ति हैं |
जीवन में संघर्ष के बिना कुछ हाशिल नही होता किसी कवि ने कहा हैं , ने कहा हैं –
‘समर में घाव खाता हैं ,
उसी का मान होता हैं .
छिपी उस वेदना में ,
अमर वरदान होता हैं ,
सृजन में चोट खाताहै,
छेनी और हथोरी से ,
वही पाषाण कही मंदिर में
भगवान होता हैं …….
कुछ लोग लक्ष्य का निर्धारण ५ मिनट में कर लेतें हैं
आप बाजार एक पैंट खरीदने जाते हैं सैकड़ो पैंटो में से एक पैंट चुनतें हैं |फिर आपकी जिंदगी इतनी कीमती हैं उसके लिए लक्ष्य निर्धारण इतने अल्प समय में कैसे कर लेते हैं ?
पूरा सोच विचार ,आकलन करने के पश्चात्…….अपनी स्थिति का सही निर्धारण करने के बाद ही स्मार्ट लक्ष्य बनाने चाहियें |
हमे अपने ज्ञान को लगातार बढाते रहना होंगा क्यूंकि बीते हुए कल में आपका शैक्षिक जानकारी स्तर क्या था ,यह आज पुराना हों चुका हैं आज के अनुसार अपडेट करना होंगा |
खुद को लगातार प्रेरित करना होंगा यदि हमे हमेशा सर्व-श्रेष्ठ प्रदर्शन करना हैं तो ….
ज्ञान मे शक्ति बनने की परम शक्ति हैं |
जीवन में संघर्ष के बिना कुछ हाशिल नही होता किसी कवि ने कहा हैं , ने कहा हैं –
‘समर में घाव खाता हैं ,
उसी का मान होता हैं .
छिपी उस वेदना में ,
अमर वरदान होता हैं ,
सृजन में चोट खाताहै,
छेनी और हथोरी से ,
वही पाषाण कही मंदिर में
भगवान होता हैं …….
1 September 2013
सबसे बड़ा रोग ! क्या कहेंगे लोग ?
रीना ने आज खुद के मुताबिक सफलता की सबसे ऊँचे पायदान को छुवा था,जिस चीज को उसने पाना चाहा था आज उसने पा लिया|पर इन सब में सबसे खास बात यह थी कि रीना ने अपनी जिंदगी में कभी मेहनत नही करना सीखा,उसकी फिलोसिफी थी कि मेहनत स्मार्ट थिंकर्स नही करते ..भगवान ने इंसान को इतना अक्ल दिया हैं,फिर मेहनत करने कि जरूरत क्या हैं?मेहनत के बजाय यदि किसी चीज कि जरूरत हैं तो वो हैं अपने कार्य कों पसंद और इंजॉय करना|जिन चीजों को आप पसंद करते हैं अगर उनको इंजॉय करना सीख जाते हैं तो हर चीज बहुत सरल हों जाती हैं |दसवी की परीक्षा में उसने बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ,फिर आज इंजीनियरिंग में उसने टॉप किया था …फिर भी कहती हैं वो कभी मेहनत नही करती ..आखिर राज क्या हैं उसकी सफलता के पीछे आईये उसके जीवन का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं –
रीना हमेशा लाईट ट्रेवेल
करती हैं
अर्थात बिना फिजूल के इमोशंस ,गिल्ट ,इम्प्रेशन
आदि के चक्कर में वह नही पड़ती
न ही इन इमोशंस को अपने मष्तिष्क में रखती हैं | आप उसे
पसंद करो या नापसंद
करो ..वह इस चीज के पीछे कभी परेशान नही होती कि ….क्या
कहेंगे लोग ??…अक्सर वह
कहती भी हैं कि “सबसे बड़ा
रोग क्या कहेंगे लोग”|अक्सर उसे मैं हवाओ
से बातें करते खुले अम्बर तले खुले उड़ते बालो में साईकिल भागाते देखा हूँ | वह कहीं
भी नुक्कड़ पर चाट खा सकती हैं ,किसी भी
दूकान से स्टेशनरी
खरीद सकती हैं ..इस मामले में उसे जो अच्छा लगता हैं करती हैं |बिना वजह
के फेसबुक पर वक्त नही बिताती क्यूंकि उसको इसकी जरूरत नही लगती …इस विषय
में रीना अक्सर कहती हैं “हम लोगों
को करना हैं ……पांच
कार्य और करते
पच्चीस हैं ,बिना वजह
अपने जिंदगी में काम्प्लिकेसंस पैदा करते हैं”|हमे जिंदगी में जो करना
चाहिए सिर्फ वही करें तो हमारी जिंदगी यक़ीनन बड़ी सरल
हों जाती हैं ,नही तो …………………हम स्वाद
और चस्के लेने कि आदत के इतने
गुलाम हों गए हैं, कि हम वो
चीज भूलते जा रहें हैं जो यक़ीनन बहुत महत्वपूर्ण
हैं हमारे लिए अक्सर हम लोग जीवन ऐसे जीते हैं जैसे कल कि तैयारी कर
रहें हों लेकिन क्या कल किसी ने देखा हैं ?नही न….रीना का विश्वास हैं कि अपने
लक्ष्य पर फोकस किया जाय तो रिजल्ट के रूप में ‘जादू’{magical results]आते हैं |
**********************
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ईश्वर के पास एक डिक्सनरी हैं, जिसमे सिर्फ एक ही शब्द हैं “तथास्तु”{granted}.
एक महिला कहती हैं “मुझे कोई नही चाहता”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”|
दूसरी महिला कहती हैं “मुझे !हर कोई चाहता हैं ,मेरा सम्मान करता हैं”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”
आप जैसी भी सोंच या भावना रखेंगे ,भगवान का तथास्तु{granted} हमेशा चलता रहता हैं |अब आप कहाँ कहाँ तथास्तु चाहते हैं ,ईश्वर से ??
चुनाव आपका हैं |
5 August 2013
जिंदगी {आपसे कुछ कह रहीं हैं ....}
मैं जिंदगी हूँ ,मेरा वजूद बहुत हसींन और सौम्य हैं | ताजे खूबसूरत खिलते गुलाब सी खूबसूरत या मुस्कुराते/खिलखिलाते बच्चे सा खूबसूरत मेरा अस्तित्व हैं |वैसे तो मैं दुनिया के हर जीव में हूँ ,पर मैं खुद को इस पृथ्वी के सबसे बेहतरीन एवं उन्नत निर्माण ....इंसान के माध्यम से खुद को यहाँ व्यक्त कर रही हूँ |
इंसानों के विषय में मैं कहूँ तो ज्यादातर इंसान मुझे ऑटोपायलट मोड पर रखते हैं ,उनकी जिन्दंगी में अगली क्या चीज होंगी इसका फैसला परिस्थितियां या लोग करते हैं ,कुछेक मुझे खुद आपरेट करते हैं ,जिनके साथ मैं बहुत खुशी और सुखी रहती हूँ |मेरा जीवन काल तो असीम और अनंत हैं पर तुम मनुष्य लोग इसे औसतन ९६० महीने या २९००० दिन जैसा छोटा जीवन काल की मान्यता रखते हों ,और जानते हों जिसकी जैसी मान्यता उसको वैसा ही फल,इस बात को प्राचीन ऋषि मुनि समझते थे|इस छोटे ग्रह पर ,इस अल्प जीवन काल में भी कुछ लोग अपना जीवन ऐसे जीते हैं जैसे उन्हें यहाँ हमेशा रहना हैं ..किन्तु मेरी {जिंदगी}मंजिल ही मौत हैं ,इस बात पर ध्यान नही देते ,आप तो जानते ही हों किसी के रहने न रहने से कोई फर्क नही पड़ता ,दुनिया वैसी ही चलती रहेंगी शिवाय इसके की दुनिया को आपकी देंन क्या हैं ?आप क्या छोड़ के जा रहे हैं ?आपका योगदान {contribution}क्या हैं ?
मैं आपकी जिन्दंगी हमेशा आपके भीतर के नेता को बिना किसी उपाधि के बेस्ट कार्य करने को प्रेरित करती हूँ,बेस्ट कार्य करने के लिए कोई टोपी पहनने की जरूरत नही हैं,बल्कि सजगता और लगन की जरूरत हैं |मैं हमेशा आपसे ,आपके मौन,बेहद शांत ,स्थिर अवस्था में आपसे बोलती हूँ ,पर आपके पास मुझे सुनने का वक्त ही नही होता,दिन भर आप क्लायिन्ट्स,मरीजो,मशीनों,फेसबुक,ट्विटर पर व्यस्त रहते हों,खुद से मिलने की सभी लाईने व्यस्त हैं |सुनों ! मौन की अवस्था में आप इस ब्रम्हांड की फ्रीक्वेंसी से जुड़ने लगते हों,वही फ्रीक्वेंसी मेरी भी हैं ,क्यूंकि इसी ब्रम्हांड के कणों तत्वों से मैं भी बनी हूँ,जिनसे यह ब्रम्हांड बना हैं |नार्मन कजिम्स ने कहा भी हैं “जिंदगी की त्रासदी मौत में नही,बल्कि जीते जी अंतर्मन को मारने में हैं”मैं तुम्हारी जिन्दंगी कोई ट्रायल बाल नही हूँ ,बल्कि ऐसी गेम हूँ जिसे खेलने का सिर्फ एक मौका मिला हैं और परफार्मेंस भी उम्दा दर्जे की करनी हैं ,क्यूंकि दाँव पर आने वाली कई पीढियाँ होती हैं|
वैज्ञानिकों के अनुसार एक दिन में लगभग ६० हज़ार विचार हमारे मन में आते हैं |जिसमे ज्यादातर घिसे-पिटे ,नकारात्मक चिंतन और फ़ालतू के विचार होते हैं ,जो लगातार चलते हैं |लगातार चलते हुए विचार आपको सृजन कि अवस्था में ले जाते हैं,मन को परिपक्व बनाओ ,हर घटना को उसकी सही कीमत दो|आप वैसे बिना किसी कार्य के किसी को दस रूपये तो देने से पहले दस बार सोचते हों,पर यदि उसने आपको गाली दी तो आप कम से कम दस दिन तक उसे मजा चिखाने का मौका ढूढते रहते हों,क्यों भई ! वों तो आपको गाली देकर आपके आत्मसंयम को परख रहा हैं|देखो तुम्हारे विचार शक्तिशाली जीवित बस्तुये हैं |जितना तुम अच्छा एहसास रखोंगे ,उतनी ही ज्यादा खूबसूरत मुझे देख पाओंगे |
मैं जिन्दंगी हूँ !मैंने देखा हैं की कुछ लोग हमेशा भय में ही जीते हैं प्रशंसा या स्वीकृति की जरूरत ,चीजों को नियंत्रित करने की जरूरत ...से सब भी भय से ही आते हैं |भय तुम्हारी खुद की निर्मित वस्तु हैं ,जैसे तुम किसी भी निर्मित वस्तु को नष्ट करते हों ,वैसे इसे भी नष्ट कर दो |जैसे ही भयमुक्त जीवन जीने लगोंगे...मैं और खूबसूरत दिखने लगूंगी ,मेरा सौंदर्य ,मेरी नाजुकता निखर के आ जाएँगी |
मैं जिन्दंगी हूँ | तुम्हे लोगों स्थितियो और घटनाओं को उसी रूप में स्वीकार करने का हुनर आना चाहिए जिस रूप में हैं ,क्यूंकि यह परफेक्ट क्षण हैं |इस क्षण को बनाने में ब्रम्हाड की पूरी भूमिका हैं |इस क्षण को पूरी तरह जी लों ,निचोड़ लो,ताकि अगर यमराज भी आये तो,साथ चलने को कहें तो,साथ हँसते हुए निकल सको |
मैं जिन्दंगी हूँ ,मैं असीम हूँ पर तुम तथाकथित बुद्धिमानी का भ्रम रखने वाले ,अहंकारी मानव मुझे सीमाओं में बांधकर,मेरे लिए बाउंड्री-वाल बनाकर अपने ही पैरों पर कुल्हारी मारते रहते हों........कि तुम ये नही कर सकते,. वों नही कर सकते.........,हमेशा कमी का रोना रोते हों|तुम जान लो की तुम अपनी सीमाओं से उपर कभी नही उठ सकते |जितनी ज्यादा तुम चादर फैलाओगे,उतनी ज्यादा ही ज्यादा यह फैलती जायेंगी |समाधी की अवस्था में हवा में उड़ने वाले महर्षि योगी या ऐसे अनेक ऐसे लोगों को तुम जानते हों जिन्होंने हर सीमाओं को तोडा,यकींन मानो हर सीमा तुम्हारी खुद की निर्मित वस्तु हैं..............!खुद को वह देखने दो जो तुम्हारा दिल महसूस करता हैं,न की वह जो तुम्हे दुनिया दिखाती हैं | तुम्हारे मस्तिष्क की हर झूठी सीमा भय आधारित हैं बस ,और भय चेतना की नकारात्मक धारा के अतिरिक्त कुछ भी नही हैं | भौरा एक छोटा कीट ,वायुगतिकी के सिद्धांत के अनुसार उसके पंख इतने छोटे होते हैं की उसके शरीर के भार को वहन नही कर सकते ..किन्तु भौरे को यह बात पता नही हैं ..उसे भौतिकी नही आती ....वह उड़ता रहता हैं |तुम जो हाड़-मांस दीखते हों उससे कही अधिक हों ,सारे संसार की शक्ति तुममे समाहित हैं !समझे तुम |हर एक बीज में जंगल बनने कि प्रत्याशा समायी हुयी होती हैं |
जब तुमसे जुदा होने का वक्त आता हैं,जिसे तुम एक उत्सव यानि -मौत कहते हों ,तब तुमको अक्सर याद आता हैं की, तुमने अभी तो मुझे {जिन्दंगी कों}ठीक से पहचाना ही नही |आखिरी समय में तुम्हे लगता हैं की कोई जीवनराग अभी अधूरा ही रह गया जो तुम गा ही नही सके |आखिरी समय में तुम पाते हों की हर आपदा को जीत में और शीशे को सोने में बदलने का हुनर तुमने सीखा ही नही |अब आखिरी वक्त में तुम्हे इस बात पर पक्का यकींन हों गया की वर्तमान का कार्य ,वर्तमान में ही किया जा सकता हैं{पर इस समय तुम्हारे पास वर्तमान का ज्यादा वक्त ही नही हैं } अतीत और भविष्य का जन्म तो कल्पना से होता हैं ,अतीत को तुम केवल याद कर सकते हों और भविष्य की सिर्फ कल्पना कर सकते हों |
कुछ ऐसे लोग हैं जिनके साथ रहने में हर क्षण हर पल मेरा मान ,मेरी खूबसूरती केवल बढती हैं ,दुनिया के लोग,इन लोगों को सम्मान में अपना सिर झुकाते हैं ,ये लोग मुझे गेम की तरह खेलते हैं ,इनका गेम खेलना सचमुच मुझे रोमांचित कर जाता हैं ,ये लोग अपनी पूरी प्रतिभा ,संसाधन ,युक्ति एवं उपाय तथा अपनी सर्वोत्कृष्ट क्षमता महान कार्यों में लगाते हैं ,हर कार्य को श्रेष्ठता और निर्दोष मानकों के अनुसार करते हैं ,हमेशा हर परिस्थिति में आशावादी बने रहते हैं,मैं खूबसूरत जिन्दंगी ! इन लोगों की स्वामिनी नही.... दासी हूँ |
लेखन –अजय यादव
@मौलिक एवं अप्रकाशित
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मैं लगातार मिलने वाली असफलता से टूट चूका था ,पढाई से कोसो दूर....... हर परीक्षा में फेल .....,समझ में नही आता था की मेरा लक्ष्य क्या हैं ?...