9 साल का छोटू ढाबे पर काम
करता हैं ,जूठे बर्तन साफ़ करना,चाय पहुँचाना ,चाय का ग्लास उठाना ,उसका रोजमर्रा
का काम हैं ,कुछ मिनट पहले छोटू मेरी भी चाय लेकर खड़ा था मैं सोचने को मजबूर हो
गया |विश्व में छोटू जैसे 40 करोड़ बाल श्रमिक अपना बचपन बेचने के लिए मजबूर हैं
किन्तु वर्ष 2014 में घोषित शांति के नोबल पुरस्कार ने एक बार पुनः समाज और सरकार का ध्यान खीचा हैं तथा बालमन में
सुनहरे भविष्य की आशाये भर दी हैं |
आकड़ो पर ध्यान दें, तो
विश्व में 40 करोड़ बाल श्रमिक हैं ,उनमे से सर्वाधिक बाल श्रमिक भारत में हैं ,हर
चौथा बाल श्रमिक भारतीय हैं |आंध्रप्रदेश में सबसे अधिक बाल श्रमिक हैं दूसरे
नम्बर पर संयुक्त रूप से यू पी और दिल्ली हैं ,कम से कम 50 लाख बाल श्रमिक ईट
भट्ठे पर ,लगभग 10 करोड़ बाल श्रमिक 6-14 वर्ष के हैं जो असंगठित क्षेत्रो में
कार्य कर रहे हैं लगभग 20 % घरेलू नौकर हैं |
छोटू के सात भाई बहन हैं ,2
बड़े हैं जिनकी उम्र क्रमशः 13 व् 10 साल हैं ,दोनों ईट भट्ठे पर काम करते हैं
,पिता को शराब की लत हैं वो भी उसी ईट भट्ठे पर काम करता हैं, माँ दूसरो के घरो
में बर्तन मांजती हैं ,छोटू को इस ढाबे पर 50 रूपये व् दो जून का खाना मिलता हैं
,ढाबे पर छोटू के श्रम की बस इत्ती सी कीमत हैं |
भू-स्वामी,उद्योगपति बच्चो
को कम पैसे देकर काम करा लेते हैं |परिवार का बड़ा आकार होने के कारण माँ बाप
इन्हें भरपेट भोजन नही दे पाते हैं ,ऐसे में इन्हें बीडी के कारखाने,ईट भट्ठे
,कांच की फैक्ट्रियो या फिर बाईक रिपेयरिंग की दूकान पर रखवा देते हैं ,जहाँ इन
बच्चो का जीवन पूरी तरह अंधकारमय हो जाता हैं |
किसी बुजुर्ग और बच्चे के
साथ होने वाला दुर्व्यवहार मुझे अंदर तक हिला देता हैं ,छोटू जैसे बच्चो की पढ़ाई के
लिए मैं वर्षो से काम कर रहा हूँ ,और उपेक्षित बुजुर्गो के लिए योजनाओं पर
क्रियान्वयन चल रहा हैं क्या आप मेरे साथ हैं ?यदि हैं तो बाल श्रमिको से अच्छे से
पेश आये और हाँ उनकी एजुकेशन और अन्य जरुरी मदद कर सके तो जरुर करे,ईश्वर देख रहा
हैं | प्लीज |