कहते हैं सफल होना है तो सपने देखो मगर केवल सपने देखना पर्याप्त
नहीं है,बल्कि आपके अंदर उसे
पाने की तीव्र इच्छा एवं अदम्य साहस का होना
जरुरी है|सूचना क्रांति के इस दौर
में भले ही दुनिया तेजी से सिकुड़ती
जा रही हो लेकिन सच तो यह है कि अधिकतर नवयुवक यह जानते ही नही हैं कि
उन्हें करना क्या है,वे दूसरे
को कुछ करता देख वैसा ही करने के लिए भेड़चाल
में चल पड़ते हैं|भेड़चाल
में चलने के बजाय यदि अपनी क्षमताओ का आकलन करते
हुए लक्ष्य निर्धारित करें तो सफलता प्राप्ति सुनिश्चित है|सफलता कोई अजूबा
नहीं बल्कि कुछ बुनियादी उसूलों का लगातार पालन करना है|
हम अपने भाग्य के निर्माता हैं,जो कार्य हमारे सामने हैं ,वह हमारी शक्ति से परे नही हैं तथा इसको पूरा करने के लिए जो कष्ट सहना पडेंगा,वह भी हमारी सहन शक्ति से अधिक नही हैं और जब तक हमे अपने जीवन प्रयोजन और जीतने की अजेय इच्छाशक्ति पर विश्वास हैं,कोई भी सफलता हमसे अधिक दूर नही रह सकती |{ winston churchill}
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29 September 2013
13 September 2013
हर संडे डॉ सिन्हा के संग -३
{डॉ सिन्हा के उदारपूर्ण व्यक्तित्व और अपनेपंन की भावना से हम सब अभिभूत थे |अनुभव और ज्ञान के चलते फिरते विश्वविद्यालय ,बुजुर्ग और Animal Spirits वाली नवजवानों की पीढ़ी के बीच ज्ञान,आध्यात्म और दर्शन का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण का विहंगम दृश्य लेकर मैं अजय एक बार फिर से हाजिर हूँ}
हमारी आज की कक्षा फूलों के बगीचे में घने बरगद के वृक्ष के नीचे एक
पक्के चबूतरे पर आयोजित हैं |लाल ,गुलाबी,
हरे, सफ़ेद, बैगनी और
अन्य सैकड़ों इन्द्रधनुषी रंग के फूल चारो ओर खिलकर अपनी मधुर सुगंध विखेर रहें हैं
|ऊँचे ऊँचे वृक्षों पर पंक्षी कलरव कर रहें हैं ,कोयल की कुं-कुं ,पपीहे की प्युं-प्युं ध्वनि कानो
कों बड़ा सुकून दें रहीं हैं | सामने छोटे जलाशय में सफ़ेद
सफ़ेद बत्तखें एवं कुछ हंसो का जोड़ा हरे-हरे नरम घास पर विचरण कर रहा हैं,ठंडी हवाएं हमारे तन-मन कों शीतलता प्रदान
कर रहीं हैं,स्फूर्ति ,नवजीवन और अदभुत
एहसास से हम बड़ा ही अलौकिक महसूस कर रहें हैं ,ऐसा लग रहा
हैं की भीतर से कुछ मजबूत हों रहा हैं ,जिसे आप इरादा कह
सकतें हैं ,कमिटमेंट कह सकतें हैं ,जिजीविषा
या जीवन शक्ति भी कह सकतें हैं |
मंच पर अचानक सभी शांत हों गए हैं,क्यूंकि गुरुदेव आ चुके हैं |सफ़ेद सौम्य कपड़ो में डॉ
सिन्हा देवदूत सरीखे लग रहें हैं ,आज उनके साथ मिसेज सिन्हा
भी हैं|बेहद खूबसूरत कपल....|
दोस्तों !हर उम्र का
एक सौंदर्य होता हैं ,एक बच्चे ,एक युवा ,एक बुजुर्ग हर एक में अलग अलग उम्रो की विशिष्ट नैसर्गिक आभा होती हैं |आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे |
हल्के योगासनों और ध्यान के बाद डॉ सिन्हा ने हम सबको संबोधित किया ..
"जब हम विषम से विषम परिस्थितियो
में भी अपने सर्वोच्च जीवनमूल्यों और विश्वासों के अनुसार जीते हैं तो हम मानसिक शांति का आनंद लेते हैं ,अन्यथा हम जिंदगी भर
इसकी तलाश में भटकतें रहते हैं जबकि यह हमारी नैसर्गिक अवस्था हैं'|
अब सभी लोग अपनी आँखे बंद कर लें |गहरी सांसे
खींचे ,सांसो कों आता जाता देखें,महसूस
करें साँसों पर ध्यान रखें|दो मिनट तक यह अभ्यास जारी रखें.....
रिलैक्स ..........रिलैक्स ..........रिलैक्स
१
मिनट....
२
मिनट....
'अब आप अपने आदर्श जीवन की कल्पना करें ,की तत्वों का कौन सा क्म्पोजिसन आपको पूरी तरह आनंदित बनाएंगा ,खुश रखेंगा |इस पल आपको यह चिंता नही करना हैं की
आपके लिए क्या संभव हैं क्या नही हैं |अपने मस्तिष्क कों
सीमाओं से मुक्त कर दें |और स्पष्टता से अपनी भौंहों के ऊपर
बंद आँखे ले जा कर कल्पना किजीयें की मानसिक शांति के लिए आपको क्या क्या चाहिए ?
आप क्या करेंगे ?
आप कहाँ रहेंगे ?
आपके साथ कौन रहेंगा ?
आप अपना समय {रात/दिन }कैसे बिताएंगे ?
आपका काम हर तरह से उत्कृष्ट होने पर कैसा दिखेंगा ?
आपके प्रियजन पूर्ण शांति और सुख की अवस्था में रहें तो आपका पारिवारिक
जीवन कैसा होंगा ?.........
खास बात यह हैं की आप उस
लक्ष्य पर निशाना नही लगा सकते,जो आपकी नजरो में न हों ,इसलिए अगर किसी चीज कों आप स्पष्टता से विजुलायिज कर सकतें हैं ,तो उसे आप पा भी सकते हैं |
********
हमारा शरीर अदभुत हैं ,इसके साथ अगर हम कुछ निश्चित चीजे
करना बंद कर दें तो यह अक्सर अपने आप ठीक हों जाता हैं ,किन्तु
हम तम्बाकू,निकोटीन ,अल्कोहल...
अनावश्यक ड्रग्स द्वारा इसके साथ दुर्व्यवहार करते रहतें हैं,फिर भी ईश्वर निर्मित इस अदभुत यांत्रिकी में दुबारा स्वस्थ्य व उर्जावान
होने की प्रत्याशा समायी हैं |
आदर्श सेहत हैं ,आपकी ऐसी कल्पना कीजिये |आदर्श फिटनेस
पाकर आप कैसे दिखेंगे ?किसा महसूस करेंगे ?आपका वजन कितना होंगा ?आप कैसा भोजन और व्यायाम
करेंगे ,एरोबिक्स करेंगे या भारी कसरत |
************
हम सब सामाजिक जीव
हैं ,हमारे सम्बन्ध इंसान के रूप में हमारी सफलता के पैमानें हैं
|कोई परिवार कितना खुश रहता हैं ,कितना
आपस में लोग हंसते हैं ,इसी से सम्बन्धों का हाल चाल पता चल
सकता हैं |जीवन में आप सबका लक्ष्य एक ऐसा मानवीय परिवेश
बनाने का होना चाहिए जिसमे आप खुश ,संतुष्ट और सुखी रहें |
आपका आदर्श सम्बन्ध किसके साथ
होंगा ,कैसा दिखेंगा?अगर आप अपने
महत्वपूर्ण संबंधो की कल्पना पुरे डिटेल के साथ कर सकें ,तो
संबंधो में क्या ज्यादा चाहेंगे क्या कम ?आप अपने जीवन में
उन परिस्थितियों के निर्माण के लिए क्या क्या करेंगे ? स्पष्टता
से विजुलायिज करें |
**************************
बच्चों !मैं आपसे कहूँगा की “आप
अपनी योग्यताओं और गुणों कों इतना ज्यादा बढा लें ,ताकि
तसल्ली रहें की आप पर्याप्त पैसा कमा सकतें हैं ,इससे आप सब
में आर्थिक स्वतंत्रता का एहसास पनपेंगा जो की किसी भी लक्ष्य कों हांसिल करने के
लिए महत्वपूर्ण हैं” |
आप सब इमैजिन
कीजिये ,की आपके पास अलादीन का चिराग या जादुई छड़ी हैं ,जिसे हिलाते ही
जितना धन चाहेंगे प्राप्त हों जायेंगा |अब आप अपने सारे
आर्थिक लक्ष्य हांसिल कर लें तो आपकी जिंदगी कैसी दिखेंगी ,आज
से कुछ वर्षों बाद आप कितना धन कमाना चाहेंगे ?आप किस तरह के
घर में रहेंगे ?कैसी गाडी से चलाना पसंद करेंगे,रिटायरमेंट के समय अपनी कुल कितनी संपत्ति चाहते हैं ?सब स्पष्टता से देखें |
यह अभ्यास आपको रोजाना करना हैं ,आप सभी घर जाकर इन सब
प्रश्नों का उत्तर अपनी डायरी में लिखेंगे |जहाँ तक आप सोंच
सकें ,कोई लिमिट नही क्यूंकि इस केस में आप जितना पाँव
फैलायेंगे उतनी ज्यादा चादर फैलती जायेंगी |इस अभ्यास से आप
ठीक ठीक जान जायेंगे की आप जीवन में क्या चाहते हैं ?और किस
तरह उन सब चीजों कों पाना हैं ,इससे लक्ष्य निर्धारण आसान
हों जायेंगा जिसकी चर्चा अगली कक्षा में होंगी |
आप कों अपनी कल्पना की
कुंची से जीवन के कैनवास पर मास्टरपीस बनाना हैं |आप कों जहाँ पहुंचना हैं
वहाँ पहुँचने की प्रक्रिया की चिंता न करें ,यह खुद ब खुद
होंगा ,जैसे बीज बोने पर पौधा
खुद ब खुद निकलता हैं ,आप बीच
में ,बीज जमाई हुयी मिटटी कों कुरेदते भी नही हैं ,इसी तरह से एक बार बीज बो देने के बाद आपको फसल का इन्तेजार करना चाहिए |
{यह सारी कथा
काल्पनिक हैं ,किसी जीवित या मृत पात्र से कोई सम्बन्ध नही हैं }
-अजय यादव
10 September 2013
हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !{भाग-२}
आनंदमय जीवन के ४ आधार स्तम्भ !
इस रविवार की बैठक नियत समय पर शुरू हुयी |श्री सिन्हा जी ने हम सभी
से पूछा –
“आप सब मेहनत क्यों करते हैं”?,मैं बोल पड़ा “सफल होने के लिए ,खुश रहने के लिए और मन की शांति के लिए” |
मेरे उत्तर से सभी सहमत दिखे |दोस्तों ज्यादातर हम हार्डवर्क करतेहैं ,जबकि हमे बुलंदियो पर पहुँचने और वहाँ टिकने के लिए ‘शार्प वर्क और स्मार्ट वर्क’ करने चाहिए |
हम सब की उत्सुकुता कों
भांपते हुए सिन्हा सर ने बोलना जारी रखा-
“हमारे पास हमारा शरीर और मन दो टूल हैं जिनसे शार्प वर्क होता हैं |शरीर के पास मसल्स पावर ,बाडी स्टैमिना ,और रिफ्लेक्सेज की शक्ति हैं |शरीर से शार्प वर्क कराने के लिए उसे पौष्टिक आहार ,नियमित कसरत और पर्याप्त आराम देना जरुरी हैं |मन के पास ज्ञान ,कौशल और नजरिये की शक्ति होती हैं |हमे मन की शक्ति बढाने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए और सकारात्मक पुस्तके पढनी चाहिए और रिलैक्सेशन तथा विजुलायिजेसन करना चाहिए” |
अपने बुजुर्ग गुरु के अलौकिक
ज्ञान सागर में हम लगभग डूब चुके थे,इन बहुमूल्य ज्ञान रत्नों से आत्मा आलोकित हों
रही थी ..गुरुदेव ने आगे कहना शुरू किया –
“स्मार्ट वर्क ,तब होता हैं ..जब सही दिशा में कार्य {working in right direction},और सही तरह का कार्य {working with right method}किया जाता हैं |बच्चों ! हमारे भारत में १% से भी कम लोग दैनिक लक्ष्यों कों आगे रखकर कार्य करते हैं |अंग्रेजी में एक कहावत हैं “if you fail to plan .....you plan to fail”.
सचमुच बहुत ज्ञान पूर्ण बातें सिन्हा जी बता रहें थे ,कृतज्ञता और
गुरु के प्रति आदर से मेरे भीतर से अनुराग
की भावना उठ रही थी,सकारात्मक कम्पन्न से यह कक्षा गुंजायमान थी|
“बच्चों !आनंदमय जीवन के चार आधार स्तम्भ हैं -भौतिक{physical-to earn} ,मानसिक{mental-to learn} ,सामाजिक {social-to love},आध्यात्मिक {spritual-to serve}|अगर चारों पिलर्स में से किसी एक पर से ध्यान हटा तो समझो जीवन रूपी बिल्डिंग डगमगाई" |
गुरुदेव ने अब एक एक पिलर पर प्रकाश डालना शुरू किया ....
भौतिक आधार स्तम्भ में स्वास्थ्य,धन ,संपत्ति,पैसा आदि आता हैं ,पैसा तो सबकुछ नही हैं किन्तु फिर भी बहुत कुछ हैं |इस संदर्भ में मैं कहूँगा की ज्यादा भौतिक संपदा आकर्षित करने के लिए आपको “शबरी तकनीक” अपनाना चाहिए |जैसे शबरी राम कों पास बुलाने के लिए बस एक ही रत लगाये रहती थी “मेरे राम कब आवोंगे ,आ जाओ !राम ! राम !राम .....”वैसे ही यदि हमे पैसा चाहिए तो ..’पैसा पैसा पैसा’करते रहना होंगा |
मानसिक पिलर ,वे चीजे हैं जिनको हम सीखते हैं ,जैसे चिकित्सक हैं तो मेडिकल साईंस सीखना होता हैं ,उस दिशा की एडवांस खोजों के प्रति जागरूक रहना पड़ता हैं |अपने व्यवसाय के ज्ञान में महारत हांसिल करना हैं |
सामाजिक पिलर के अंतर्गत दो बातें हैं –to love peopls,to be loved by peoples...हमारे पास बहुत धन हों ,किन्तु हमे कोई न चाहे तो वह सब कुछ बेकार हैं ,बाद में लोग चंदे काटना शुरू करते हैं ,दान देते हैं जब उनको कहीं भी मानसिक शांति नही मिलती हैं ,तब इन सब में मानसिक शांति तलाश करने निकलते हैं |
आध्यात्मिक पिलर के
अंतर्गत खुद कों जानने से सम्बंधित ज्ञान होता हैं की आप कौन हैं ,ईस पृथ्वी प किस
उद्देश्य से अवतरित हुए हैं ,अपना लक्ष्य खोजना और उस पर जी जान से जुट जाना |कोई
व्यक्ति समाज के लिए जो योगदान देता हैं वों सब भी आध्यात्मिक पिल्लर के अंतर्गत
आता हैं |
सारे पिलर्स मिलकर मानसिक
शांति की ओर ले जाते हैं |जो सर्वोच्च मानवीय हित हैं |
लेखन-अजय यादव
{सभी पात्र काल्पनिक हैं किसी भी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नही हैं }
9 September 2013
हर संडे....., डॉ.सिन्हा के संग !
{सोना रख लों ,चांदी भी रख लों
..पर ज्ञान हमे दे दों –अरबी कहावत }
डॉ सिन्हा मुझसे ८० वर्ष बड़े हैं ,किन्तु
उन्होंने खुद कों सकारात्मक कार्यों ,सामाजिक कार्यों से इस तरह जोड़ रखा हैं,की
उनके पास रोजाना जीने का कोई न कोई मकसद होता हैं |वे उम्र में ६० से अधिक के नही
लगते ,मेरी भेट उनसे उत्तराखंड आपदा के दौरान एक राहत शिविर में हुयी थी जहाँ वों
बड़े जोशो-खरोस से राहत सामग्री पीडितो तक पहुंचा रहे थे,उनसे प्रेरित होकर युवाओं
ने भी जान की बाजी लगा दी थी |मुझ जैसे युवा सत्य-खोजी में सीखने की ललक देख कर
उन्होंने गुरु बनना स्वीकार कर लिया |डॉ सिन्हा देश के प्रसिद्ध दर्शन-शास्त्रियों
के गुरु हैं,उनकी दर्शन शास्त्र पर दर्जनों पुस्तके छप चुकी हैं |
दोस्तों ,हमारे बुजुर्ग मित्र ,हमारे बहुत बड़े मार्गदर्शक गुरु होते हैं ,वे अनंत ज्ञान और अनुभव के जीवंत इन्सयिक्लोपिडीया होते हैं,उनसे बात करते समय अगर हम उन्हें सुने ज्यादा और बोले कम ,तो हम बहुत शानदार जीवन सबक सीख सकते हैं |माफ कीजिये ,किन्तु कहना चाहूँगा की भगवान ने हम सबको इसीलिए हम सबको दो कान और एक मुह दिया हैं |
दोस्तों ,हमारे बुजुर्ग मित्र ,हमारे बहुत बड़े मार्गदर्शक गुरु होते हैं ,वे अनंत ज्ञान और अनुभव के जीवंत इन्सयिक्लोपिडीया होते हैं,उनसे बात करते समय अगर हम उन्हें सुने ज्यादा और बोले कम ,तो हम बहुत शानदार जीवन सबक सीख सकते हैं |माफ कीजिये ,किन्तु कहना चाहूँगा की भगवान ने हम सबको इसीलिए हम सबको दो कान और एक मुह दिया हैं |
नैनी
से अरैल से संगम के मार्ग से होते हुए मैं उनके निवास स्थल झूंसी पहुंचा |आपको बता दूँ की प्रसिद्ध छायावादी कवियत्री सुश्री महादेवी वर्मा भी इसी मार्ग से संगम स्नान जाती थी|श्री सिन्हा जी का घर सकारात्मक कम्पन्न और
सकारात्मक उर्जा से दमक रहा था |मैंने सिन्हा सर के चरण स्पर्श किया,उन्होंने
बैठने का इशारा किया|मैं बैठ गया ,तभी एक खूबसूरत लावण्या युवती जलपान ,और फल लेकर
आई| डॉ सिन्हा की पोती थी ,उन्होंने अपने पोते कों भी बुला लिया,दोनों मेरे समीप
दरी के आसन पर बैठ गए |
“बेटा ! आजकल तुम कैसा महसूस कर रहे हों”?डॉ
सिन्हा की मोहक मुस्कान और चमकती आँखे,चौड़ा ललाट और उस पर चन्दन का लेप,सफ़ेद बड़ी
दाढ़ी ...तेजस्वी,मधुर किन्तु बुलंद आवाज उनके किसी महान ऋषि होने का बोध करा रहीं
थी |”गुरुदेव आजकल बहुत व्यथित हूँ,कठिनाईयों से घिरा हूँ”मैंने कहा|सिन्हा जी
मुस्कुराते हुए बोलें”बेटा बिना पथरीले,कटीले
रास्ते के आज तक कोई भी लक्ष्य तक
नही पहुंचा हैं |कठिनाईयां तो सफर का हुस्न हैं |विपरीत परिस्थितियो कों समझो
,स्वीकार करों तभी उनको अनुकूल बना सकोंगे |खुद कों परिणामों से अलग रखतें हुए
,सफलता और सम्पूर्णता से लग कर कार्य करो |दर्द और आनंद दोनों कों चखो |बच्चों !............जीवन
में सिर्फ परिणाम देखा जाता हैं ,न की असफलता |जीवन में सिर्फ सीख होती हैं न की
पाठ |अगर तुम लोग जागरूक रहकर देखोंगे तो परेशानियो में ही महान अवसर पाओंगे |याद
रखो-
“सफलता का मोती निष्ठुरता की सीप में पलता हैं”|
सुचित्रा
,उनकी पोती ने पूछा “दादा जी !जीवन सरल हैं ,आसान हैं |फिर कदम कदम पर हर परीक्षा में इतना संघर्ष
क्यूँ ?”..डॉ सिन्हा स्नेह से बोले “पुत्री !मुश्किलें ,संघर्ष ,कठिनाईयां ही
हमारा वास्तविक रूप से साक्षात्कार कराती हैं ,हथौरे की चोट ,सीसे कों तोड़ देती हैं ,किन्तु लोहे
कों फौलाद बनाती हैं|कठिनाईयां ही वास्तव
में हममे निखार लाती हैं|पुत्री रिस्क लेना सीखो,जिन चीजों,जिन प्रोजेक्ट्स से आज
डरती हों ,उनको करके देखो |डर तुम्हारी खुद की उत्पन्न की हुयी वस्तु हैं ,और हर
निर्मित वस्तु की भाति इसको भी नष्ट किया जा सकता हैं | असुविधा के साथ नाता जोड़ो
|कठिन से कठिन मार्गो पर चलो ,पैरों में चोट लग सकती हैं परन्तु बिना इन रास्तो के
मंजिल का सफर भी तय नही होता |अपना वक्त security की खोज में मत बर्बाद करों हम
सभी इंसान इस पृथ्वी पर महान उद्देश्य से अवतरित हैं,और हमे अपना उद्देश्य खोजकर
उस पर कार्य करना होता हैं|ध्यान दो-
“जिस व्यक्ति का अपना कोई लक्ष्य नही होता वह जीवन भर दूसरों के लक्ष्य पूरा करने के लिए कार्य करता हैं”|
“कुछ लोग मुझे पसंद नही हैं,उनसे
कैसे डील करूं और अपना वर्ताव कैसे सुधारू ?” भीष्म ,सिन्हा साहब का पोता बोल पड़ा
|सिन्हा साहेब मुस्कुराए और बोले आज सूर्य पश्चिम से कैसे निकला |कुछ भी हों पर
मुझे यकीन था, अपनी परवरिश पर भरोसा था की तुम भी स्वयमविकास में रूचि लेकर ,महान
व्यक्तित्व बनोंगे |सुनों पुत्र ! वर्षों पहले अक्सर अपनी कक्षाओं में मैं विद्यार्थियो
कों एक इक्सरसाईज करवाता था ,जो इस प्रकार था-
“मान लीजिए आज इस पृथ्वी पर आपका आखिरी दिन हैं ,आप अपनी आँखे बंद कीजिये और इमैजिन कीजिये ,की आपका व्यवहार अपने फैमिली मेम्बर्स ,पडोसियो ,सहकर्मियो,दोस्तों के साथ कैसा होंगा ?आप देखोंगे की आपके वर्तमान व्यवहार और इस अभ्यास के बाद के व्यवहार में काफी अंतर आ गया हैं |अभ्यास के दौरान जो आपने महसूस किया वही असली व्यवहार हैं,उसी तरह हमे व्यवहार करना चाहिए" |
वत्स !तुम्हारे जीवन में कई ऐसी चीजे होती हैं
जिनसे तुम नफरत करते होंगे ,चिढते होंगे ,या तनाव में पढ़ जातें होंगे ,जो इस बात
का इंडिकेटर हैं की ‘भीतर से कुछ बदलना हैं’|ये चीजे या लोग तुम्हे तब तक परेशान
करेंगे जब तक तुम वास्तविक व्यक्तिगत जिम्मेदारी नही लोंगे |जब तुम इस तरह की
जिम्मेदारी लेकर अपने दोषों कों ,ध्यान पूर्वक एक एक कर दूर करने लगते हों |तो तुम्हारे और दूसरे लोंगो
के बीच नजदीकियां बढेंगी |पुत्र !लोग मूल रूप से अच्छे ही होतें हैं ,जब तुम
निस्वार्थ प्रेम से भर जाते हों ,विना शर्त के सभी कों प्रेम देने लगते हों,किसी
पर दोषारोपण नही करते हों ,तो लोग पुरे विवेक,समझ से प्रतिक्रिया देते हैं |पुत्र
सभी परछाइयाँ प्रकाश में विलुप्त हों जाती हैं | {क्रमशः ...}
************लेखन -अजय यादव
{सारे किरदार काल्पनिक हैं ,किसी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही }
************लेखन -अजय यादव
{सारे किरदार काल्पनिक हैं ,किसी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई संबंध नही }
3 September 2013
जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ.....
||जिम्मेदारियाँ... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ..||
इस ब्रम्हांड में संयोग जैसी कोई चीज नही होती ,हम एक सुव्यवस्थित
ब्रम्हांड में रहते हैं |हमारे जीवन में होने वाला सब कुछ जिसे हम अच्छे या बुरे
के आधार पर केटेगराईज्ड करते हैं |सब के लिए केवल और केवल हम,हमारी भावनाए या
एहसास जिम्मेदार हैं |जरुरी हैं की , हमारा फोकस लेजर जैसा हों ,ताकि हमेशा मनचाही
चीज के बारे में सोंचते व बात करते रहे | अक्सर लोग कहतें हैं “अजय जी !काम पर
जाना पड़ता हैं”.बहुत कम कहते हैं की “काम पर जाता हूँ” ! दोस्तों ..जिम्मेदारी से सामर्थ्य बढ़ती हैं ,लेकिन उन लोगों का क्या ?जिनको जिम्मेदारी बोझ लगती हैं ,उन लोगों
के मस्तिष्क के सोफ्टवेयर वाईरस{नकारात्मक विचार/भावनाएं } द्वारा प्रभावित हों चुके होते हैं |एक शेर याद
आ रहा हैं
“एक खता ता-उम्र हम , करते रहें|
धूल चेहरे पर थीं,और आइना साफ़ करते रहें”||
दोस्तों हम सब आखिर क्यूँ जी रहें हैं ?
आप क्यूँ जी रहें हैं ?
हम सब जी रहें हैं क्यूंकि हम खुश रहना चाहतें हैं |
हमे खुश रहने के लिए अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा उत्तम
रखना होंगा |शारीरिक स्वास्थ्य अर्थात कसरत जबकि मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य
नकारात्मक भावनाओं कों हटाकर सकारात्मक भावनाओं {Progressive Thought}कों स्थापित करना
हैं |
यह कैसे होंगा ?
जैसे अंधेरे कों भगाने के लिए दीपक जलाते
हैं, वैसे मन में सकारात्मकता कों लगातार स्थान देने पर नकारात्मकता का अंत हों
जाता हैं |
अपने जीवन में अच्छे मित्रों,अच्छी पुस्तकों
आदि कों समय देना होंगा |किसी व्यक्ति कों मैं उसके मित्रों कों देखकर ही पहचान
जाता हूँ की यह किस स्वभाव का होंगा ,दोस्तों आपके जीवन का स्तर{दशा/दिशा }वैसे ही
होंगी{औसतन} ,जैसे की आपके करीबी पांच मित्रों की होंती हैं |
परिवार {F.A.M.I.L.Y.=Father And Mother I
Love You} की खुशी का ध्यान रखकर ही हम खुश हों सकतें हैं |हमारा देश वर्षों से
पितृभक्ति वाला देश रहा हैं ,आप महर्षि परशुराम
के ज़माने से यह देख रहें हैं |
माँ कभी कोई फरमाईश नही करतीं ,वे हमेशा बिना शर्त का प्रेम बांटती
फिरती हैं ,दोस्तों उनको खुश रखियें |दुनिया के हर रिश्ते से ,माँ के साथ रिश्ता
नौ महीने ज्यादा का होता हैं |माता खुश हैं तो पूरा परिवार खुश रहता हैं |
दोस्तों इस दुनिया में कोई सेल्फ मेड नही होता ,इस दुनिया में आने के
लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती हैं|हम अपने दिन के २४ घंटों में से ज्यादातर अपने काम
के सिलसिले में खर्च करते हैं,हम जिस कंपनी में काम करते हैं,अगर उस कम्पनी कों
खुद की कम्पनी मानकर कार्य करें तो आश्चर्यजनक तरक्की और इनकम से हमारी
दुनिया आबाद हों जाएँ|
दोस्तों सारी दुनिया में ,यहाँ तक की घर-गृहस्थी में भी तनाव का सबसे प्रमुख कारण “Lack Of Communication”
हैं |घर पर होना अलग बात हैं ,घर वालों के साथ होना अलग बात ! आप डिसाईड कीजिये की ज्यादा वक्त tv के साथ
बिताते हैं ,या बीबी के साथ |
दोस्तों !इस दुनिया में हमारा
जो भी उद्दम/व्यवसाय/कृति होती हैं ,उसके
कुछ खरीददार होतें हैं,जिन्हें ग्राहक कहते हैं|ग्राहक मुर्गी नही हैं ,जो सोने का
अंडा देती हैं ,मुर्गी कों तो कभी न कभी हलाक होना ही पड़ता हैं |दोस्तों !ग्राहक
गाय की तरह हैं ,जो सेवा करने पर दूध देती हैं |
दोस्तों ! दिल में ग्राहक
का एक मंदिर बना लिजियें,रोज सुबह उनको नमन कीजिये ,क्यूंकि उन्ही से आपकी रोटी
{R.O.T.I.=Return On Time Investment}चलती हैं,आपके बच्चों की फीस भरी जातीं
हैं,आपकी बीबी के गहने खरीदे जाते हैं|
“कावड़ लेकर बाबा गोरखनाथ हजारों किमी की यात्रा कर चुके थे ,उन्होंने सड़क के किनारे एक बहुत बीमार ..मरते हुए गधे कों देखा,जो जल के लिए तडप रहा था |बाबा ने अपने कावड़ का जल उस गधे कों पिलाया ,यह देखकर बाकी कावड़िये नाराज़ भी हुए|बाबा बोले “देखो भाईयो !भोलेनाथ के लिए कावड़ तो आप सब ले जा रहें हों और मेरे दो मटके न चढ़े,तो भी उनकी प्यास पर कोई फरक नही पड़ेंगा ,लेकिन अभी यह जल अभी मैंने इस गधे कों नही पिलाया तो इसके प्राण का अंत हों जायेंगा |किद्वंती हैं की पानी पिलातें ही शिव जी प्रकट हुए और बोलें की “अगर किसी का जल मुझ तक पहुंचा तो गोरखनाथ तेरा”|
दोस्तों ! जिस श्रृद्धा से आप मंदिर जाते हों ,अगर उसी श्रृद्धा से अपने काम पर जातें हों {चाहे जो करतें हों}तो समझ लीजिए की उस परमात्मा के दरबार में हाजिरी लग गयीं |
दोस्तों !
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
कुछ लोग तो बड़े सकारात्मक होतें हैं किन्तु एक्सन हीं नही लेते ,इसका
भी कोई फायदा नही |इनसे तसल्ली तो मिल सकती हैं ,पर तरक्की नही|इस कैटेगरी के लोग
OSTRICH SYNDROME से ग्रसित होते हैं अर्थात यथास्थिति का सामना नही करते ,भौकाल
बनाते हैं बस |एडमंड बर्क कहतें हैं -
“बुराई के जड़ ज़माने के लिए इतना काफी हैं की अच्छे लोग कुछ न करें ,और बुराई जड़ पकड़ लेंगी”
“For evil to flourish,good people have to do nothing and evil shall flourish”-Edmond Burke
पर कुछ लोग ऐसे LEADER हैं जिनको बेहतर कार्य और हर कार्य की
जिम्मेदारी के लिए कोई तमगा नही चाहिए होता हैं{Lead Without A title} |ये किसी का
दोष नही देखते ,बहाने नही बनाते और स्थिति कों बेहतर करने की दिशा में निरंतर लगे रहते
हैं |इनकी प्रकृति पहल करने वाली {INITIATIVE}होती हैं |दुनिया में होने वाले
समस्त बेहतर कार्यों के पीछे इनका हाथ और उर्जा होती हैं |ऐसा ही व्यक्ति बनने की
कोशिश में मैं लगा हूँ|
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