आनंदमय जीवन के ४ आधार स्तम्भ !
इस रविवार की बैठक नियत समय पर शुरू हुयी |श्री सिन्हा जी ने हम सभी
से पूछा –
“आप सब मेहनत क्यों करते हैं”?,मैं बोल पड़ा “सफल होने के लिए ,खुश रहने के लिए और मन की शांति के लिए” |
मेरे उत्तर से सभी सहमत दिखे |दोस्तों ज्यादातर हम हार्डवर्क करतेहैं ,जबकि हमे बुलंदियो पर पहुँचने और वहाँ टिकने के लिए ‘शार्प वर्क और स्मार्ट वर्क’ करने चाहिए |
हम सब की उत्सुकुता कों
भांपते हुए सिन्हा सर ने बोलना जारी रखा-
“हमारे पास हमारा शरीर और मन दो टूल हैं जिनसे शार्प वर्क होता हैं |शरीर के पास मसल्स पावर ,बाडी स्टैमिना ,और रिफ्लेक्सेज की शक्ति हैं |शरीर से शार्प वर्क कराने के लिए उसे पौष्टिक आहार ,नियमित कसरत और पर्याप्त आराम देना जरुरी हैं |मन के पास ज्ञान ,कौशल और नजरिये की शक्ति होती हैं |हमे मन की शक्ति बढाने के लिए सकारात्मक नजरिया रखना चाहिए और सकारात्मक पुस्तके पढनी चाहिए और रिलैक्सेशन तथा विजुलायिजेसन करना चाहिए” |
अपने बुजुर्ग गुरु के अलौकिक
ज्ञान सागर में हम लगभग डूब चुके थे,इन बहुमूल्य ज्ञान रत्नों से आत्मा आलोकित हों
रही थी ..गुरुदेव ने आगे कहना शुरू किया –
“स्मार्ट वर्क ,तब होता हैं ..जब सही दिशा में कार्य {working in right direction},और सही तरह का कार्य {working with right method}किया जाता हैं |बच्चों ! हमारे भारत में १% से भी कम लोग दैनिक लक्ष्यों कों आगे रखकर कार्य करते हैं |अंग्रेजी में एक कहावत हैं “if you fail to plan .....you plan to fail”.
सचमुच बहुत ज्ञान पूर्ण बातें सिन्हा जी बता रहें थे ,कृतज्ञता और
गुरु के प्रति आदर से मेरे भीतर से अनुराग
की भावना उठ रही थी,सकारात्मक कम्पन्न से यह कक्षा गुंजायमान थी|
“बच्चों !आनंदमय जीवन के चार आधार स्तम्भ हैं -भौतिक{physical-to earn} ,मानसिक{mental-to learn} ,सामाजिक {social-to love},आध्यात्मिक {spritual-to serve}|अगर चारों पिलर्स में से किसी एक पर से ध्यान हटा तो समझो जीवन रूपी बिल्डिंग डगमगाई" |
गुरुदेव ने अब एक एक पिलर पर प्रकाश डालना शुरू किया ....
भौतिक आधार स्तम्भ में स्वास्थ्य,धन ,संपत्ति,पैसा आदि आता हैं ,पैसा तो सबकुछ नही हैं किन्तु फिर भी बहुत कुछ हैं |इस संदर्भ में मैं कहूँगा की ज्यादा भौतिक संपदा आकर्षित करने के लिए आपको “शबरी तकनीक” अपनाना चाहिए |जैसे शबरी राम कों पास बुलाने के लिए बस एक ही रत लगाये रहती थी “मेरे राम कब आवोंगे ,आ जाओ !राम ! राम !राम .....”वैसे ही यदि हमे पैसा चाहिए तो ..’पैसा पैसा पैसा’करते रहना होंगा |
मानसिक पिलर ,वे चीजे हैं जिनको हम सीखते हैं ,जैसे चिकित्सक हैं तो मेडिकल साईंस सीखना होता हैं ,उस दिशा की एडवांस खोजों के प्रति जागरूक रहना पड़ता हैं |अपने व्यवसाय के ज्ञान में महारत हांसिल करना हैं |
सामाजिक पिलर के अंतर्गत दो बातें हैं –to love peopls,to be loved by peoples...हमारे पास बहुत धन हों ,किन्तु हमे कोई न चाहे तो वह सब कुछ बेकार हैं ,बाद में लोग चंदे काटना शुरू करते हैं ,दान देते हैं जब उनको कहीं भी मानसिक शांति नही मिलती हैं ,तब इन सब में मानसिक शांति तलाश करने निकलते हैं |
आध्यात्मिक पिलर के
अंतर्गत खुद कों जानने से सम्बंधित ज्ञान होता हैं की आप कौन हैं ,ईस पृथ्वी प किस
उद्देश्य से अवतरित हुए हैं ,अपना लक्ष्य खोजना और उस पर जी जान से जुट जाना |कोई
व्यक्ति समाज के लिए जो योगदान देता हैं वों सब भी आध्यात्मिक पिल्लर के अंतर्गत
आता हैं |
सारे पिलर्स मिलकर मानसिक
शांति की ओर ले जाते हैं |जो सर्वोच्च मानवीय हित हैं |
लेखन-अजय यादव
{सभी पात्र काल्पनिक हैं किसी भी जीवित और मृत व्यक्ति से कोई सम्बन्ध नही हैं }
सकारात्मक विचार... संग्रहणीय पोस्ट ...
ReplyDeleteSadar pranam
ReplyDeleteइतनी उम्र गुजर चुकी है कि अनुभव सारे विषयों पर एकत्रित हो चुके हैं फिर भी जानना संतुष्टि दे रहा है और जिज्ञासा बढ़ रही है
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें
बहुत ही सकारात्मक और सारवान आलेख.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल में शामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 12/09/2013 को क्या बतलाऊँ अपना परिचय - हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल - अंकः004 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें. कृपया आप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
ReplyDeleteहमारे पुरखे भी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को जीवन के चार स्तंभ(पुरुषार्थ)मानते रहे हैं।
ReplyDeleteआपका अंदाज रोचक है।
प्रिय डॉ अजय जी ..बहुत ही उपयोगी और सार्थक होती हैं आप की एक एक बातें ...इन सब पिलर के बारे में जान ज्ञान बढा ...ये दौर चलता रहे ..उत्साह बढे लोग बढ़ें
ReplyDeleteआनंददायी
भ्रमर ५
ज्ञानमयी व आनन्दमयी, यह प्रवाह बनाये रखें
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सकारात्मक विचार ! बनाए रखें
ReplyDeletelatest post गुरु वन्दना (रुबाइयाँ)