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3 September 2013

जिम्मेदारियाँ..................... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ.....


||जिम्मेदारियाँ... हैं  ! तेरी मेहरबानियाँ..||

          इस ब्रम्हांड में संयोग जैसी कोई चीज नही होती ,हम एक सुव्यवस्थित ब्रम्हांड में रहते हैं |हमारे जीवन में होने वाला सब कुछ जिसे हम अच्छे या बुरे के आधार पर केटेगराईज्ड करते हैं |सब के लिए केवल और केवल हम,हमारी भावनाए या एहसास जिम्मेदार हैं |जरुरी हैं की , हमारा फोकस लेजर जैसा हों ,ताकि हमेशा मनचाही चीज के बारे में सोंचते व बात करते रहे | अक्सर लोग कहतें हैं “अजय जी !काम पर जाना पड़ता हैं”.बहुत कम कहते हैं की “काम पर जाता हूँ” ! दोस्तों ..जिम्मेदारी से सामर्थ्य बढ़ती हैं ,लेकिन उन लोगों का क्या ?जिनको जिम्मेदारी बोझ लगती हैं ,उन लोगों के मस्तिष्क के सोफ्टवेयर वाईरस{नकारात्मक विचार/भावनाएं } द्वारा प्रभावित हों चुके होते हैं |एक शेर याद आ रहा हैं

“एक  खता  ता-उम्र  हम ,   करते     रहें|

धूल चेहरे पर थीं,और आइना साफ़ करते रहें”||

दोस्तों हम सब आखिर क्यूँ जी रहें हैं ?

आप क्यूँ जी रहें हैं ?

हम सब जी रहें हैं क्यूंकि हम खुश रहना चाहतें हैं |

                हमे खुश रहने के लिए अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा उत्तम रखना होंगा |शारीरिक स्वास्थ्य अर्थात कसरत जबकि मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य नकारात्मक भावनाओं कों हटाकर सकारात्मक भावनाओं {Progressive Thought}कों स्थापित करना हैं |

यह कैसे होंगा ?

जैसे अंधेरे कों भगाने के लिए दीपक जलाते हैं, वैसे मन में सकारात्मकता कों लगातार स्थान देने पर नकारात्मकता का अंत हों जाता हैं |
अपने जीवन में अच्छे मित्रों,अच्छी पुस्तकों आदि कों समय देना होंगा |किसी व्यक्ति कों मैं उसके मित्रों कों देखकर ही पहचान जाता हूँ की यह किस स्वभाव का होंगा ,दोस्तों आपके जीवन का स्तर{दशा/दिशा }वैसे ही होंगी{औसतन} ,जैसे की आपके करीबी पांच मित्रों की होंती हैं |
परिवार {F.A.M.I.L.Y.=Father And Mother I Love You} की खुशी का ध्यान रखकर ही हम खुश हों सकतें हैं |हमारा देश वर्षों से पितृभक्ति वाला देश रहा हैं ,आप महर्षि परशुराम  के ज़माने से यह देख रहें हैं | 
माँ कभी कोई फरमाईश नही करतीं ,वे हमेशा बिना शर्त का प्रेम बांटती फिरती हैं ,दोस्तों उनको खुश रखियें |दुनिया के हर रिश्ते से ,माँ के साथ रिश्ता नौ महीने ज्यादा का होता हैं |माता खुश हैं तो पूरा परिवार खुश रहता हैं |
दोस्तों इस दुनिया में कोई सेल्फ मेड नही होता ,इस दुनिया में आने के लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती हैं|हम अपने दिन के २४ घंटों में से ज्यादातर अपने काम के सिलसिले में खर्च करते हैं,हम जिस कंपनी में काम करते हैं,अगर उस कम्पनी कों खुद की कम्पनी मानकर  कार्य  करें तो आश्चर्यजनक तरक्की और इनकम से हमारी दुनिया आबाद हों जाएँ|
दोस्तों सारी दुनिया में ,यहाँ तक की घर-गृहस्थी में भी  तनाव का सबसे प्रमुख कारण “Lack Of Communication” हैं |घर पर होना अलग बात हैं ,घर वालों के साथ होना अलग बात  ! आप डिसाईड कीजिये की ज्यादा वक्त tv के साथ बिताते हैं ,या बीबी के साथ |
 दोस्तों !इस दुनिया में हमारा जो भी उद्दम/व्यवसाय/कृति  होती हैं ,उसके कुछ खरीददार होतें हैं,जिन्हें ग्राहक कहते हैं|ग्राहक मुर्गी नही हैं ,जो सोने का अंडा देती हैं ,मुर्गी कों तो कभी न कभी हलाक होना ही पड़ता हैं |दोस्तों !ग्राहक गाय की तरह हैं ,जो सेवा करने पर दूध देती हैं |
    दोस्तों ! दिल में ग्राहक का एक मंदिर बना लिजियें,रोज सुबह उनको नमन कीजिये ,क्यूंकि उन्ही से आपकी रोटी {R.O.T.I.=Return On Time Investment}चलती हैं,आपके बच्चों की फीस भरी जातीं हैं,आपकी बीबी के गहने खरीदे जाते हैं|

    कावड़ लेकर बाबा गोरखनाथ हजारों किमी की यात्रा कर चुके थे ,उन्होंने सड़क के किनारे एक बहुत बीमार ..मरते हुए गधे कों देखा,जो जल के लिए तडप रहा था |बाबा ने अपने कावड़ का जल उस गधे कों पिलाया ,यह देखकर बाकी कावड़िये नाराज़ भी हुए|बाबा बोले “देखो भाईयो !भोलेनाथ के लिए कावड़ तो आप सब ले जा रहें हों और मेरे दो मटके न चढ़े,तो भी उनकी प्यास पर कोई फरक नही पड़ेंगा ,लेकिन अभी यह जल अभी मैंने इस गधे कों नही पिलाया तो इसके प्राण का अंत हों जायेंगा |किद्वंती  हैं की पानी पिलातें ही शिव जी प्रकट हुए और बोलें की “अगर किसी का जल मुझ तक पहुंचा तो गोरखनाथ तेरा”|

दोस्तों ! जिस श्रृद्धा से आप मंदिर जाते हों ,अगर उसी श्रृद्धा से अपने काम पर जातें हों {चाहे जो करतें हों}तो समझ लीजिए की उस परमात्मा के दरबार में हाजिरी लग गयीं |

दोस्तों !
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की  की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
       कुछ लोग तो बड़े सकारात्मक होतें हैं किन्तु एक्सन हीं नही लेते ,इसका भी कोई फायदा नही |इनसे तसल्ली तो मिल सकती हैं ,पर तरक्की नही|इस कैटेगरी के लोग OSTRICH SYNDROME से ग्रसित होते हैं अर्थात यथास्थिति का सामना नही करते ,भौकाल बनाते हैं बस |एडमंड बर्क कहतें हैं -

बुराई के जड़ ज़माने के लिए इतना काफी हैं की अच्छे लोग कुछ न करें ,और बुराई जड़ पकड़ लेंगी”

“For evil to flourish,good people have to do nothing and evil shall flourish”-Edmond Burke

पर कुछ लोग ऐसे LEADER हैं जिनको बेहतर कार्य और हर कार्य की जिम्मेदारी के लिए कोई तमगा नही चाहिए होता हैं{Lead Without A title} |ये किसी का दोष नही देखते ,बहाने नही बनाते और स्थिति कों बेहतर करने की दिशा में निरंतर लगे रहते हैं |इनकी प्रकृति पहल करने वाली {INITIATIVE}होती हैं |दुनिया में होने वाले समस्त बेहतर कार्यों के पीछे इनका हाथ और उर्जा होती हैं |ऐसा ही व्यक्ति बनने की कोशिश में मैं लगा हूँ|

1 September 2013

सबसे बड़ा रोग ! क्या कहेंगे लोग ?



रीना ने आज खुद के मुताबिक सफलता की सबसे ऊँचे पायदान को छुवा था,जिस चीज को उसने पाना चाहा था आज उसने पा लिया|पर इन सब में सबसे खास बात यह थी कि रीना ने अपनी जिंदगी में कभी मेहनत नही करना सीखा,उसकी फिलोसिफी थी कि मेहनत स्मार्ट थिंकर्स नही करते ..भगवान ने इंसान को इतना अक्ल दिया हैं,फिर मेहनत करने कि जरूरत क्या हैं?मेहनत के बजाय यदि किसी चीज कि जरूरत हैं तो वो हैं अपने कार्य कों पसंद और इंजॉय करना|जिन चीजों को आप पसंद करते हैं अगर उनको इंजॉय करना सीख जाते हैं तो हर चीज बहुत सरल हों जाती हैं |दसवी की परीक्षा में उसने बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ,फिर आज इंजीनियरिंग में उसने टॉप किया था फिर भी कहती हैं वो कभी मेहनत नही करती ..आखिर राज क्या हैं उसकी सफलता के पीछे आईये उसके जीवन का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं
रीना हमेशा लाईट ट्रेवेल करती हैं अर्थात बिना फिजूल के इमोशंस ,गिल्ट ,इम्प्रेशन आदि के चक्कर में वह नही पड़ती न ही इन इमोशंस को अपने मष्तिष्क में रखती हैं | आप उसे पसंद करो या नापसंद करो ..वह इस चीज के पीछे कभी परेशान नही होती कि ….क्या कहेंगे लोग ??…अक्सर वह कहती भी हैं कि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग”|अक्सर उसे मैं हवाओ से बातें करते खुले अम्बर तले खुले उड़ते बालो में साईकिल भागाते देखा हूँ | वह कहीं भी नुक्कड़ पर चाट खा सकती हैं ,किसी भी दूकान से स्टेशनरी खरीद सकती हैं ..इस मामले में उसे जो अच्छा लगता हैं करती हैं |बिना वजह के फेसबुक पर वक्त नही बिताती क्यूंकि उसको इसकी जरूरत नही लगतीइस विषय में रीना अक्सर कहती हैं हम लोगों को करना हैं ……पांच कार्य और करते पच्चीस हैं ,बिना वजह अपने जिंदगी में काम्प्लिकेसंस पैदा करते हैं|हमे जिंदगी में जो करना चाहिए सिर्फ वही करें तो हमारी जिंदगी यक़ीनन बड़ी सरल हों जाती हैं ,नही तो …………………हम स्वाद और चस्के लेने कि आदत के इतने गुलाम हों गए हैं, कि हम वो चीज भूलते जा रहें हैं जो यक़ीनन बहुत महत्वपूर्ण हैं हमारे लिए अक्सर हम लोग जीवन ऐसे जीते हैं जैसे कल कि तैयारी कर रहें हों लेकिन क्या कल किसी ने देखा हैं ?नही न….रीना का विश्वास हैं कि अपने लक्ष्य पर फोकस किया जाय तो रिजल्ट के रूप में जादू’{magical results]आते हैं |
**********************

दोस्तों !जीवन में हमारी सोच के अनुसार हमे परिणाम मिलते हैं |आईये समझते हैं कैसे ?
ईश्वर के पास एक डिक्सनरी हैं, जिसमे सिर्फ एक ही शब्द हैं “तथास्तु”{granted}.
एक महिला कहती हैं “मुझे कोई नही चाहता”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”|
दूसरी महिला कहती हैं “मुझे !हर कोई चाहता हैं ,मेरा सम्मान करता हैं”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”
आप जैसी भी सोंच या भावना रखेंगे ,भगवान का तथास्तु{granted} हमेशा चलता रहता हैं |अब आप कहाँ कहाँ तथास्तु चाहते हैं ,ईश्वर से ??
चुनाव आपका हैं |

26 June 2012

VICHAR

                                ********विचार वा भावनाएं *********
प्रेम जीवन की सकारात्मक शक्ति हैं |प्रेम ही हर सकारात्मक और अच्छी चीज की बुनियादी वजह हैं |जीवन में एक ही सकारात्मक शक्ति हैं -प्रेम |
गुरुत्वाकर्षण एवं विद्युत-चुम्बकत्व जैसी प्राकृतिक शक्तियों की भांति  प्रेम की शक्ति भी हमे नही दिखाई पढ़ती |प्रेम की शक्ति गुरुत्वाकर्षण या विद्युतचुम्बकत्व या किसी भी प्राकृतिक शक्ति से ज्यादा शक्तिशाली हैं |
मानव हृदय केप्रेम की बदौलत ही हर खोज,अविष्कार और सृजन का होना संभव हुवा हैं |अपने चारो ओर  नजर डालें ,आपको जो भी मानव निर्मित चीज दिखती हैं उसका आस्तित्व प्रेम के अभाव में संभव ही नही था |
समानता से समानता आकर्षित होती हैं ,जीवन में हम जो देते हैं हमे वही वापस मिलता हैं |हमने आज तक अपने जीवन में जो भी  दिया हैं हमे वही वापस मिल रह हैं |


सकारात्मकता देंगे तो सकारात्मकता वा अच्छी चीजों से भरा जीवन मिलेंगा ,नकारात्मकता देंगे तो बदले  में नकारात्मक चीजे मिलती हैं ,
सवाल यह हैं की हम सकारात्मक या नकारात्मक चीजे देते कैसे हैं ?
*****अपने विचारों वा भावनाओं द्वारा *******

हर पल सकारात्मकता देना हैं -
विचारों और भावनाओं द्वारा ..........
क्यूंकि जीवन में जो लोग,परिस्थितियाँ या भावनाएं आती हैं ,वे विचारों या भावनाओं द्वारा ही हमारे ओर आकर्षित होती हैं |
उदाहरण:
१]यदि हम किसी व्यक्ति की मदद करते हैं तो हम देखतें हैं की हमे भी चारो ओर से मदद मिलने लगी हैं |
२]यदि परिवार में किसी सदस्य पर क्रोधित होतें हैं तो तो वह क्रोध जीवन की नकारात्मक परिस्थितियों के रूप में लौटता हैं |
हम विचारों वा भावनाओं से विचारों का सृजन कर रहें हैं ,हम जो भी सोचते और करते हैं ,उसी से हमारे जीवन की हर घटना,हर परिस्थिति वा हर अनुभव का निर्माण होता हैं |
उदाहरण :
१] अगर मैं यह सोचू और महसूस करूं की मेरा जीवन बेहतरीन हैं ,तो मैं ऐसे लोगों ,परिस्थितियों और घटनाओं को आकर्षित करूँगा ,जो मेरे जीवन को सचमुच बेहतरीन बना देंगे
हम एक चुम्बक हैं
हम जैसे विचार और भावनाओं को देंगे वैसे ही को आकर्षित करेंगे |
उदाहरण:
१]यदि मैं धन -दौलत के बारें में सकारात्मक विचार और भावनाओं तो मैं चुम्बक की भांति उन सकारात्मक परिस्थितियो ,लोगों और घटनाओं को आकर्षित करूँगा,जिनकी बदौलत जीवन में ज्यादा धन आयेंगा |
आकर्षण का नियम सदैव कार्य करता ही रहता हैं |इस बात से कोई फर्क नही पढ़ता हैं की मेरी भावनाएं अच्छी हैं या बुरी|वे उतनी ही सटीकता से मेरी ओर वापस आएँगी जैसी फोटो कापी मशीन ,कागज की फोटोकापी करता हैं |

*********विचार**********
अपनी पूरी विचार-शक्ति उन वस्तुओ पर केंद्रित करना हैं ,जो हमे  प्रिय हैं और जो हमें  चाहियें|हमें  केवल  दिन भर हुयी अच्छी बातों एवं घटनाओं के बारें में ही बात करनी हैं ,बार बार बताना हैं की हमे समय पर पहुचना कितना अच्छा लगाता हैं |पूरी तरह स्वास्थ्य रहना कितना अच्छा हैं |
हम लोग अपने जीवन में जो भी प्रिय चीजे लाना चाहतें हों,केवल उन्ही प्रिय चीजों के बारें में ही बातें करनी चाहियें |
********भावनायें***********
यदि विचार वा शब्द अंतरिक्षयान हैं तो भावनाएं उसकी ईधन|अंतरिक्षयान एक स्थिर वाहन हैं जो ईधन से चलता हैं |विचार एवं शब्द वे वाहण हैंजो भावनाओं के बिना कुछ नही कर सकतें क्यूंकि भावनाओं से ही उन्हें शक्ति मिलती हैं |
**********एहसास ********
एहसास इस बात का सटीक पैमाना और प्रतिबिम्ब हैं की आप उस पल क्या दें रहे हैं |जब आप अच्छा महसूस करतें हैं तो आपको किसी भी चीज की चिंता करने की जरूरत नही हैं क्यूंकि आपके विचार वा शब्द वा कार्य अच्छे होंगे|सिर्फ अच्छा एहसास होने पर ही आप प्रेम दे सकते हैं ,और इस बात की पक्की गारंटी हैं की वह प्रेम आपकी तरफ कई गुणा होके लौटेंगा |
-अजय यादव

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