||जिम्मेदारियाँ... हैं ! तेरी मेहरबानियाँ..||
इस ब्रम्हांड में संयोग जैसी कोई चीज नही होती ,हम एक सुव्यवस्थित
ब्रम्हांड में रहते हैं |हमारे जीवन में होने वाला सब कुछ जिसे हम अच्छे या बुरे
के आधार पर केटेगराईज्ड करते हैं |सब के लिए केवल और केवल हम,हमारी भावनाए या
एहसास जिम्मेदार हैं |जरुरी हैं की , हमारा फोकस लेजर जैसा हों ,ताकि हमेशा मनचाही
चीज के बारे में सोंचते व बात करते रहे | अक्सर लोग कहतें हैं “अजय जी !काम पर
जाना पड़ता हैं”.बहुत कम कहते हैं की “काम पर जाता हूँ” ! दोस्तों ..जिम्मेदारी से सामर्थ्य बढ़ती हैं ,लेकिन उन लोगों का क्या ?जिनको जिम्मेदारी बोझ लगती हैं ,उन लोगों
के मस्तिष्क के सोफ्टवेयर वाईरस{नकारात्मक विचार/भावनाएं } द्वारा प्रभावित हों चुके होते हैं |एक शेर याद
आ रहा हैं
“एक खता ता-उम्र हम , करते रहें|
धूल चेहरे पर थीं,और आइना साफ़ करते रहें”||
दोस्तों हम सब आखिर क्यूँ जी रहें हैं ?
आप क्यूँ जी रहें हैं ?
हम सब जी रहें हैं क्यूंकि हम खुश रहना चाहतें हैं |
हमे खुश रहने के लिए अपना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य हमेशा उत्तम
रखना होंगा |शारीरिक स्वास्थ्य अर्थात कसरत जबकि मानसिक स्वास्थ्य से तात्पर्य
नकारात्मक भावनाओं कों हटाकर सकारात्मक भावनाओं {Progressive Thought}कों स्थापित करना
हैं |
यह कैसे होंगा ?
जैसे अंधेरे कों भगाने के लिए दीपक जलाते
हैं, वैसे मन में सकारात्मकता कों लगातार स्थान देने पर नकारात्मकता का अंत हों
जाता हैं |
अपने जीवन में अच्छे मित्रों,अच्छी पुस्तकों
आदि कों समय देना होंगा |किसी व्यक्ति कों मैं उसके मित्रों कों देखकर ही पहचान
जाता हूँ की यह किस स्वभाव का होंगा ,दोस्तों आपके जीवन का स्तर{दशा/दिशा }वैसे ही
होंगी{औसतन} ,जैसे की आपके करीबी पांच मित्रों की होंती हैं |
परिवार {F.A.M.I.L.Y.=Father And Mother I
Love You} की खुशी का ध्यान रखकर ही हम खुश हों सकतें हैं |हमारा देश वर्षों से
पितृभक्ति वाला देश रहा हैं ,आप महर्षि परशुराम
के ज़माने से यह देख रहें हैं |
माँ कभी कोई फरमाईश नही करतीं ,वे हमेशा बिना शर्त का प्रेम बांटती
फिरती हैं ,दोस्तों उनको खुश रखियें |दुनिया के हर रिश्ते से ,माँ के साथ रिश्ता
नौ महीने ज्यादा का होता हैं |माता खुश हैं तो पूरा परिवार खुश रहता हैं |
दोस्तों इस दुनिया में कोई सेल्फ मेड नही होता ,इस दुनिया में आने के
लिए भी लोगों की जरूरत पड़ती हैं|हम अपने दिन के २४ घंटों में से ज्यादातर अपने काम
के सिलसिले में खर्च करते हैं,हम जिस कंपनी में काम करते हैं,अगर उस कम्पनी कों
खुद की कम्पनी मानकर कार्य करें तो आश्चर्यजनक तरक्की और इनकम से हमारी
दुनिया आबाद हों जाएँ|
दोस्तों सारी दुनिया में ,यहाँ तक की घर-गृहस्थी में भी तनाव का सबसे प्रमुख कारण “Lack Of Communication”
हैं |घर पर होना अलग बात हैं ,घर वालों के साथ होना अलग बात ! आप डिसाईड कीजिये की ज्यादा वक्त tv के साथ
बिताते हैं ,या बीबी के साथ |
दोस्तों !इस दुनिया में हमारा
जो भी उद्दम/व्यवसाय/कृति होती हैं ,उसके
कुछ खरीददार होतें हैं,जिन्हें ग्राहक कहते हैं|ग्राहक मुर्गी नही हैं ,जो सोने का
अंडा देती हैं ,मुर्गी कों तो कभी न कभी हलाक होना ही पड़ता हैं |दोस्तों !ग्राहक
गाय की तरह हैं ,जो सेवा करने पर दूध देती हैं |
दोस्तों ! दिल में ग्राहक
का एक मंदिर बना लिजियें,रोज सुबह उनको नमन कीजिये ,क्यूंकि उन्ही से आपकी रोटी
{R.O.T.I.=Return On Time Investment}चलती हैं,आपके बच्चों की फीस भरी जातीं
हैं,आपकी बीबी के गहने खरीदे जाते हैं|
“कावड़ लेकर बाबा गोरखनाथ हजारों किमी की यात्रा कर चुके थे ,उन्होंने सड़क के किनारे एक बहुत बीमार ..मरते हुए गधे कों देखा,जो जल के लिए तडप रहा था |बाबा ने अपने कावड़ का जल उस गधे कों पिलाया ,यह देखकर बाकी कावड़िये नाराज़ भी हुए|बाबा बोले “देखो भाईयो !भोलेनाथ के लिए कावड़ तो आप सब ले जा रहें हों और मेरे दो मटके न चढ़े,तो भी उनकी प्यास पर कोई फरक नही पड़ेंगा ,लेकिन अभी यह जल अभी मैंने इस गधे कों नही पिलाया तो इसके प्राण का अंत हों जायेंगा |किद्वंती हैं की पानी पिलातें ही शिव जी प्रकट हुए और बोलें की “अगर किसी का जल मुझ तक पहुंचा तो गोरखनाथ तेरा”|
दोस्तों ! जिस श्रृद्धा से आप मंदिर जाते हों ,अगर उसी श्रृद्धा से अपने काम पर जातें हों {चाहे जो करतें हों}तो समझ लीजिए की उस परमात्मा के दरबार में हाजिरी लग गयीं |
दोस्तों !
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
मैं आप सबके बीच का एक साधारण युवा हूँ ,कभी कभार पान की दूकान के पास खड़ा होकर लोंगो की बातें सुनता हूँ ,सिगरेट का कश खींचेंगे, और लम्बा धुँआ छोड़ेंगे ...और विश्व इकोनोमी व वकवास समाचारों की की चर्चा करेंगे की देखों जी, चीन ने, जापान ने , अमेरिका ने कितनी तरक्की कर ली हैं, पर हमारा डाकटर मनमोहन सिंह कुछ करता हीं नही, क्रिकेट टीम बेकार हैं ...पूनम पांडे ....,विलायती हीरोईने ..इत्यादि इत्यादि |अब ये सब बातें करने से क्या स्थितियां सुधर रहीं हैं ?जब इनसे पूछो “जी ! भारत की इकोनोमी सुधारने के लिए आप क्या कर रहें हों ?..लो जी बात कर ली बस हों गयी पूरी जिम्मेदारी | ये ऐसे लोग हैं जिनको एक्सन बिलकुल नही लेना हैं और इनकी सोच पूरी तरह निगेटिव हों चुकी होती हैं |
कुछ लोग तो बड़े सकारात्मक होतें हैं किन्तु एक्सन हीं नही लेते ,इसका
भी कोई फायदा नही |इनसे तसल्ली तो मिल सकती हैं ,पर तरक्की नही|इस कैटेगरी के लोग
OSTRICH SYNDROME से ग्रसित होते हैं अर्थात यथास्थिति का सामना नही करते ,भौकाल
बनाते हैं बस |एडमंड बर्क कहतें हैं -
“बुराई के जड़ ज़माने के लिए इतना काफी हैं की अच्छे लोग कुछ न करें ,और बुराई जड़ पकड़ लेंगी”
“For evil to flourish,good people have to do nothing and evil shall flourish”-Edmond Burke
पर कुछ लोग ऐसे LEADER हैं जिनको बेहतर कार्य और हर कार्य की
जिम्मेदारी के लिए कोई तमगा नही चाहिए होता हैं{Lead Without A title} |ये किसी का
दोष नही देखते ,बहाने नही बनाते और स्थिति कों बेहतर करने की दिशा में निरंतर लगे रहते
हैं |इनकी प्रकृति पहल करने वाली {INITIATIVE}होती हैं |दुनिया में होने वाले
समस्त बेहतर कार्यों के पीछे इनका हाथ और उर्जा होती हैं |ऐसा ही व्यक्ति बनने की
कोशिश में मैं लगा हूँ|
शुक्रिया !
ReplyDeleteअजय जी
ReplyDeleteकमाल ....धमाल....मनभावन पोस्ट ...
कितनी सारी सीख दे जाते हैं...
Sadar pranam.
ReplyDeleteबहुत ही सारगर्भित आलेख, शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
कुछ अलग सा ...
ReplyDeleteअच्छा लगा !
कर्म के प्रति श्रद्धा हो तो जीवन सचमुच आसान हो जाता है!
ReplyDeleteसार्थक आलेख!
चिन्तनीय आलेख..
ReplyDeleteवह अजय जी
ReplyDelete..........आज तो आपने पोस्ट के ज़रिये बहुत साडी सीख दे डाली है .....आपका आलेख पढ़ते हुए आज जरा सा भी ध्यान इधर उधर नहीं भटका.....बहुत ही सुंदर आलेख
शुभकामनाओ के साथ संजय भास्कर