1 September 2013

सबसे बड़ा रोग ! क्या कहेंगे लोग ?



रीना ने आज खुद के मुताबिक सफलता की सबसे ऊँचे पायदान को छुवा था,जिस चीज को उसने पाना चाहा था आज उसने पा लिया|पर इन सब में सबसे खास बात यह थी कि रीना ने अपनी जिंदगी में कभी मेहनत नही करना सीखा,उसकी फिलोसिफी थी कि मेहनत स्मार्ट थिंकर्स नही करते ..भगवान ने इंसान को इतना अक्ल दिया हैं,फिर मेहनत करने कि जरूरत क्या हैं?मेहनत के बजाय यदि किसी चीज कि जरूरत हैं तो वो हैं अपने कार्य कों पसंद और इंजॉय करना|जिन चीजों को आप पसंद करते हैं अगर उनको इंजॉय करना सीख जाते हैं तो हर चीज बहुत सरल हों जाती हैं |दसवी की परीक्षा में उसने बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया था ,फिर आज इंजीनियरिंग में उसने टॉप किया था फिर भी कहती हैं वो कभी मेहनत नही करती ..आखिर राज क्या हैं उसकी सफलता के पीछे आईये उसके जीवन का सूक्ष्म विश्लेषण करते हैं
रीना हमेशा लाईट ट्रेवेल करती हैं अर्थात बिना फिजूल के इमोशंस ,गिल्ट ,इम्प्रेशन आदि के चक्कर में वह नही पड़ती न ही इन इमोशंस को अपने मष्तिष्क में रखती हैं | आप उसे पसंद करो या नापसंद करो ..वह इस चीज के पीछे कभी परेशान नही होती कि ….क्या कहेंगे लोग ??…अक्सर वह कहती भी हैं कि सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग”|अक्सर उसे मैं हवाओ से बातें करते खुले अम्बर तले खुले उड़ते बालो में साईकिल भागाते देखा हूँ | वह कहीं भी नुक्कड़ पर चाट खा सकती हैं ,किसी भी दूकान से स्टेशनरी खरीद सकती हैं ..इस मामले में उसे जो अच्छा लगता हैं करती हैं |बिना वजह के फेसबुक पर वक्त नही बिताती क्यूंकि उसको इसकी जरूरत नही लगतीइस विषय में रीना अक्सर कहती हैं हम लोगों को करना हैं ……पांच कार्य और करते पच्चीस हैं ,बिना वजह अपने जिंदगी में काम्प्लिकेसंस पैदा करते हैं|हमे जिंदगी में जो करना चाहिए सिर्फ वही करें तो हमारी जिंदगी यक़ीनन बड़ी सरल हों जाती हैं ,नही तो …………………हम स्वाद और चस्के लेने कि आदत के इतने गुलाम हों गए हैं, कि हम वो चीज भूलते जा रहें हैं जो यक़ीनन बहुत महत्वपूर्ण हैं हमारे लिए अक्सर हम लोग जीवन ऐसे जीते हैं जैसे कल कि तैयारी कर रहें हों लेकिन क्या कल किसी ने देखा हैं ?नही न….रीना का विश्वास हैं कि अपने लक्ष्य पर फोकस किया जाय तो रिजल्ट के रूप में जादू’{magical results]आते हैं |
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दोस्तों !जीवन में हमारी सोच के अनुसार हमे परिणाम मिलते हैं |आईये समझते हैं कैसे ?
ईश्वर के पास एक डिक्सनरी हैं, जिसमे सिर्फ एक ही शब्द हैं “तथास्तु”{granted}.
एक महिला कहती हैं “मुझे कोई नही चाहता”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”|
दूसरी महिला कहती हैं “मुझे !हर कोई चाहता हैं ,मेरा सम्मान करता हैं”|
ऊपर से ईश्वर कहते हैं “तथास्तु”
आप जैसी भी सोंच या भावना रखेंगे ,भगवान का तथास्तु{granted} हमेशा चलता रहता हैं |अब आप कहाँ कहाँ तथास्तु चाहते हैं ,ईश्वर से ??
चुनाव आपका हैं |

12 comments:

  1. यह सब न करने से मन को रोकना तो सबसे बड़ी मेहनत है, बहुत ही सुन्दर ढंग से कही है प्रभावी बात

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  2. बहुत ही प्रभावशाली रचना.

    रामराम.

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  3. बहुत उम्दा प्रभावी प्रस्तुति,,,

    RECENT POST : फूल बिछा न सको

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  4. This comment has been removed by a blog administrator.

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  5. आपकी लेखनी यूं ही उम्दा चलती रहे
    तथास्तु ....

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    Replies
    1. सादर प्रणाम |
      आपका आशीर्वाद |

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    2. .........हमेशा मेरे साथ बना रहें |

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  6. वाकई अगर लक्ष्य पर फोकस किया जाए तो रिजल्ट हमेशा ही अच्छे आते है जो एक जादू से कम नहीं है

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  7. सार्थक एवं सकारात्मक प्रस्तुति अजय जी .

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  8. एक छोटी सी कविता
    ......... जन्मदिन पर विशेष :))

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  9. बहुत सार्थक और सकारात्मक ऊर्जा से भरा आपका यह लेख प्रेरणादायक है.....

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