17 May 2020

सब्सिडिया जो भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है वही विवाद का विषय भी हैं

जब सार्वजनिक कल्याण के मकसद से खाद्य उर्वरक, रसोई गैस, मिट्टी का तेल( केरोसिन) आदि को लागत से कम दाम पर बाजार में बेचा जाए और लागत तथा बाजार कीमत के बीच के अंतर की भरपाई सरकार करें तो यह अंतर ही "सब्सिडी" कहलाता है| सब्सिडी योग्यता, आय स्तर , सामाजिक समूह आदि जैसे मानदंडों के आधार पर प्रदान की जाती है| सब्सिडी या भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए अति आवश्यक है जैसे- 1) उर्वरक सब्सिडी उर्वरक प्रयोग को बढ़ावा देती है कृषि उत्पादन में वृद्धि करती है ,साथ ही कुछ किसान उच्च मूल्य पर उर्वरकों की खरीद में सक्षम नहीं है, तो सब्सिडी से उत्पादन लागत नियंत्रित रहती है| 2) सब्सिडी से अकुशल श्रम बल को रोजगार मिलता है .।कृषि आवश्यकता हेतु मानव पूंजी की उपलब्धता बनी रहती है| 3) कृषि सब्सिडीओं के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है साथ ही उचित भंडारण एवं पैकेजिंग व्यवस्था हेतु सुविधा उपलब्ध कराया जाता है| 4) सब्सिडी बीज वितरण, विपणन कृषि संबंधित प्रौद्योगिकियों, नवीन प्रौद्योगिकियों के क्रियान्वयन एवं प्रशिक्षण पद्धतियों , ऋण हेतु आश्वासन, मशीनों इत्यादि हेतु सहायता प्रदान करती है| इसके साथ ही आपदा प्रबंधन में बढ़ती आबादी के भरण पोषण हेतु फसलों की उपलब्धता को सुनिश्चित एवं संरक्षित करती हैं| फिर भी कुछ ऐसी वजह हैं जिनके कारण कृषि सब्सिडीया विवाद का विषय है - 1)सब्सिडी कृषि उत्पादन में उर्वरकों तथा कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ावा देती हैं जिससे मृदा स्वास्थ्य प्रभावित होता है|ICAR( भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) ने फसलों और मिट्टी के आधार पर जैविक उर्वरक विकसित किए हैं जिससे फसल उत्पादन 10 से 20% बढ़ सकता है साथ ही महंगे रसायनिक उर्वरकों के उपयोग में 20 से 25% की कमी भी आ सकती हैं | 2)उच्च कृषि सब्सिडीओं के कारण सरकार कृषि क्षेत्र में पूंजी निर्माण पर पर्याप्त निवेश नहीं कर पा रही है जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार धीमा है| 3) कुछ खास फसलों पर सब्सिडी के कारण लोग उन्हीं फसलों के उत्पादन पर निर्भर हो रहे हैं जिससे क्रॉपिंग पैटर्न पर विपरीत प्रभाव पड़ा है साथ ही खाद्य मुद्रास्फीति का कारण भी बन रहा है| 4)पावर सब्सिडी के कारण भूजल का दोहन बढ़ा है, यदि भूजल का स्तर नीचे जाता है तो इससे ग्रामीण गरीबी भी बढ़ती है 5)सब्सिडीओं के कारण परंपरागत कृषि आगत तो जैसे हरी खाद आदि का उपयोग कम हो रहा है जबकि यह पर्यावरण व पारिस्थितिकी के मित्रवत हैं वहीं दूसरी ओर अंधाधुंध उर्वरक सब्सिडीओं से एनपीके के उपयोग से मृदा के साथ-साथ जलीय इकोसिस्टम को भी क्षति पहुंची है यूट्रोफिकेशन जलीय जीव जंतुओं के लिए जानलेवा साबित होता है जो किसी जलाशय में उर्वरकों के बाहर जाने से ZOOPLANKTONS एवं ALGAE के विकास एवं अधिक ऑक्सीजन उपभोग से उत्पन्न होता है इससे जलीय जंतुओं को ऑक्सीजन नहीं मिलती और उनकी मृत्यु हो जाती है 6) सब्सिडी का भुगतान सार्वजनिक ढंग से किया जाता है भ्रष्ट राजनेता ,नौकरशाह, बिचौलिए निजी हित में इनका अधिकांश भाग इस्तेमाल करते हैं कृषि अर्थव्यवस्था चारा घोटाला उर्वरक घोटाला और निधियों के प्रसरण हेतु चिन्हित की जाती है| 7) कृषि सब्सिडी अधिक कृषि उत्पादन हेतु सीमांत कृषि भूमियों के अतिक्रमण को बढ़ावा देती है जिसका उपयोग जंगलों आर्द्रभूमि यो या अन्य पर्यावरण संरक्षण उद्देश्य हेतु उपयोग किया जाता है सब्सिडी या मिश्रित फसलों के रोपण, पशुपालन मूल्य नियंत्रण जैसे नवाचारी कृषि प्रथाओं की तरफ ध्यान न देने का कारण होती है जरूरत है कि मजबूत बुनियादी ढांचा बनाकर किसान को आत्मनिर्भर बनाया जाए|

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