Showing posts with label काव्य. Show all posts
Showing posts with label काव्य. Show all posts

1 January 2014

"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं"

"नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं"


नये वर्ष का नया सवेरा ,
कुछ ताजे ताजे फूल खिले हैं,|
दिलो में दोस्ती की महक लिए
कुछ नये नये कद्रदान मिले हैं ||
ये रंग-बिरंगे,महकते,सुगन्धित पुष्प
जो दिन रात संघर्षों में जलें हैं|
खुले अम्बर,हकीकत के तल पर  
श्रृष्टि की आँखों में सपने पले हैं||
सपने  बड़े  सहज  ,सुंदर  हैं
दिल में पाने की हसरत,हौंसले हैं
सोच,सृजन,समर्पण,लगन से
ठोकरों में सारी ,मंजिले हैं ||
मंजिले पता पूछती हैं ,उस मुसाफिर का
जिसके रात  भर, दिए  जले  हैं |
तूफानी आधियों,सैलाबों में वह डटा हैं ,
देख जिसको ,घड़ी की सुई चले हैं||
-अजय यादव की कलम से |

23 September 2013

मुह ढक कर निकलना उसकी मजबूरी हैं,जबसे



इस शहर की खूबसूरती पर जंग लगी है,तबसे  |

मुह ढक कर निकलना उसकी मजबूरी हैं,जबसे||


उसके हुश्न की उपमा चाँद-तारों से क्या दूँ,यारो |

वों  काले बादलों में चमकती,बिजली हैं प्यारों ||


गुलाबी रंगत ,अनार  सी  दहकती ,उसकी रंगत|

किताबो और सुंदर पाठो की दिन भर की संगत ||

10 August 2013

कुछ कहना हैं तुमसे .............

 
 
 
 
 
 
 
मेरी शुभकामनाएँ....
मेरी दुवाये .......
मेरी सदभावनाएँ....
हमेशा तुम्हारें  साथ हैं ,
 तुम कहती हों  ...मैं तुमको इत्ता नही जानता ...
लेकिन मैं हर सच्चे इंसान कों जानता हूँ ,
जिनके मन में खुसबू होती हैं ,
जो जाति/धर्म/लिंग-भेद
की हर सीमा से उपर ...सोचते हैं |
वरना आज किस लड़की कों
इतनी फुर्सत हैं ......
की वह सुदूर बैठे ,एक मित्र कों
अपनी कविता सुना सके ....
अपने जज्बात बता सके |
निश्चल मन से विश्वास कर सकें
तुम कविता लिखती हों  |
तुम अपनी कविता में सारा दर्द उतारो...|
लिखो और नोटबुक बंद कर दो.........
******************************

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 हर सुबह,जिंदगी नई हैं .....
उठो ताज़ी,हवा खींचो लग जाओ ...
नई परिभाषाये गढ़ने में ...
नई सफलता गढ़ने में....
तुम्हारा वजूद और तुम ....दोनों .
किसी के विचारों के मोहताज़ नही ,|
किसी बवंडर में हिल नही सकते ..
ऐसी किसी बवंडर की औकात नही ||
किसी के तुच्छ ख्यालात ...
तुम्हारे पैरों की बेडी बन गए ??
तुम्हारे मन में इतनी कमजोरी....
संगदिल पत्थर देवता बन गए ??
उस पल का इन्तेजार हैं ..
जब कायनात ...फिर झूमेंगी ,
तुम्हारी रंगत नई नवेली दुल्हन सी होंगी ...
बादलों में बिजलियाँ चमकेंगी |
मनो में अरमान कौधेंगे ..
करके श्रृंगार धरा ,नव पल्लवन ...
नव सुंदर सृजन करेंगी |
तुम खिल-खिलओंगी हंसोंगी,गाओगी .
सब उन खुशियोँ में खों जायेंगे .......
सुर में सुर मिलायेंगे ......
 

23 April 2012

चलते ही रहना

     चलते रहना

जिंदगी की दौड़ में ............
तेज या शक्तिशाली नही जीतता ........
जीतता वो हैं ..जो ...........
तब तक चलता हैं ...........
जब तक की ............
मंजिल नही मिल जाती..........
कड़ी मेहनत पर्याप्त नही ......
विजेता का दिल होना चाहियें...
चाहे जो कुछ हों जाएँ......
मैदान ना छोड़ना..अजय
कई बार गिरना..........
उठ कर खड़े होना ........
चलते रहना.............
बस चलते रहना ...........अजय

2 April 2012

प्रेम

अक्सर मै सोचता हूँ की…..
उस लड़की को क्यों चाहता हूँ ,
मेरी तरह हांड मांस की वो भी बनी हैं ,
उसमे भी उतनी ही हड्डियाँ हैं ,
सारे शरीर की जैव रसायनी सामान हैं ,
फिर मै उस मोड पर क्यों पलट के देखता हूँ .
इस चाह में की वो लड़की दिख जाये ,
रोमांटिक गाने सुनते वक्त वो याद क्यूँ आती हैं ,
दुनिया बनाते वक्त शायद भगवान ने
इंसान की व्यस्तता और …
व्यस्तता व्युत्पन्न इंसानी परायेपन को
भाप-लिया था इसीलिए…………
उन्होंने सृष्टि की रचना में
प्यार का नया खेल रचाया |
विश्वास ,समर्पण ,त्याग जैसे ,
कुछ पायदान बनाया ,

गर्म-गोस्त

गोस्त –की-दूकान {कवि-अजय]
गली के उस चौराहें पर ,
गोस्त की दुकान हैं,
पापा का हाथ बटाने,
अक्सर सलीम आ जाती हैं |
सलीमा कमसिन कुंवारी हैं,
उघरता बदन भरपूर जवानी हैं
आशिको और व्यभिचारियो की,
घूरती निगाहें ,
क्या यही हर जवानी की कहानी हैं,?
गोस्त खरीदने वाले लोग अक्सर ,
गोस्त की ताजगी तसव्वुर से,
जान जाते हैं,
ताज़े गोस्त को देखते हैं ,
सलीमा को देखते हैं,
अर्थपूर्ण मुस्कान से मुस्कराते हैं|
सलीमा अक्सर खड़ी-खड़ी ,
नशेड़ी –शबाबी आँखों की चुभन ,
महसूस करती हैं |
कभी-कभी उसका मन कहता हैं ,
की चाकू से खुद के अंगों को,काटकर
तराजू पर रख दें |
मिमियाती बकरी सा कट जाएँ ,
उसका भी गोस्त बिकें ,
ताकि घूरती आँखों की चुभन से ,
उसका संवेदी वजूद बच जाएँ

10 October 2011

सफलता

प्रसन्न हूं ,खुश  हूं ,सफलता की ओर हूं,,
मेहनत से पाने को मेहनत की ओर हूं ,
ईश्वर की दौलत हूं जीवन से एकाकार हूं ,
हर चीज को समझने को ईश्वर से एकाकार हूं,|
                                                                   
                                                                          प्यार की लय पर मेरा दिल थिरकता हैं,
                                                                     अच्छाइयों को देखके,उन्हें यह पकड़ता हैं,
                                                                     प्यार,खुशी सहजता का दिव्य मार्ग पकड़ता है,
                                                                     मुक्त है,मुक्ति है,दिव्य है,दिव्यता हैं,

Featured post

जीवन हैं अनमोल रतन ! "change-change" & "win-win" {a motivational speech}

जीवन में हमेशा परिवर्तन होता ही रहता हैं |कभी हम उच्चतर शिखर पर होते हैं तो कभी विफलता के बिलकुल समीप |हमे अपने स्वप्नों की जिंदगी वाली स...