अक्सर मै सोचता हूँ की…..
उस लड़की को क्यों चाहता हूँ ,
मेरी तरह हांड मांस की वो भी बनी हैं ,
उसमे भी उतनी ही हड्डियाँ हैं ,
सारे शरीर की जैव रसायनी सामान हैं ,
फिर मै उस मोड पर क्यों पलट के देखता हूँ .
इस चाह में की वो लड़की दिख जाये ,
रोमांटिक गाने सुनते वक्त वो याद क्यूँ आती हैं ,
दुनिया बनाते वक्त शायद भगवान ने
इंसान की व्यस्तता और …
व्यस्तता व्युत्पन्न इंसानी परायेपन को
भाप-लिया था इसीलिए…………
उन्होंने सृष्टि की रचना में
प्यार का नया खेल रचाया |
विश्वास ,समर्पण ,त्याग जैसे ,
कुछ पायदान बनाया ,
उस लड़की को क्यों चाहता हूँ ,
मेरी तरह हांड मांस की वो भी बनी हैं ,
उसमे भी उतनी ही हड्डियाँ हैं ,
सारे शरीर की जैव रसायनी सामान हैं ,
फिर मै उस मोड पर क्यों पलट के देखता हूँ .
इस चाह में की वो लड़की दिख जाये ,
रोमांटिक गाने सुनते वक्त वो याद क्यूँ आती हैं ,
दुनिया बनाते वक्त शायद भगवान ने
इंसान की व्यस्तता और …
व्यस्तता व्युत्पन्न इंसानी परायेपन को
भाप-लिया था इसीलिए…………
उन्होंने सृष्टि की रचना में
प्यार का नया खेल रचाया |
विश्वास ,समर्पण ,त्याग जैसे ,
कुछ पायदान बनाया ,