तेरा एहसान हैं बाबा !{Attitude of Gratitude}
आईये सोचिये ...पिछली बार आप कब किसी चीज के
प्रति आभार व्यक्त किये थे ?क्या आप अपने जीवन की हर चीज ,हर अच्छी चीज के प्रति
कृतज्ञ हैं ?अपनी चमचमाती गाडी या साईकिल,अपने शानदार भवन ,अपने सुंदर डेकोरेटेड
आफिस,हर महीने आपके अकाउंट में सैलरी के रूप में आने वाले असीमित पैसे ....परिवारजनों
का असीमित प्रेम ..आप किस चीज के लिए ,अभी जल्द हीं कृतज्ञता व्यक्त कियें हैं
?अगर आपके जीवन में ये सब अभी अपार मात्रा में नही भी हैं तो भी आप कृतज्ञता के माध्यम से इन सबको
अपने जीवन में आकर्षित कर सकतें हैं |दोस्तों स्ट्रेस मैनेजमेंट की इस तीसरी कड़ी
में मैं आपका दोस्त हाज़िर हूँ ,सर्वाधिक शक्तिशाली यूजफुल इमोशन “कृतज्ञता ज्ञापन”
कों लेकर ,जो हर हाल से हमारी परिस्थिति कों मनचाही अवस्था में ले जायेंगी |
हम
मनुष्य लोग सामाजिक जीव हैं ,हमारी एक individual पहचान होने के साथ साथ एक
सामाजिक पहचान भी हैं |
जब हम किसी चीज के प्रति कृतज्ञ होते हैं ,तो
उसे प्रेम देते हैं |हमारा रोम रोम बहुत ही सकारात्मक प्रेम उर्जा से भर जाता हैं
,और दोस्तों हमारे एहसास के अनुसार हमारी फ्रीक्वेंसी बदलती हैं ,और हम उस
फ्रीक्वेंसी पर मौजूद अन्य लोगो कों आकर्षित करते हैं |यही कारण हैं की जब हम
प्रेम महसूस करते हैं तो हमारे जीवन में हर अच्छी चीज की {वांक्षित} बाढ़ सी आ जाती
हैं जबकि जब हम प्रेममय नही होते तो हमारे
जीवन में अवांक्षित चीजे बढ़ने लगती हैं |
रहोंदा बर्न ‘द पावर’ में लिखतीं हैं “किसी ऐसी चीज या व्यक्ति के बारें
में सोंचे ,जिसके लिए आप कृतज्ञ हों सकते हैं |आप उस व्यक्ति कों चुन सकतें हैं
जिसे आप दुनिया में सबसे ज्यादा प्रेम करते हैं |उस व्यक्ति पर ध्यान केंद्रित
किजीयें और उन सभी चीजों के बारे में सोंचे ,जिनकी वजह से आप उससे प्रेम करते हैं
और जिनके लिए आप कृतज्ञ हैं |फिर मन ही मन या बोलकर उस व्यक्ति कों उसकी वो सारी
विशेषताएं बता दें जिनके लिए उसे प्रेम करते हैं और कृतज्ञ हैं ,वह व्यक्ति वहाँ हों
या न हों ,तब भी आप उसे वैसे ही बताएं जैसे वह वहीँ पर हों |और बताते समय आप महसूस
किजीयें की कृतज्ञता की भावना हमारे हृदय और शरीर में भर रहीं हैं”|इस सरल अभ्यास
से आप जो प्रेम देतें हैं वह निश्चित रूप से उस सम्बन्ध और आपके जीवन में लौटकर
आयेंगा |
मैं
अक्सर खुद से कहता रहता हूँ “मेरा मस्तिष्क बहुत
प्रबल सामर्थ्यवान हैं,दुनिया के किसी भी सुपर-कम्प्यूटर में इसकी बराबरी
की औकात नही , इसके लिए मैं उसका शुक्रिया अदा करता हूँ ,मेरा इम्यून सिस्टम इतना
प्रबल हैं की मुझे याद नही पड़ता की पिछली बार मैं कब बीमार पड़ा था ,मैं अपने प्रतिरक्षा
तन्त्र के प्रति एहसानमंद हूँ,जो रोंगो के प्रति अभेद बैरियर हैं |अपने शरीर के हर
अंग के प्रति एहसानमंद हूँ जिनकी हीलिंग पावर अदभुत हैं |मैं हर उस चीज के लिए
एहसानमंद हूँ जो विभिन्न श्रोतो से मुझतक आ रहीं हैं,मैं उस अपार धन के प्रति आभार
व्यक्त करता हूँ जो विभिन्न श्रोतो से मुझतक आ रहा हैं ,मैं अपने बिलो कों जमा
करते वक्त हमेशा उस पैसे कों आशीर्वाद देता हूँ की “वह पैसा ....भूखो कों भोजन दें,फटेहालों कों
कपड़ा दें और कई गुना होकर मुझ तक लौटें “उस पानी के लिए एहसानमंद हूँ जो मैं पीता
हूँ ,उस भोजन के प्रति एहसानमंद हूँ जो मैं खाता हूँ |इस सुंदर पृथ्वी पर उपस्थित
हर खूबसूरत नियामतों के लिए मैं बहुत एहसानमंद हूँ” |
राधेश्याम नामक मरीज़ ICU के बेड नॉ २४ में भर्ती
हुआ था |उसको ब्रेन ट्यूमर था |डाक्टरों के सर्वाधिक एजुकेटेड न्यूरो-सर्जनो के एक
समूह ने मीटिंग के बाद उसके घरवालों से मिलकर तय किया की आपरेशन तो वे करेंगे पर
मरीज के बचने की संभावना बिलकुल नही हैं |राधेश्याम एक नौटंकी कंपनी का प्रसिद्ध
जोकर था ,अपने अंतिम समय में {जैसा डाक्टरों ने कह दिया था} भी वह हँसता –हंसाता रहता
था |एक दिन संयोग से उस तरफ से एक न्यूरो डाक्टर के सह्योंगी के रूप में मेरा उसके
बेड पर जाना हुआ ,मैंने महसूस किया की राधे
ऐसा व्यवहार कर रहा हैं जैसे उसे कुछ हुआ ही नही हैं ,तभी मेरे दिमाग में यह
कौंधा की ‘यह ठीक हों जायेंगा’ मन में आया की इससे बात करूं ,क्यूंकि मेडिकल साईंस
की अपनी एक सीमा हों सकती हैं ,किन्तु मेटाफिजिकल साईंस और क्वांटम फिजिक्स असीम
विचार धारा की ओर ले जातें हैं .क्वांटम फिजिक्स तो यहाँ तक कहता हैं की “उस किसी
भी चीज की आप कल्पना तक नही कर सकते जिसका अस्तित्व न हों” |मैंने सोचा की अगर मैं
यह सोच रहा हूँ की राधे ठीक हों सकता हैं ,तो जरुर इसकी सम्भावना जरुर इस
ब्रम्हांड में हैं |मैंने उसके घर वालों से बात की और उनसे कहा की वे राधे कों
पूरा विश्वास दिलाएं की वो ठीक हों चुंका हैं ,उसे बार बार उस वक्त की याद दिलाएं
जब वो बिलकुल मस्ती में झूमता रहता था ,उसे रोजाना अपने स्वास्थ्य ,अपने सुधरते
मस्तिष्क के प्रति एहसान मंद होना हैं,जो भी फल .जल भोजन ,दवाए वो ग्रहण कर रहा
हैं सब उसके लिए अत्यन्त यूजफुल हों रहीं हैं ,उन सब के प्रति उसे एहसान मंद होना
हैं |दिन में कम से कम दो बार वो ऐसी कल्पना करें की वह विल्कुल ठीक होकर इस
अस्पताल से जा रहा हैं |सभी डाक्टर ,जो उसके जिंदादिली के मुरीद हैं ,जिनमे मैं भी
हूँ ,बधाईयां दे रहे हैं” |ठीक ४थें महीनें
हम सभी लोग राधेश्याम के साथ अस्पताल के बाहर वाली दूकान पर काफी पी रहें थे और
खिलखिला रहें थे |
अपने अनुभव से मैं ये जानता हूँ की बुरी से
बुरी स्थितियों कों लोगो ने कृतज्ञता के माध्यम से बदला हैं |ऐसी बीमारियाँ जिनके
ठीक होने की सम्भावना नही थी लोगो ने कृतज्ञता के माध्यम से जाने-अनजाने में ठीक किये
हैं |टूटे रिश्ते जुड़े हैं |जिंदगियां संवरी हैं |
कृतज्ञता,स्ट्रेस का समूल नाश करती हैं
,हमारे जीवन में जो कुछ भी नियामतें हैं जब हम उनके प्रति कृतज्ञ होना शुरू कर
देतें हैं ,तो हमारी भावनाएं बदल जाती हैं ,हमारी फेक्वेंसी बदल जाती हैं ,हम
स्ट्रेस फुल कंडीशन से बाहर आकर सकारात्मक और प्रेममय हों जाते हैं ,विश्व के हर
मसीहा ,हर धर्म-स्थल पर,हर आरती में ,हर प्रार्थना में कृतज्ञता कों मुख्य टूल की
तरह होना होता हैं ,क्यूंकि कृतज्ञता से शक्तिशाली इमोशंस शायद हीं हों |
हमे जीवन में निम्न ३ प्रकार से कृतज्ञ होना चाहिए –
१]अतीत में जो भी नियामतें मिली हैं ,उनके प्रति
एहसानमंद होना और ह्रदय से महसूस करना हैं |
२]वर्तमान की समस्त नियामतों के लिए एहसानमंद
और हृदय से आभारी होना हैं |
३] भविष्य में जीवन में हमारी जो भी
आपेक्षाएं हैं,उनके प्रति इस तरह से कृतज्ञ होना हैं जैसे वो पूरी हों गयी हों |
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दोस्तों ..हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने एक शोध
किया उसने कुछ लोगो कों मदर टेरेसा पर आधारित एक फिल्म दिखाई और लोगो कों उस विषय
में कागज पर अपने विचार लिखने कों कहा...
कुछ लोग जिन्होंने फिल्म देखने के बाद
पोजिटिव प्रतिक्रिया दी थी उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ी हुयी पायी गयी |
कुछ लोग जो उदासीन रहें ,उनकी प्रतिरोधक
क्षमता पहले जैसी ही रहीं ..|
कुछ लोग जिन्होंने निगेटिव रिस्पोंस दिए उनकी
प्रतिरोधक क्षमता घट गयी थी |
तो आपको अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए
कौन सा टोनिक पीना हैं..झंडू या केसरी जीवन.... ,
कोई भी नही.........सब बेकार हैं,उस फार्मेसी
के आगे ..जो प्रकृति ने हममे बनायीं हैं |