आज से ठीक 101 साल पहले 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन, वैशाखी [एव खालसा पंथ की स्थापना उत्सव (creation of Khalsa (1699)]मनाने के लिए अमृतसर के लोग जलियांवाला बाग में एकत्रित हुए | स्थानीय नेताओं ने इसी स्थान पर एक विरोध सभा का आयोजन किया, त्योहार के आयोजन के बीच विरोध प्रदर्शन बैठक देश शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी जिसमें दो प्रस्ताव रौलेट अधिनियम की समाप्ति और 10 अप्रैल की गोलाबारी की निंदा प्रस्ताव पारित किए गए, कारण यह था की 10 अप्रैल 1919 को राष्ट्रवादी नेताओं सैफुद्दीन किचलू और डॉक्टर सत्यपाल को ब्रिटिश अधिकारियों ने रौलट एक्ट का विरोध करने के कारण गिरफ्तार कर लिया था |
इसी को शांतिपूर्ण बनाए रखने की जिम्मेदारी रेजीनाल्ड डायर(Brigadier-General Reginald
Edward Harry Dyer) को सौंपी गई , डायर ने इस सभा के आयोजन को सरकारी आदेश की अवहेलना समझा और सभा स्थल को चारो ओर से घेर लिया डायर ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के सभा पर गोलियां चलाने का आदेश दे दिया ,लोगों पर तब तक गोलियां बरसाई गई ,जब तक सैनिकों की गोलियां समाप्त नहीं हो गई, सभा स्थल के सभी निकास मार्गों के सैनिकों द्वारा गिरे होने के कारण सभा में सम्मिलित निहत्थे लोग भाग नही पाये ... चारों ओर से गोलियों से छलनी होते रहे|
इस घटना में लगभग 1000 लोग मारे गए जिसमें युवा, महिलाएं, बूढ़े बच्चे सभी शामिल थे जलियांवाला बाग हत्याकांड से पूरा देश स्तब्ध रह गया | वहशी क्रूरता ने पूरे देश को मौन कर दिया |
रविंद्र नाथ टैगोर ने विरोध शुरू अपनी “नाइटहुड” की उपाधि त्याग दी और शंकर राम नागर ने वायसराय की कार्यकारिणी से त्यागपत्र दे दिया| अनेक स्थानों पर सत्याग्राहियों ने अहिंसा का मार्ग त्याग कर हिंसा का मार्ग अपनाया |
18 अप्रैल को गांधी जी ने अपना सत्याग्रह समाप्त कर दिया क्योंकि उनके सत्याग्रह में हिंसा का कोई स्थान नहीं था
1919 की घटना ने PANJAB की प्रतिरोध या विरोध प्रदर्शन की राजनीति को आकार प्रदान किया |
भगत सिंह की भारत नौजवान सभा ने इस जनसंहार को ऐसे कृत्य के रूप में देखा जो असहयोग आंदोलन की समाप्ति के बाद उत्पन्न संताप से उबरने में मदद करेगा |
इस घटना के समय वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड था |
इस घटना की जांच के लिए तात्कालिक भारत सचिव एडविन मोंटेग्यू ने 14 oct 1919 को हंटर कमीशन का गठन किया |
उधम सिंह जिन्होंने अपना नाम राम मोहम्मद सिंह आजाद रखा ने लेफ्टिनेंटगवर्नर..माइकल-ओ-डायर (सर माइकल फ्रांसिस ओ ड्वायर (Michael O'Dwyer ; 28 अप्रैल 1864 - 13 मार्च 1940), 1912 से 1919 तक भारत में पंजाब के लेफ्टिनेंट गवर्नर थे। ओ डायर ने अमृतसर नरसंहार के संबंध में कर्नल रेजिनाल डायर की कार्रवाई का समर्थन किया और इसे "सही" ठहराया था। ) की हत्या कर दी जिसके लिए उन्हें 1940 में फांसी की सजा दी गई
...वर्ष 1974 में उनकी अस्थियों को भारत लाया गया |
...वर्ष 1974 में उनकी अस्थियों को भारत लाया गया |
-Dr Ajay Yadav
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