तेरा रहना होता हैं।
मेरी सांसो में,
मेरे एहसांसो में,
मेरे अन्तःकरण में
मेरे विश्वासो में
मेरे लफ्ज मौन हैं
शब्द शब्द पर पहरा हैं
तुम्हारे सिग्नेचर का चिन्ह
मेरे दिल पर बहुत गहरा हैं।
वक्त ठहर जाता हैं
उस भवर में दूब जाता हूँ
जो तुम्हारे याद से शुरूहोती हैं
अंतहीन सफर तक जाती हैं
मेरे दिल केे दरीचों में,
एक दिया जलता हैं
जग में उजाला फैलाता हैं
रौशनी दिखाता हैं।
-अजय यादव
इलाहाबाद
बहुत सुंदर.
ReplyDeleteमेरे लफ्ज मौन हैं ....
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियाँ ...प्रेम की पराकाष्ठा ...
भ्रमर ५
बहुत सुन्दर सृजन, बधाई
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeletewahhhh
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