22 June 2020

Agri : Marketing System of India

भारत में कृषि उत्पादकता के कम होने  तथा किसानों की  चिंतनीय स्थिति के लिए के लिए एक बड़ा कारण भारत की विकृत कृषि विपरण प्रणाली भी है , जो एक और किसानों को उनकी उपज के लिए, उचित मूल्य सुनिश्चित नहीं करती है, तो दूसरी और उपभोक्ताओं के लिए, ऊंची कीमत पर खाद्य वस्तुएं उपलब्ध करवाती है|
एक अच्छी कृषि विपरण  प्रणाली की मुख्य विशेषताएं-
 एक अच्छी किसी वितरण प्रणाली में निम्न 3   मुख्य विशेषताएँ होती हैं-

1]प्राथमिक उत्पाद को [किसान] को ऊंची उचित कीमत सुनिश्चित करना|
2] किसानों को प्राप्त होने वाले कीमत तथा उपभोक्ताओं द्वारा दी जाने वाली कीमत में न्यूनतम अंतर सुनिश्चित करना|
3] कृषि वस्तुओं की गुणवत्ता को  प्रभावित किए बिना उपभोक्ताओं का उनके वितरण को सुनिश्चित करना| 
एक अच्छी कृषि वितरण प्रणाली से जुड़ी हुई  मुख्य सुविधाएं या  आवश्यकताएं- 
1]भंडारण क्षमता[storage capacity]
2] माल को लंबे समय के लिए रोक कर रखने की क्षमता [holding capacity]
3] परिवहन[transportation]-पर्याप्त एवं सsta.
4] बाजार संबंधी सूचनाएं[information about market] 
5]  मंडियों की  पर्याप्त संख्या [large no of marke place] 
6] बिचौलियों की न्यूनतम संख्या[ less no.of middleman]
भारत की कृषि विपरण प्रणाली की मुख्य कमजोरियां
1]भंडारण क्षमता में कमी [lack of storage capacity]-
भारत में किसानों के पास भंडारण की पर्याप्त क्षमता नहीं है, इसके अलावा  कई किसान कच्चा भंडारण [ जैसा उत्पादन करते हैं उसी तरह से रख लेते, बिना कोई  कीट नाशी मिलाएं] करते हैं|
2]लंबे समय तक माल को रखने की सुविधा नहीं[ lack of holding capacity]:-
 भारत में 86% किसान सीमांत एवं लघु प्रकार के हैं, उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, और वे दबाव में आकर अपना माल बेच देते हैं|
3]परिवहन का अभाव[lack of transportation]
भारत में कई गांव रेलवे और अच्छी सड़कों से नहीं जुड़े हैं| इसके अलावा ग्रामीण प्रदेशों में  धीमी गति से चलने वाले वाहनों का प्रयोग होता है|
4] बाजार संबंधित सूचना का अभाव[lack of information about market];-
 शिक्षा की कमी एवं अन्य कारणों से किसानों को बाजार संबंधित सूचनाएं पर्याप्त रूप से नहीं मिल पाती  हैं| 
5] बाजार का अभाव[lack of marcket place]
भारत में औसत  रूप से प्रत्येक गांव पर मंडियों की काफी कमी है| जिससे किसान अपनी अनाजों को मंडी में बेच पाने में असक्षम है|राष्ट्रीय किसान आयोग के अनुसार  प्रत्येक गांव से 5 किलोमीटर की त्रिज्या पर एक मंडी होनी चाहिए| 
6] बिचौलियों की अत्यधिक संख्या[large no. of middleman] 
भारत में कृषि बच्चों के लेन-देन में 5 से 6 व्यापारी या बिचौलिए सम्मिलित रहते हैं, जिसके कारण लाभ का अधिकांश हिस्सा  बिचौलियों के पास चला जाता है| और प्रायः देखा गया है कि किसानों को अपनी फसल की अच्छी कीमत नहीं मिलती और उपभोक्ता को ऊंची कीमत पर फसल मिलती है|
                             उपर्युक्त के अलावा निम्न समस्याओं भी  है- 1]मंडियों में ग्रेडिंग सुविधाओं की कमी|
2] व्यापारियों द्वारा कई प्रकार  से किसानों का शोषण जैसे आढ़त पर कमीशन,तौलाई ,पल्लेदारी,गर्दा [dust] 
3]मंडी प्रशासन द्वारा कई प्रकार के कर  एवं शुल्क | [विपणन शुल्क,  ग्रामीण विकास शुल्क, निराश्रित  शुल्क,क्र्य कर] 
            यदि एक ही मंडी में बार-बार माल बेचा या खरीदा जाता है, या एक ही राज्य की दूसरी मंडियों में माल ले जाया जाता है| तो हर बार विप रण शुल्क  लगाया जाता है, इससे मल्टीपल पॉइंट लेबी आफ  मार्केट फीस [multiple point of levy market fees] कहते हैं

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