भारत में कृषि उत्पादकता के कम होने तथा किसानों की चिंतनीय स्थिति के लिए के लिए एक बड़ा कारण भारत की विकृत कृषि विपरण प्रणाली भी है , जो एक और किसानों को उनकी उपज के लिए, उचित मूल्य सुनिश्चित नहीं करती है, तो दूसरी और उपभोक्ताओं के लिए, ऊंची कीमत पर खाद्य वस्तुएं उपलब्ध करवाती है|
एक अच्छी कृषि विपरण प्रणाली की मुख्य विशेषताएं-
एक अच्छी किसी वितरण प्रणाली में निम्न 3 मुख्य विशेषताएँ होती हैं-
1]प्राथमिक उत्पाद को [किसान] को ऊंची उचित कीमत सुनिश्चित करना|
2] किसानों को प्राप्त होने वाले कीमत तथा उपभोक्ताओं द्वारा दी जाने वाली कीमत में न्यूनतम अंतर सुनिश्चित करना|
3] कृषि वस्तुओं की गुणवत्ता को प्रभावित किए बिना उपभोक्ताओं का उनके वितरण को सुनिश्चित करना|
एक अच्छी कृषि वितरण प्रणाली से जुड़ी हुई मुख्य सुविधाएं या आवश्यकताएं-
1]भंडारण क्षमता[storage capacity]
2] माल को लंबे समय के लिए रोक कर रखने की क्षमता [holding capacity]
3] परिवहन[transportation]-पर्याप्त एवं सsta.
4] बाजार संबंधी सूचनाएं[information about market]
5] मंडियों की पर्याप्त संख्या [large no of marke place]
6] बिचौलियों की न्यूनतम संख्या[ less no.of middleman]
भारत की कृषि विपरण प्रणाली की मुख्य कमजोरियां
1]भंडारण क्षमता में कमी [lack of storage capacity]-
भारत में किसानों के पास भंडारण की पर्याप्त क्षमता नहीं है, इसके अलावा कई किसान कच्चा भंडारण [ जैसा उत्पादन करते हैं उसी तरह से रख लेते, बिना कोई कीट नाशी मिलाएं] करते हैं|
2]लंबे समय तक माल को रखने की सुविधा नहीं[ lack of holding capacity]:-
भारत में 86% किसान सीमांत एवं लघु प्रकार के हैं, उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, और वे दबाव में आकर अपना माल बेच देते हैं|
3]परिवहन का अभाव[lack of transportation]
भारत में कई गांव रेलवे और अच्छी सड़कों से नहीं जुड़े हैं| इसके अलावा ग्रामीण प्रदेशों में धीमी गति से चलने वाले वाहनों का प्रयोग होता है|
4] बाजार संबंधित सूचना का अभाव[lack of information about market];-
शिक्षा की कमी एवं अन्य कारणों से किसानों को बाजार संबंधित सूचनाएं पर्याप्त रूप से नहीं मिल पाती हैं|
5] बाजार का अभाव[lack of marcket place]
भारत में औसत रूप से प्रत्येक गांव पर मंडियों की काफी कमी है| जिससे किसान अपनी अनाजों को मंडी में बेच पाने में असक्षम है|राष्ट्रीय किसान आयोग के अनुसार प्रत्येक गांव से 5 किलोमीटर की त्रिज्या पर एक मंडी होनी चाहिए|
6] बिचौलियों की अत्यधिक संख्या[large no. of middleman]
भारत में कृषि बच्चों के लेन-देन में 5 से 6 व्यापारी या बिचौलिए सम्मिलित रहते हैं, जिसके कारण लाभ का अधिकांश हिस्सा बिचौलियों के पास चला जाता है| और प्रायः देखा गया है कि किसानों को अपनी फसल की अच्छी कीमत नहीं मिलती और उपभोक्ता को ऊंची कीमत पर फसल मिलती है|
उपर्युक्त के अलावा निम्न समस्याओं भी है- 1]मंडियों में ग्रेडिंग सुविधाओं की कमी|
2] व्यापारियों द्वारा कई प्रकार से किसानों का शोषण जैसे आढ़त पर कमीशन,तौलाई ,पल्लेदारी,गर्दा [dust]
3]मंडी प्रशासन द्वारा कई प्रकार के कर एवं शुल्क | [विपणन शुल्क, ग्रामीण विकास शुल्क, निराश्रित शुल्क,क्र्य कर]
यदि एक ही मंडी में बार-बार माल बेचा या खरीदा जाता है, या एक ही राज्य की दूसरी मंडियों में माल ले जाया जाता है| तो हर बार विप रण शुल्क लगाया जाता है, इससे मल्टीपल पॉइंट लेबी आफ मार्केट फीस [multiple point of levy market fees] कहते हैं
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