Need of crop insurence in india
भारत की कार्यशील जनसंख्या का लगभग 49% भाग, अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है| और भारतीय कृषि का लगभग 60% भाग वर्षा पर निर्भर है| जो सामान्यतया अनिश्चित और अनियमित रहती है, ऐसी स्थिति में लोगों की आय सामाजिक रूप से सुरक्षित करने की आवश्यकता को समझा जा सकता है|
भारत में यह msp और उसके समानांतर अन्य प्रणालियां केवल बाजार जोखिम के प्रति सुरक्षा प्रदान करती है|उनकी आय को सुरक्षित नहीं करती है, यदि प्राकृतिक एवं अन्य कारणों से फसल बर्बाद हो जाती है |तो किसानों को एमएसपी आदि से कोई सुरक्षा नहीं प्राप्त हो पाएगी, और वह ऋण में के जाल में फंस जाएंगे, जो भारत में किसानों की आत्महत्या का एक प्रमुख कारण है|
उपर्युक्त विश्लेषण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि, भारत में फसल बीमा की आवश्यकता बेहद जरूरी है|
WTO भारत एवं कृषि सब्सिडिया
WTO के अंतर्गत AOA [AGREEMENT ON AGRICULTURE] उत्पाद विशिष्ट और गैर उत्पाद विशिष्ट सबसिडियो की उच्चतम सीमा निर्धारित करता है,जो भारत जैसे राष्ट्रों के लिए कृषि गत जीडीपी का 10% है, जबकि जबकि विकसित राष्ट्रों के लिए यह सीमा 5% है|
वर्ष 2013 में भारत के द्वारा nfsa(national food security actराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून) लागू किया गया था, जिसमें जनसंख्या के लगभग 67% भाग को[⅔] ... को एक कानूनी सस्ती दरों पर खाद्यान्नों को उपलब्ध कराने का प्रावधान किया गया |
अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों को यह लगा कि भारत ‘ पब्लिक स्टॉक होल्डिंग आप फूड grains’ को बढ़ाने की कोशिश करेगा, और इस क्रम में वह 10% की सीमा को लांघ देगा|
वर्ष 2013 के बाली मंत्री स्तरीय सम्मेलन में विकसित राष्ट्रों द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया,किंतु भारत को पीस क्लॉज की व्यवस्था के अंतर्गत अस्थाई रूप से, स्थाई व्यवस्था के निर्माण तक 10% के सीमा को पार करने की छूट दे दी गई| भारत को यह कहा गया कि उसके हितों को ध्यान रखते हुए अगले मंत्री स्तरीय सम्मेलन में, स्थाई व्यवस्था का निर्माण कर लिया जाएगा किंतु अभी तक ऐसी कोई व्यवस्था का निर्माण नहीं हुआ है|
भारत इस विवाद के समाधान के लिए निम्न बातों का प्रस्ताव कर रहा है-
1]यदि ऊंचे एमएसपी के माध्यम से सब्सिडी दी जाती है, उसे ग्रीन बॉक्स सब्सिडी माना जाए|
2]यदि निर्धन किसानों की आर्थिक सहायता के लिए ऊंची एमएसपी पर खाद्यान्न खरीदे जाते हैं, इस प्रकार से दी जाने वाली सब्सिडी को AMS की गणना में शामिल न किया जाए|
3]WTO द्वारा प्रयोग की जा रही ERP[EXTERNAL REFERENCE PRICE ]की वर्तमान आधार वर्ष 1986-87 को बदला जाए|क्योंकि यह बहुत पुराना है|
विकसित राष्ट्र भारत के इस प्रस्ताव को लेकर सहमत नहीं है,
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