महात्मा गांधी (मोहनदास करमचंद गांधी) का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गुजरात मे हुआ था| इनके पिताजी करमचंद गांधी और माताजी पुतलीबाई थी|
इनकी शादी 1883 ई मे कस्तूरबा गांधी से हुयी थी |
महात्मा गांधी के 4 पुत्र थे -हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास |
| 1888 में कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए और उन्होंने 1891 में कानून की डिग्री प्राप्त की, और फिर दादा अब्दुल्ला के मुकदमे के सिलसिले में 1893 ई मे दक्षिण अफ्रीका जाते हैं और वहां पर 1894 ईसवी में नटाल कांग्रेस की स्थापना करते हैं |
दक्षिण अफ्रीका में जुलू व बोयर पदक 1899 मे प्राप्त करते हैं |
डरबन अफ्रीका में फीनिक्स आश्रम की स्थापना 1904 में किया,
सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग 1906 मे दक्षिण अफ्रीका मे किया ,तथा जेल जीवन का प्रथम अनुभव 1908 ई में हुआ|
|भारत मे उनके राजनीतिक गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे |
कांग्रेस के 1901 में हुए कोलकाता अधिवेशन में प्रथम बार शामिल हुए | इसके अलावा 1924 में बेलगांव कर्नाटक में कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष भी रहे |
9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत आते हैं और 1915 ई मे ही साबरमती आश्रम की स्थापना करते हैं | इनकी आत्मकथा -सत्य के प्रयोग(1925 ) हैं |
गांधीजी के अनुसार राज्य राम राज्य के युगल सिद्धांत -सत्य एव अंहिंसा हैं |
महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता- सुभाष चंद्र बोस ने,.... बापू - पंडित जवाहरलाल नेहरूने .... महात्मा- रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा जबकि मलंग बाबा- खुदाई खिदमतगार ने कहा.... "अर्धनग्न फकीर" विंस्टन चर्चिल ने कहा .... जादूगर - शेख मुजीब उर रहमान ने कहा |
इनकी प्रमुख पुस्तकें "इंडिया ऑफ माय ड्रीम" "अनासक्ति योग" "गीता माता" "सत्य के मेरे प्रयोग" "सप्त महाव्रत" "हिंद स्वराज" "सुनो विद्यार्थियों" हैं एव इनके प्रमुख पत्र " इंडियन ओपिनियन" [1903 दक्षिण अफ्रीका मे] "द ग्रीन पम्पलेट " [1896 राजकोट] यंग इंडिया[1919], हरिजन [1932] थे |
उनका भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयास 1917 से चंपारण सत्याग्रह से शुरू होता है , इस सफल सत्याग्रह से प्रभावित होकर रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी|
इसके बाद 1918 में अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन में महात्मा गांधी हिस्सा लेते हैं |
1918 ई में खेड़ा गुजरात से महात्मा गांधी ने अपने प्रथम वास्तविक किसान सत्याग्रह शुरू किया
8 मार्च 1919 को रौलेट एक्ट का विरोध किया और 30 मार्च 1919 को भारत में सर्वत्र सत्याग्रह दिवस मनाया|
1919 में ही खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किया |
1920-22 तक असहयोग आंदोलन शुरू किया तथा 1 वर्ष मे स्वराज हासिल करने का लक्ष्य रखा | इस आंदोलन को चलाने के लिए तिलक स्वराज फंड स्थापित किया गया जिसमें 6 माह के अंदर 10000000 रुपए एकत्रित हुए यह भारत का सबसे बड़ा जन आंदोलन था | 5 फरवरी 1922 को चौरी -चोरा कांड होने के कारण महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया |
1930 में दांडी यात्रा के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ हो गया अपने 78 अनुयायियों जिनमे सरोजिनी नायडू भी साथ थी ... के साथ महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम से 12 मार्च 1936 ईस्वी को दांडी यात्रा प्रारंभ किया 24 दिन के बाद 6 अप्रैल 1930 को लगभग 390 किलोमीटर की यात्रा तय करके महात्मा गांधी ने दांडी में सांकेतिक रूप से नमक कानून तोड़ा |सुभाष चंद्र बोस ने दांडी यात्रा की तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च और मुसोलिनी के रोम मार्च से की | दक्षिण भारत में नमक आंदोलन चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के नेतृत्व में तिरुचिरापल्ली के तंजोर तट हुआ |
दिसंबर 1731 में महात्मा गांधी द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए यस यस राजपूताना नामक जहाज से लंदन पहुंचे, सरोजिनी नायडू ,एनी बेसेंट, मदन मोहन मालवीय भी खुद के व्यक्तिगत खर्च पर पहुंचे |5 मार्च 1931 में गांधी इरविन समझौता हुआ इसमें यह हुआ कि सरकार उन सभी बंदियों को रिहा करेगी,जिन पर मुकदमा नहीं हैं और राजनीतिक बंदियों पर लगाया जुर्माना समाप्त होगा |
कांग्रेस के कराची अधिवेशन 1931 में इस समझौते की पुष्टि हुई और महात्मा गांधी ने कहा - "गांधी मर सकता है पर गांधीवाद हमेशा रहेगा"
26 सितंबर 1932 को पूना समझौता होता है जिसके अंतर्गत दलित वर्ग के लिए पृथक निर्वाचन मंडल समाप्त कर दिया गया |
17 अक्टूबर 1940 को व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू करते हैं प्रथम सत्याग्रह विनोबा भावे तथा द्वितीय सत्याग्रही पंडित जवाहरलाल नेहरू जी थे
7- 8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत करते हुए, महात्मा गांधी का अलग ही अवतार नजर आता है |यहां पर "करो या मरो" तथा "अंग्रेजों भारत छोड़ो" का नारा देते हैं| 1942 को आंदोलन शुरू होते ही आपरेशन जीरो आवर के तहत गांधीजी ,मौलाना अब्दुल कलाम आजाद सहित कांग्रेस के सभी नेता गिरफ्तार हो गए| महात्मा गांधी को आगा खान पैलेस में रखा गया जहां उन्होंने21 दिन के उपवास की घोषणा किया |देश की आजादी के समय वे पश्चिम बंगाल के नोवखली में सांप्रदायिक नेताओं की संधि कराने में जुटे थे |
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