11 July 2012

आधुनिक शिक्षा का परिवेश

 
          
जुलाई का महीना हैं |दुकाने और प्राइवेट स्कूल कालेज फिर से सजने लगे हैं |मेरे एक हितैषी मित्र अपने बच्चे का एक स्कूल में एडमिशन कराने जा पहुंचे ,प्रधानाचार्य जी परिचित थे |,पहले ही पूछ बैठे“अमाँ  यार !बच्चे का कितना परसेंट चाहते हों ? 
अब मित्र की चौकने की बारी थी ..बोले “यार !एडमिशन से पहले ही तुम बोर्ड परीक्षा का परसेंटेज निर्धारित कर देते हों क्या?अरे नही पर तुम्हारी ख्वाहिश जानना चाहता हूँ “इस  बार बारहवी में शिखा ने ८९.२%पाया हैं ,अरे हिन्दी वाले आचार्य लम्बू पांडे  की लड़की हैं !अरे उसने तो परीक्षा  भी नही दी थी............ अब चौकने की बारी मित्र की थी |
मार्च का महीना आते ही बोर्ड परिक्षाओ की गहमा-गहमी शुरू हों जाती हैं |हमारे कौशाम्बी में तो नए –नए स्कूल भी खुल जाते हैं ,जहां बकायदा सेंटर तक आता हैं,लोगों को भी उसी समय पता चलता हैं की यहाँ स्कूल भी हैं ,पहले तबेला समझते थे क्यूंकि हौदें करीने से लगे रहते हैं  |परीक्षा के वक्त गुरू जी साफ़ सुथरे कुरता –पैजामा पहन कर मुख में पान चबाते मुस्कुराते नजर आते हैं | गुरू-घंटाल इस माह को आमदनी एवं इज्जत के हिसाब से सर्वाधिक उत्तम मानते हैं |            
   साल भर नैतिकता और ईमानदारी का पाठ पढाने वाले पाने जी हों या महान विदूषक शर्मा जी या तेवारी जी ,ये सब परीक्षा केन्द्र पर डयूटी लगवाने को व्याकुल रहते हैं |डयूटी लगते ही बच्चों से शुरू हों जातें हैं ‘काल ५०० रूपिया लेत आया !ई स्कूल क नियम हौं ,न लिअईबा ता परीक्षा न देई पौउबा |नैनी में नकल का रेट निर्धारित हैं |२०१२ के नकल रेट के अनुसार “६०० रूपये में चिट ,१००० में ब्लैकबोर्ड सुविधा ,३००० में लिखी कापी ,१०००० में मार्कशीट अवलेबल हैं” जान-पहिचान होने पर विशेष छूट का भी प्रावधान हैं |
बाल मंदिर के प्रधानाचार्य जो की खुद भी नकल सी ग्रेजुएशन पास हैं ,अपनी नकल तकनीकों का हमेशा बखान करते हैं ,वे और उनके सहयोगी पांडे ,वर्मा जी ,तेवारी साहब .....ये सब परीक्षा से पहले ऐसा वातावरण बनाते हैं की छात्र को लगता हैं की परीक्षाफल के निर्धारक यही लोग हैं |
किलर इंस्टिक्ट का तात्पर्य हैं की आप सफलता हेतु १००% ही नही बल्कि २००% ज्यादा मेहनत  और कोशिश करें |किन्तु पांडे सर के अनुसार “एक बार एक सार ईमानदार कक्ष –निरीक्षक पड़ गवा रहां !नकल ना करई देई ,हम और के.एम. सर ओका खोब लतियायें |भाग गवा सार नाही ता ,जिव् लेई  लेयित |
         २५० चनेल देखने वाली वक्त से पहले जवान होने वाली,अपरिपक्वता वा एनिमल-स्पिरिट से भरी इस पीढ़ी के छात्र जब इन सब बातों को सुनते हैं तो उन्हें लगता हैं की गुरू जी से बढकर उनका कोई हितैषी नही |
   कक्षा में यदि कोई सुधि छात्र नकल की प्रोग्रामिंग के बजाय पढाने को कहें तो ये कहते हैं की ‘नकल के बारें में !नक़ल के तौर –तरीको के विषय में कोई किताब छपी हैं कभी !सुकरात ने प्लेटो को शिक्षा दी,प्लेटो ने अरस्तू को पढ़ाया ,अरस्तू सिकन्दर महान के शिक्षक बने |ज्ञान अगर एक से दूसरे को  ना हसिल  हुवा होता तो मर चुका होता’ |
   नैनी में मान्यता प्राप्त /गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयो की भरमार हैं |यहाँ अध्यापक होने  के लिए आपकी शिक्षा नही स्किल देखी जाती हैं |यहाँ शिक्षको की योग्यता के नए मापदंड हैं ,आप चाहे हाईस्कूल ही पास हों ,पर यदि इंटर के छात्रो को ४० मिनट बंधे रख सकते हैं ,तो माना जाता हैं की आपमें इन्टर तक पढाने की योग्यता हैं |
छात्र –छात्राए भी कम नही हैं ,हमारे बाल-भारती के प्रधानाचार्य का हिन्दी की शिक्षिका के साथ जो चलता हैं ......आदर्श-स्वरुप बच्चे  वो भी अपनाने से पिछे नही हटते ,परिणाम स्वरुप आस-पास  कई केबिनयुक्त साईबर कैफे खुल गए हैं जहां बच्चे प्रक्टिकल तक करते हैं,दवा की दुकानों पर कंडोम ऐसे विज्ञापित होते हैं जैसे पावरफुल च्वनप्राश |आस-पास कई नर्शिंग होम भी हैं |
|क्लास में बोरियत भरे क्षणों में छोटी इन्टरनेट फिल्मे मनोरंजन करती हैं |नए नए बने तथाकथित शिक्षक गण भी इन सब में रूचि लेते हैं |तेवारी जी अक्सर  कक्षा १२ की छात्राओं को घर पर बुलाते हैं |सबकी फीस तय हैं ,महीने १० से लेकर ५०० तक में इंटर की फिजिक्स पढाते हैं |वर्मा जी तो श्रींगार रस के महान ज्ञाता हैं ,कथनी-करनी में भेद नही करते क्रम-योगी हैं ,बिहारी के दोहे का अर्थ समझते समझाते ना जाने कब उनके हाथ छात्राओ के गाल पर पहुँच जाते हैं खुद उनको भी नही पता चलता |विरोध  किया तो घरेलू परीक्षा एवं बोर्ड परीक्षा में खैर नही |
यहाँ स्कूलों में नकल या अनैतिक कार्यों में लिप्त लोगों को पकडे जाने पर गलती का नही ....बल्कि पकडे जाने का दुःख होता हैं |यहाँ आप अक्सर इस बात को महसूस करेंगे और आप देख सकते हैं की पूनम की जगह पूजा और रवि की जगह शनि परिक्षा  देता हैं |इस बात से किसी को कोई फर्क नही पढ़ता,सबको उसका हिस्सा मिला हुवा हैं |

                         किसी समाज में अनैतिकता और नाइंसाफी से निराशा जन्म लेती हैं |अनैतिक आनंद की तलाश में रहने वाले लालची और अविवेकी लोगों पर दृढ़ नैतिक चरित्र वाले लोगों द्वारा अंकुश लगाना जरुरी हैं |शिक्षा माफिया लगातार मजबूत होता जा रहा हैं ,और सरकारी शिक्षा बिभाग नकेल कसने में असफल हैं |
 मेरा अगला लेख जरुर पढ़िए |यह विद्यार्थी और उनकी दिनचर्या और नजरिया से सम्बंधित हैं और १० जुलाई तक प्रकाशित होंगा |इस लेख को भाषण के रूप में जब मैंने दिया था ,तो पूरे देश से अभिभावकों के पत्र ,इमेल वा फोन प्राप्त हुवे थे |

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