14 August 2013

प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं|

Stress Management  लेख से सम्बंधित अगली कड़ी पेश करते हुए ,मैं अजय आप सब से ...स्वीकार करता हूँ ,की मैं खुद दिन रात भयानक  स्ट्रेस के माहौल में काम करता हूँ लेकिन मैं स्ट्रेस कों खुद पर बिलकुल हावी होने  नही देता |स्ट्रेस और तनाव जीवन के लिए वरदान भी  हैं...वो कहतें हैं न "शांत समुंद्र में नाविक कभी कुशल नही बन सकता" 'रामधारी सिंह' ''दिनकर'' की एक कविता की चंद पंक्तियाँ याद आ रहीं हैं -

मुश्किलें दिल के इरादे आजमाती हैं

स्वप्न के पर्दे निगाहों से हटती हैं .

हौंसला मत हार गिरकर ओ मुसाफिर !

ठोकरें इंसान कों चलना सिखाती हैं |

स्ट्रेस कों हद से ज्यादा नही बढ़ने देना हैं... नही तो यह भिन्न भिन्न रूपों जैसे क्रोध,अवसाद,चिडचिडापन,माईग्रेन आदि के रूप में हमे सताता हैं |आधुनिक विज्ञान ने यह सिद्ध कर दिया हैं की "हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका हमारे एक-एक विचार के अनुसार ....और उस विचार के एक एक शब्द ...के तदनुसार अपनी प्रतिक्रिया देती हैं |यहीं नही हर विमारी के पीछे कुछ न कुछ मानसिक कारण जरुर होते हैं चाहे वह खुद कों प्यार न करना हों,खुद कों अप्रूव न करना,खुद कीसीमाएं  बाधना हों ,खुद कों किसी न किसी तरह से दोयम दर्जे पर रखना हों ,घृणा हों या हीन भावना हों या गिल्ट हों |गिल्ट तो बिलकुल यूजलेस इमोशन हैं ,यह न तो किसी कों बेटर फील करा सकती  हैं ,न ही सिचुएशन बदलने देती  हैं |
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स्ट्रेस मैनेजमेंट पर हजारो आर्टिकल हैं |स्ट्रेस से निपटने का मेरा अपना तरीका अलग हैं |उन तरीकों में से एक प्रेम पर आईये कुछ बातें करें-
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हम सभी इस असीमित संसार और श्रृष्टि की असीमित हस्ती हैं |इस संसार में लगने वाले सभी ज्ञात-अज्ञात नियमों में आकर्षण का नियम एक प्रमुख नियम हैं ,जो हमसे कहता हैं की 'इस संसार में लेंन-देंन{आदान-प्रदान } के लिए हमारे सिवा कोई और हैं ही नही'.|
हम इस ब्रम्हांड कों.. जो भी ...हम  देते हैं वह हमे ब्याज सहित लौटा दिया जाता हैं |हम सभी मानव हैं ,हमारा अस्तित्व ही प्रेम के सायें में पलता हैं ,फिर क्यूँ न प्रेम देना शुरू करे ,हमे जीवन से असीम प्रेम करन अभी से शुरू कर देना  हैं ,जब हम जीवन से असीम प्रेम करना शुरू कर देते हैं तो इस दुनिया की हर सीमा गायब हों जाती हैं |धन ,स्वास्थ्य,आनंद और संबंधो में मौजूद खुशी की हर सीमायें अपना अनंत तक विस्तार करतीं हैं |सारे प्रतिरोध खत्म |हम असीमित उर्जा ,रोमांच और जीवन उर्जा के सागर में डूब जातें हैं |

प्रेम ...प्रेम ...प्रेम बस प्रेम रह जाता हैं :-

कैसे हम अपने जीवन की हर पसंदीदा वस्तु से प्रेम करें ?जब हम किसी व्यक्ति के साथ प्रेम में होतें हैं तो सिर्फ प्रेम देखतें हैं,प्रेम सुनते हैं ,प्रेम बोलतें हैं पुरे दिल से सिर्फ प्रेम और प्रेम ही महसूस करते हैं |
हर स्थिति ,परिस्थिति और घटनाओं में हमे अपनी प्रिय चीजों की ही तलाश करनी हैं ,सुंदर सड़के ,सुंदर इमारते ,अच्छी कारें ,अच्छी टेक्नोलाजी जो भी हमे पसंद हों ,हमे हमेशा तलाश करनी चाहियें |मेरी पसंद बुलेट मोटरसाईकिल हैं ,जब भी मैं शहर निकलता हूँ तो उसी पर सवारी करता हूँ ,मुझे अच्छे विचारों वाले लोग प्रिय हैं ,उनसे मिलता जुलता हूँ |अपने प्रिय स्टोर्स कों खोजता हूँ |प्रकृति के सामीप्य में,उसकी रंगत ,पेड़,सुंदर फूल ,सुगंध की तलाश करता हूँ ,न केवल अपनी प्रिय चीजे/लोंगो की तलाश करता हूँ वल्कि उनसे अतिशय प्रेम भी प्रदर्शित करता हूँ |
मेरे मन में हमेशा एक सूची रहती हैं ,उन वस्तुओ ,जगहों ,चीजों की जिनसे मैं बहुत प्रेम करता हूँ ,यह सूची लगातार अपडेट होती रहती हैं |कभी कभार ऐसी परिस्थितियाँ या लोग मिल जाते हैं ,जिनसे मुझे कुछ पल के लिए अच्छा महसूस होना बंद हों जाता हैं तो मैं अपनी सूची पर गौर करता हूँ और फिर से अच्छा महसूस करने लगता हूँ |

   प्रेम भरी इस दुनिया में जीते जीते मैंने महसूस किया हैं की प्रेम में मैं सजग हों गया हूँ ,अब गुलाब के गमले के बगल से यूँ ही.. नही निकल लेता ,अब उसमें खिले ताज़ा लाल पुष्प का सौंदर्य और सुगंध मेरे मन कों प्रेम से भर देता हैं ,अब मैं भोजन कों पुरे स्वाद और कृतज्ञता से ग्रहण करता हूँ ,जिससे भोजन कई गुना ज्यादा शक्तिशाली होकर पोषण देता हैं |अब बारिस में मुझे जुकाम नही होता बल्कि ठंडी-ठंडी फुहारे जीवन उर्जा कों जगाती हैं |मेरा मन मेरे जीवन की हर अच्छी चीज की खोज के प्रति निर्देशित हैं |
अक्सर मेरे मन में एक विचार उठता हैं.... मैं ऐसा क्या देख ,सुन और महसूस कर रहा हूँ जो मुझे रोमांचित कर रहीं हैं ,खुशी ..आनंद उर्जा से सराबोर कर रहीं हैं ,मन तुरंत अपने काम में लग जाता हैं और ऐसी परिस्थितियो ,लोगो कों खोज खोज कर मुझ तक लाता हैं |प्रेम का तो मेरा बहुत ही शानदार अनुभव रहा हैं ,दोस्तों अंत में मैं सिर्फ इतना कहूँगा ..की अगर हम जीवन का नियंत्रण अपने हाथ में नहीं लेंगे तो यह जीवन हमे नियंत्रित करने लगता  हैं ,और हम गुलाम बनने के लिए थोड़े पैदा हुयें हैं |
लेखन  - Dr.Ajay Yadav





8 comments:

  1. सच ही है, जो दिया जायेगा, वही घूम फिर कर वापस आयेगा।

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    1. सादर प्रणाम
      आभार |

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  2. बहुत सुंदर आलेख ,,

    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,

    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

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    1. आपको भि हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  3. प्रवीण पाण्‍डेय जी के ब्‍लॉग के माध्‍यम से यहां पहुंचा। आपकी सकारात्‍मक ऊर्जा यूं ही बनी रहे, यह कामना है।

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  4. आपका हार्दिक अभिनंदन हैं |

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  5. सच में अजय जी नियंत्रण जीवन में बहुत जरुरी है ..प्रेम का मन्त्र जो साध सका उसका कोई सानी नहीं ..क्रिया प्रतिक्रिया का समीकरण भी काम बहुत करता है ..सुविचार आप के काश लोग प्रेम करना सीखें अमानवीय कृत्य छोड़ें
    आभार
    भ्रमर ५

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  6. बहुत सुन्दर सृजन, बहुत बधाई
    कृपया मेरे ब्लोग पर भी आप जैसे गुणीजनो का मर्गदर्शन प्रार्थनीय है

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