29 October 2013

allahabad/इलाहाबादनामा -३ {इलाहाबादी भाषा में}

{कृपया लेख कों धीमे धीमे रुक रुक आराम से पढ़े}

                     इलाहाबाद्नामा-३

          ई प्रयाग हौउ |इहाँ यातायात नियम क पालन न कीजौ |इंडिकेटर द ,चाहे मत द..तोहार गाड़ी हौउ ,दूसर केऊ का कई लें |इहाँ ट्रैफिक लाईट जली गई त अब के बदलई...मिस्तरिन नाइ मिलत........ बदलई वाला बटन............... लगवाई के खातिर...........,लाल जली त लालई रहे ,हरी जली त हरिययी रहि जाएँ |  इहा वरिष्ठ ब्लोगर श्री बी एस पाबला जी  ,
और उनकर मंडली आई रहेंन ,अब भई इहा के नियम कायदा ओंनका सबका पतई ही नही रहा ,लाल लाईट देखेन की भन्न से बिरिक मार देहेंन |कौनऊ ओंनका घूरत के साईड से निकला ,उहौ सोचत रहा होए की भईया कौने देश के वासी ..जब देखेस की ३६ गढ़ की गाड़ी त समझ गवा होए की ,इलाहाबाद का मान्यता प्राप्त कानून नई जानत होइंही| अरे भईया इही क त दुर्वाषा मुनि रहेंन ..अब लोगन के जीन म गुस्सा त रह्बई करे ,एकै इलाज बा आप ओसे जादा गुस्सा करें |इलाहाबदियेंन इत्ता तेज भागथिंन काहे की भगवान के अलावा उन्है दरोगा जिउ से डर लागथ  |दरोगा जी ,अपने फितफितिया पर बैठ के कागज चेक करिहिंन ,त सिपाही लोग बाहीं खोलकै गाड़ी एईसई रोकिहई जैईसे रानी चट्टर्जी कौनउ मोटका भोजपुरिया हीरो क चुम्मा लेई जाई होई |

      बैरहना चौराहा {नयेका यमुना पुल के पास }देवान जी ,चबूतरा पर खड़ा होयिके , हाथ क संकेत देई देई के ट्रैफिक कबहू चौउराहा के आर ,कबहू पार करा रहें थे |एक कांग्रेसी समझ लेहेस की ओका झापड़ देखावत अहेन,उहौ मौनवरत लेहे नाही रहा,उ अंगुली देखायेस ...फिर देवान जी की पारा चढ़ा ....खदेरेन ...थुलथुल देवान जी राकेट कि तरह दौड़ लगावत रहेंन |एक राहगीर से नाही रही गवा ,उ साथ चलई वाले दुसरके से बोला “अमा ..यार ससुरा पटना म बम दगा इहाँ तक सुनात बा |दुसरका बोला अरे नाही ई त दीवान जी है ,साईरन बजौबई करिहैं पैईदल भईं त......... का भा |
     ६४३ बी. सी. में चीन से ह्वेनसांग आई इअलाहाबाद..जायिके चीन लिख दिहिस “इहाँ भारत देश क प्रभावशाली हिंदू रहथिन,ई हिन्दुवन के सबसे पवित्तर स्थल हैं,“..  एइसयी यह चीनिया ईई  सब न लिखे होए,संगम पा ओकर चिंदी चिंदी आँख देखकै कुल भिखारी लोग पकड़ क बैईठाई लेहे होइंही ,कि “तुहउ बैठ जा जादा आमदनी होयें” |इहा का पंडन और भिखारिन से जग हारा,कवनुउ भी मारुती ८०० से कम पर नाहिन चलाठिन|
     अपने बखत पर {अपने वक्त पर}इहाँ प्राचीन आर्य लोग बसे रहेंन  |भगवान ब्रम्हा इही “प्रकृष्ट यग्य” किये रहेंन |पद्मपुराण ,बौद्ध साहित्य और वेदों म भी प्रयाग कि जय-जयकार हैं | इहा सोम,वरुण ,प्रजापति जैईसेंन देवता लोग जनम लेहें रहेंन |महर्षि दुर्वाषा ,महर्षि पनास ,महर्षि भारद्वाज इन्ही तपस्या केहे रहेन,इहा कि मिट्टी क कण कण में  आपन शक्ति /सकारात्मक उर्जा छोड़कर गए हैं,जवन महसूस करई क लिए तोहै निश्चल मन से ई नगरी म परवेश करई क पड़ी  |देश में हर जगहा इहा के पढ़े लिखे लोग कुछ सार्थक करत मिलिहिं,विश्व के पटल पर mlnit/iiit/mlnmc औउर जे के इंस्टिट्यूट {यूनिवेर्सिटी वाला} आपन  छाप त छोड़ चूका हैं  |   

   

11 comments:

  1. वाह जी वाह ... मज़ा आ गया ... इस इलाहाबादी भाषा का ...

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  2. ब्शुत ही मजेदार , मैं दो महीने इलाहाबाद में रहा था, उस दौरान कुछ कुछ बोलना सीख गया था, अब नहीं आता ..

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  3. आप तो बखिया उधार , खटिया खड़ी करने में लगे हैं
    दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें

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  4. शानदार प्रस्तुति...दीपावली की शुभकामनायें...
    नयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है

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  5. ओह ! इलाहाबादी बोली तो काफ़ी अच्छी है
    नया प्रकाशन --: दीप दिल से जलाओ तो कोईबात बन
    बीता प्रकाशन --: 8in1 प्लेयर डाउनलोड करें

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  6. दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...

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  7. बहुत बढ़िया पढ़ के मजा आ गया। इलाहाबादी भाषा में यदि और भी पोस्ट हों तो कृपया अवगत कराएं।

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