{कृपया लेख कों धीमे धीमे रुक रुक आराम से पढ़े}
इलाहाबाद्नामा-३
ई
प्रयाग हौउ |इहाँ यातायात नियम क पालन न कीजौ |इंडिकेटर द ,चाहे मत द..तोहार गाड़ी
हौउ ,दूसर केऊ का कई लें |इहाँ ट्रैफिक लाईट जली गई त अब के बदलई...मिस्तरिन नाइ
मिलत........ बदलई वाला बटन............... लगवाई के खातिर...........,लाल जली त लालई रहे ,हरी जली त हरिययी रहि जाएँ
| इहा वरिष्ठ ब्लोगर श्री बी एस पाबला जी ,
और उनकर मंडली आई रहेंन
,अब भई इहा के नियम कायदा ओंनका सबका पतई ही नही रहा ,लाल लाईट देखेन की भन्न से
बिरिक मार देहेंन |कौनऊ ओंनका घूरत के साईड से निकला ,उहौ सोचत रहा होए की भईया
कौने देश के वासी ..जब देखेस की ३६ गढ़ की गाड़ी त समझ गवा होए की ,इलाहाबाद का
मान्यता प्राप्त कानून नई जानत होइंही| अरे भईया इही क त दुर्वाषा मुनि रहेंन ..अब
लोगन के जीन म गुस्सा त रह्बई करे ,एकै इलाज बा आप ओसे जादा गुस्सा करें |इलाहाबदियेंन
इत्ता तेज भागथिंन काहे की भगवान के अलावा उन्है दरोगा जिउ से डर लागथ |दरोगा जी ,अपने फितफितिया पर बैठ के कागज चेक
करिहिंन ,त सिपाही लोग बाहीं खोलकै गाड़ी एईसई रोकिहई जैईसे रानी चट्टर्जी कौनउ
मोटका भोजपुरिया हीरो क चुम्मा लेई जाई होई |
बैरहना
चौराहा {नयेका यमुना पुल के पास }देवान जी ,चबूतरा पर खड़ा होयिके , हाथ क संकेत
देई देई के ट्रैफिक कबहू चौउराहा के आर ,कबहू पार करा रहें थे |एक कांग्रेसी समझ
लेहेस की ओका झापड़ देखावत अहेन,उहौ मौनवरत लेहे नाही रहा,उ अंगुली देखायेस ...फिर
देवान जी की पारा चढ़ा ....खदेरेन ...थुलथुल देवान जी राकेट कि तरह दौड़ लगावत रहेंन
|एक राहगीर से नाही रही गवा ,उ साथ चलई वाले दुसरके से बोला “अमा ..यार ससुरा पटना
म बम दगा इहाँ तक सुनात बा |दुसरका बोला अरे नाही ई त दीवान जी है ,साईरन बजौबई
करिहैं पैईदल भईं त......... का भा |
६४३ बी. सी. में चीन से ह्वेनसांग आई इअलाहाबाद..जायिके चीन लिख दिहिस
“इहाँ भारत देश क प्रभावशाली हिंदू रहथिन,ई हिन्दुवन के सबसे पवित्तर स्थल हैं,“.. एइसयी यह चीनिया ईई सब न लिखे होए,संगम पा ओकर चिंदी चिंदी आँख
देखकै कुल भिखारी लोग पकड़ क बैईठाई लेहे होइंही ,कि “तुहउ बैठ जा जादा आमदनी
होयें” |इहा का पंडन और भिखारिन से जग हारा,कवनुउ भी मारुती ८०० से कम पर नाहिन
चलाठिन|
अपने
बखत पर {अपने वक्त पर}इहाँ प्राचीन आर्य लोग बसे रहेंन |भगवान ब्रम्हा इही “प्रकृष्ट यग्य” किये रहेंन
|पद्मपुराण ,बौद्ध साहित्य और वेदों म भी प्रयाग कि जय-जयकार हैं | इहा सोम,वरुण
,प्रजापति जैईसेंन देवता लोग जनम लेहें रहेंन |महर्षि दुर्वाषा ,महर्षि पनास ,महर्षि
भारद्वाज इन्ही तपस्या केहे रहेन,इहा कि मिट्टी क कण कण में आपन शक्ति /सकारात्मक उर्जा छोड़कर गए हैं,जवन
महसूस करई क लिए तोहै निश्चल मन से ई नगरी म परवेश करई क पड़ी |देश में हर जगहा इहा के पढ़े लिखे लोग कुछ
सार्थक करत मिलिहिं,विश्व के पटल पर mlnit/iiit/mlnmc औउर जे के इंस्टिट्यूट
{यूनिवेर्सिटी वाला} आपन छाप त छोड़ चूका
हैं |
वाह जी वाह ... मज़ा आ गया ... इस इलाहाबादी भाषा का ...
ReplyDeleteब्शुत ही मजेदार , मैं दो महीने इलाहाबाद में रहा था, उस दौरान कुछ कुछ बोलना सीख गया था, अब नहीं आता ..
ReplyDeleteआप तो बखिया उधार , खटिया खड़ी करने में लगे हैं
ReplyDeleteदीवाली की हार्दिक शुभकामनायें
बहुत सुन्दर .
ReplyDeleteनई पोस्ट : दीप एक : रंग अनेक
बहुत खूब!
ReplyDeleteशानदार प्रस्तुति...दीपावली की शुभकामनायें...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@जब भी जली है बहू जली है
ओह ! इलाहाबादी बोली तो काफ़ी अच्छी है
ReplyDeleteनया प्रकाशन --: दीप दिल से जलाओ तो कोईबात बन
बीता प्रकाशन --: 8in1 प्लेयर डाउनलोड करें
दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ...
ReplyDeleteमस्त
ReplyDeletethankyou very much sir ji
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पढ़ के मजा आ गया। इलाहाबादी भाषा में यदि और भी पोस्ट हों तो कृपया अवगत कराएं।
ReplyDelete