26 October 2013

allahabad/ इलाहाबादनामा-२

                  इलाहाबादनामा-२

            “प्रयागम् प्रवेशस्यु पापं नाशवाति तत्क्षणम्” 

       वों बड़ी मासूम थी,मुश्किल से दस साल की रही होगी,साथ में उसकी बड़ी बहन भी थी |बेथनी कान्वेंट जैसे स्कूल की छात्रा थी,जिसने तृप्ति शाक्या,नेहा सिंह जैसी गायिकाओ कों निखारा,जिन्होंने इलाहाबाद का नाम रोशन किया|पिता २४ घंटो वाली  पुलिस  की नौकरी में हैं ,बेटियो कों लेकर पैरेंट्स के बड़े अरमान थे,बेटियां ही उस दम्पति की सब कुछ थी|एक दिन स्कूल से लौटते समय एक ट्रैक्टर ड्राईवर की लापरवाही से रामनगर चौराहे {अरैल के पास }बेचारी कुचली गयी,सिर्फ उनके अरमान ही नही,बहुत कुछ खत्म हुआ जिसे कभी भी लौटाया नही जा सकता |हर इलाहाबादी चाहता हैं की उसके बच्चे सेफली घर आये....जाए,पर पिछले कुछ वर्षों से मासूमो की जान पर बन आई हैं |गली गली में पावर बाईक से फर्राटे भरने वाले टीनेजर या लफंगे,कानून को ताक पर रख गाडिया उडाकर चलाते हैं |विकास के बदलाव के साक्षी इलाहाबाद के गली मुहल्लो में चलने वाली बालू की लारियों ,मिटटी लदे ट्रैक्टर,या अश्लील गाने बजाते तिपहिया टैम्पू इन सबके लिए यातायात विभाग  कों जगह जगह सड़क किनारे चमकदार होर्डिंग्स टांग देनी चाहिए “इलाहाबाद उत्तर प्रदेश के दक्षिण में 25.45’N,.....81.84’E व समुद्र तल से 98 मीटर {322 फीट} ऊपर हैं कृपया गाड़ी धीमे उडाये,वरना किसी मासूम की जान पर बन सकती है” और इलाहाबाद में किसी एक व्यक्ति कों नही ,बल्कि पूरे शहर कों गुस्सा आता हैं |
         इलाहाबाद शहर के भीतर टेम्पों ,ऑटो ,महानगरी बसे,मार्कोपोलो बसे आदि यातायात के साधन हैं,टेम्पू और ऑटो में आप अपनी खुद की रिस्क पर यात्रा कर सकते हैं ,बसे ज्यादा सेफ हैं|सिविल लाईस  से ७ किमी दूर संगम हैं ,जहा न केवल बाहरी देशो{साईबेरिया} से सुंदर पक्षी बल्कि ‘बोल राधा बोल संगम होगा की नही’ जैसे प्रश्न करते युवा जोड़े भी दिख जायेंगे |यहाँ ‘गुनाहों के देवता’ आपको गली गली में मिल जायेंगे | संगम के पास ही इलाहाबाद का किला हैं ,जो की सेना के कब्जे में हैं और सेना पाखंडी पंडो कों,डंडो के जोर से भागना भी चाहती हैं |इलाहाबाद के  किला में आप अशोक स्तम्भ,सरस्वती कूप,जोधाबाई पैलेस देख सकते हैं |इसी में पातालपुरी मंदिर और अक्षयवट वृक्ष भी हैं |इसके आलावा आप आनंद भवन जा सकते हैं ,उससे सटा हुआ स्वराज भवन हैं जिसमे पूर्वप्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी का जन्म हुआ था |बाग-वाग अच्छे लगते हों तो आप खुसरों बाग भी जा सकते हैं जहाँ खुसरों और उनकी राजपूत माँ की यादें बसी हैं |चन्द्रशेखर आजाद पार्क {अल्फ्रेड पार्क } में स्थित इलाहाबाद म्यूजियम भी देखने की जगह हैं |
{चित्र पर क्लिक कर बड़ा कीजिये}
      
                     इलाहाबाद शिक्षा का गढ़ हैं |लगभग 5000 BC पहले भारद्वाज ऋषि ने {आनंद भवन के सामने से बायीं ओर}अपने लगभग 10000 अनुनायियो कों दर्शनशास्त्र की विधिवत शिक्षा दी थी|महर्षि की परम्परा कों इलाहाबाद आज भी इलाहाबाद विश्व-विद्यालय के रूप में कायम रखे हुए हैं |1887 AD में स्थापित यह विश्वविद्यालय देश की चौथी OLDEST University हैं |पर आजकल यहाँ भी शिक्षा के मायने बदलने लगे हैं ,जिसकी विस्तृत चर्चा अगले भाग में करूँगा |यहाँ के छात्रावास अब कलम की ताकत के बजाय बम या कट्टे की ताकत पर ज्यादा भरोसा करते हैं|पुलिस हलकान हैं ,शिक्षक विद्वान हैं ,पालिटिक्स चमकाने में दिन रात लगे रहते हैं |पर एक बात तो हैं ... इलाहाबादी छात्र जो सुदूर गाँव से ,धुर-देहात से आते हैं ..लगन के पक्के होते हैं ,हर माहौल में सकारात्मकता खोज ही लेते हैं ,और एक बार कमिटमेंट कर लिया की ‘गाँव तभी जायेंगे जब अफसरी पायेंगे’ तो किसी की भी नही सुनते |कुछ वर्ष पहले IAS में महिलाओँ में टॉपर रहीं सुश्री इवा सहाय हों या हर वर्ष केन्द्रीय या प्रादेशिक लोक सेवा आयोग के जरिये सेलेक्ट होने वाले सैकड़ों इलाहाबादी प्रतिभाएँ... इसके अनुपम उदाहरण हैं |
   इलाहाबाद सभी धर्मों की साझी संस्कृति का एक खूबसूरत शहर हैं ,जो अपनी पुरानी संस्कृतियों कों समेटे हुए हैं,मंदिर ज्यादा हैं.... की मस्जिद......यकीन से आप कह नही सकते,सिविल लाईन्स का पत्थर गिरिजाघर तो आपने देख ही लिया होंगा|स्कार्पियों के जमाने में यहाँ आज भी यहाँ गहरेबाजी {ताँगा-दौड़}की प्रतियोगिताएँ होती हैं |यही नही पतंगबाजी ,कबूतर बाजी भी प्रसिद्ध है |यहाँ के प्रसिद्ध अमरूद कों भला कौन इग्नोर कर सकता हैं,स्वादिष्ट मधुर ,हिमोग्लोबिन बढाने वाला ‘ईश्वर के निवास स्थल’ का फल|यहाँ की मान्यता/कहावत हैं, की यूनिवर्सिटी रोड पर पुस्तकों की दुकानों पर घूमने वाले हर पांच युवा में से कम से कम तीन..कहीं न कहीं ,किसी न किसी... जिले में प्रशासन,शिक्षा या चिकित्सा की कमान संभालेंगे और बाकी दो कुछ न कुछ तो...ढंग का ..करेंगे ही, वों काम ....भले ही सचिवालय या  एडीए में बाबुगिरी हों ,नेता गिरी हों {इलाहाबाद ने देश कों छह प्रधानमंत्री दिए हैं },पर इधर से विना कुछ हांसिल किये जायेंगे नही....चाहें वे यही कोचिंग क्यूँ न खोल लें J
-written by डॉ अजय

14 comments:

  1. अच्छा प्रयास है , इलाहाबाद का इतिहास लिख दिया , बधाई !!

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  2. सुन्दर लेखन , कमोबेश यही स्थिति समूचे उत्तर भारतीय शहरों की है

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  3. इलाहबाद ने ६ प्रधानमन्त्री दिए फिर भी ऐसी हालत ... इतिहास जहां इतना गर्वीला है काश वर्तमान भी होता ...

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  4. बहुत सुन्दर इलाहाबादनामा.
    नई पोस्ट : कोई बात कहो तुम

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  5. समझाने में आप डॉ हैं
    हार्दिक शुभकामनायें

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  6. जो कुछ बातों को छोड़ दिया जाए तो इलाहाबाद आज भी इलाहाबाद ही है
    समय के साथ विसंगतियाँ आती रहती हैं जिनपर नियंत्रण होना जरुरी है
    सुन्दर इलाहाबादनामा .....

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  7. इलाहाबाद के बारे में दोनों पोस्ट पढ़े. बहुत रोचक. कभी आना है इस शहर.

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  8. इलाहाबाद से तो मेरी यादें भी जुड़ी हुई है...बहुत सुंदर ,और उम्दा अभिव्यक्ति...बधाई...

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  9. यह दूसरी पोस्ट भी पढ़ने में बहुत ही रोचक लगी !

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  10. बहुत बढ़िया , ऐसी पोस्ट कि बिन कहे सबकुछ कहडाला
    नई पोस्ट -: प्रश्न ? उत्तर भाग - ५
    बीती पोस्ट --: प्रतिभागी - गीतकार के.के.वर्मा " आज़ाद " ---> A tribute to Damini

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  11. तीन चार माह रहा इलाहाबाद, मुझे भी बड़ा अच्छा लगा।

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  12. सादर प्रणाम |

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  13. बहुत सुन्दर चित्रण...

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  14. इलाहाबाद के बारे में रोचक पोस्ट

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