1 December 2013

" My Girlfreinds and Relations" मैं तो दीवाना ..दीवाना ...दीवाना !

                                 

                        जिन्दगी जद्दोजहद और संघर्षो से भरी हैं |हमेशा तो नही पर जीवन में कुछ पल ऐसे भी आते हैं जब सब कुछ छोड़ देने का मन करता हैं ,चाहे आप बहुत ही रुचिकर कार्य ही क्यूँ   कर रहे हों |फिर से अंतर्मन में एक प्रेरणा का झरना शुरू हो जाता हैं ,की चाहे जो कुछ हो जाय अब हम अपना लक्ष्य हर हाल में प्राप्त ही करेंगे |मेरी जिंदगी आज उस मोड़ पर हैं ,जिसपर लोग अक्सर चलेंजेज लेते हैं |जिंदगी को पुरसकून और शांति से जीने के आधार स्तम्भ बनाते हैं |जिंदगी के २५वे खुबसुरत बरस में आईये आपसे अपनी महिला मित्रो की सबसे सीक्रेट बातो को शेयर करता हूँ ,जो मेरे सीने में एक राज की तरह दफ़न रहें हैं |
                मेरी माँ एक बहुत ही खुबसुरत सीरत और सूरत की महिला  हैं |उन्होंने हम भाई बहनों को पालने में बड़ी मेहनत किया हैं |अपने खेतो में हाड़-तोड़ मेहनत की हैं ,उन्नत फसले और सब्जियां उगाई हैं|हम लोगो की पढाई के लिए अछे से अच्छे संभव  स्कूल  में भेजा हैं |हमेशा मोरेल अप रखती हैं |जिंदगी भर के सबक सीखाने के लिए उनके पास हमेशा कुछ कुछ होता हैं |चूक  अक्सर हमीं से होती हैं अपनी ६२ वर्षीया माँ को उतना  वक्त नही दे पाते ,माँ हमारी फ्यूचर प्लानिंग और भतीजे-भतीजियो में व्यस्त रहतीं हैं और हम भी पहले की तरह उनके साथ घंटो बाते नही कर पातें ,पर सच हैं माँ ...काश कोई बीते हुए कल को लौटा दें |
                जीवन में हमेशा किसी किसी रूप में मुझे हमेशा अच्छी महिलाओं  का साथ मिलता रहा हैं |कहते हैं ,'जो जैसा होता हैं वैसे को आकर्षित करता हैं' ...शायद मेरी अच्छी सोच ने ही अच्छी लडकियों  को जीवन में हमेशा से आकर्षित किया हैं |
               यह जो समाज की बढती जात-पात की खाई को पाटना हैं तो इंटर कास्ट मैरिजेज को बढ़ावा देना ही होंगा|मेरे होस्टल/मेडिकल कालेज  में भी जातिगत आधार पर लोग बाते करते हैं ,तथाकथित अत्यंत एजुकेटेड डॉ /इंजीनियर/वकील  अन्य वुद्धिजीवी लोग जब जाती-विरादरी पर उतर आते हैं तो समाज के विकास पर ग्रहण लग जाता हैं  ,जाती विरादरी की राजनीति करने वाले नेताओं,शिक्षको ,डाक्टरों ,वकीलों लानत हैं तुम पर ..चुल्लू भर पानी में डूब मरो .........की इतनी शिक्षा के वावजूद निरर्थक चीजो से ऊपर नही उठ सके हों |एसी ही घटना मेरे एक डॉ  दोस्त के साथ हुयी हैं ,डा साहिबा जो की एक ब्राह्मण हैं को एक लड़के से {इंजीनियर}से बचपन से प्यार था |दोनों ने कबूला भी |एक दिन डर साहिबा का फोन आया तो बड़ी घबराई थी ,"वो  {her lover}शादी कर रहा हैं ,कह रहा हैं की मैं {the girl}ऊँची कास्ट की हूँ ,मेरे घर वाले असहज महसुसू करेंगे और भागकर शादी भी नही कर सकता क्यूंकि डॉ साहिबा के पुलिस पिता का  खौफ दिल में हैं "|
                          प्यार डरता नही हैं |प्यार बड़ी बड़ी दीवारों को लांघ जाता हैं |प्यार में वो ताकत हैं ,जो प्राण-विहीन में साँसे फूक देता हैं |इस जिन्दगी की लौ को प्रेम की बाती जलाये  रखती हैं |जब आप प्रेममयी हो जाते हैं तो साड़ी कायनात जीवंत हो जाती हैं |कुछ रंग चटक दीखते हैं ,तो कुछ नये नये रंग भी दीखते हैं |हाँ जब भी प्यार करना ...पूरी सच्चाई से ,पुरे अंतर्मन से ,सिर्फ पूजा करना..... पाने की मत सोचना ....इस ब्रम्हांड का नियम हैं ,जितना प्रेम देंगे ...खुद बी खुद मल्टीप्लाईड होकर लौटेंगा ही |‎
                युवा साथियों एक कन्डीशन हैं ,जब भी प्यार में पड़ना तो ध्यान रखना वासना की परछाई टच करने पाए ,नही तो प्रेम ..फिर  शुद्धता खो देगा |शक्तिविहीन हो जायेंगा और  यदि आपस में सच्चा प्यार हैं तो  एक बार कमिटमेंट कर  लेना,तो अपनी भी मत सुनना | सुनो ....तुम खुद ही इतने प्यारे ,सच्चे और दिलदार बन जाओ ,खुद में ऐसी कशिश ले आओ ,जैसे अपने प्रेमी से चाहते हो |पहले खुद को प्रेम करो |इतना भरपूर करों की मन की सारी गांठे घुल जाए ,निश्छल ,पावन ,पवित्र हो जाओ बेटे ,प्रेम एक आराधना हैं ,विशुद्ध मन की पूजा हैं |जो खुद को प्रेम करता हैं व्ही दुसरो को प्रेम कर  सकता हैं|  
         बुजुर्ग साथियों आप क्या कर  रहे हैं?अरे यार !जो अपने जमाने में जो नही कर  पाए ,इन अपने जूनियर्स को तो करने दो ,बहुत पुन्य मिलेंगा |ये क्या जाती-पांति ,धर्म-सम्प्रदाय ,ऊँच-नींच के बंधन लेकर बैठे हों ....तोड़ डालिए  इन दकियानूसी खुटो को|.......................हमारी जिन्दंगी आपके बनाये अनुभव और ज्ञान के  हाईवेज पर दौड़ती हैं ,फिर प्रेम के रनवे पर फ्लाईट करने में आपका  बैरियर  क्यूँ लगा हैं  |क्लास में 'गुनाहों का देवता' पढ़ाते जब आप की आँखों के कोरे नम हो जाते हैं ,पार्क में घूमते घूमते कहीं आप बेंच पर बैठ जाते हैं और बरबस ही वक्त आपको अतीत में ..अधूरी रही किसी कहानी पर ले जाता हैं तो ८० वर्ष की अवस्था में भी आपका दिल २० वर्षीय युवा से ज्यादा खिल जाता हैं |आपके जमाने के सिनेमा ने पर्दे पर जीवंत सी लगने वाली ऐसी एसी आदर्श कहानियो को परोसा हैं ,जो हमारी धरोहर हैं ,हमे बहुत कुछ सिखाती हैं,आपके जितने सच्चे और अच्छे प्रेमी हम नही  हैं ,केवल आप ही हैं जिनकी मदद से कायनात में सौन्दर्य ,असीम सौन्दर्य खिल सकता हैं,आपके ज्ञान - समझ और अनुभव की जरूरत हैं|अपने खून से जिन पौधों को आपने  कुशल माली की तरह सीचा हैं प्लीज   क्या आज आप उन्हें मुरझाने देंगे  ?क्या आप पंखुरी पंखुरी फूलों को विखरने देंगे ?प्लीज हेल्प अस ....प्लीज हेल्प योर चिल्ड्रेन
लेखक -अजय यादव

6 comments:

  1. जगत के एकल सूत्र में पिरोयी आपकी कथा।

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  2. कैसे हैं अजय जी ? सच में प्यार.......... एक रूहानी अहसास , एक अहसास जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता , विशुद्ध प्रेम , ना कोई वासना , ना पाने की इच्छा , बस दिए जाने को ललियायित ह्रदय ……………अच्छा लेख …साधुवाद …… नीरज

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