19 April 2016

प्रथम त्रिमास



प्रथम माहिना-

          गर्भधारण के बाद आठ से नौ हफ्ते तक के बेबी को embryo कहते हैं |प्रथम माह के भ्रूणीय विकास में हृदय,फेफड़े और मस्तिष्क का विकास प्रारम्भ हो जाता हैं|गर्भ के लगभग 25वे दिन बाद हृदय धड़कने लगता हैं |भ्रूण एक थैली में बंद रहता हैं जिसमे वह जन्म होने तक रहता हैं |इस सैक (थैली)में भरा द्रव भ्रूण को बहरी आघातों से बचाता हैं |umbilical cord भ्रूण को माँ से जोड़ता हैं ,इसके जरिये भ्रूण को रक्त और पोषण की आपूर्ति होती हैं |इस अवस्था तक गर्भवती महिला को उसके स्तनों में कोमलता का एहसास होना शुरू हो जाता हैं कुछ मम्मियो को मार्निंग सिकनेस या उबकाई आनी शुरू हो जाती हैं |

दूसरा माह-

13 से 18 हफ्तों के बाद भ्रूण ,फीटस foetus बन जाता हैं, इसमें छोटे हांथो और अंगुलियों के साथ भुजाये विकसित हो जाती हैं पैरो से घुटने,टखने अंगूठो का प्रारम्भ होना शुरू हो जाता हैं |कुछ अंग जैसे पेट,लीवर मष्तिष्क ,रीढ़ और केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र भी विकसित होना प्रारम्भ हो जाते हैं ,पिट्स बच्चे की आँखों और कानो के रूप में विकसित हो जाते हैं|खड़े होने पर अब माँ बहुत जल्दी थक जाती हैं,उसे यूरिन के लिए जल्दी जल्दी जाना पड़ता हैं |थोडा उबकाई भी आती हैं ,इस वक्त पोषण का पर्याप्त ध्यान रखना जरुरी हैं | 

तृतीय माह-

इस माह के अंत में फीटस के लिंग के चिन्ह प्रकट होना शुरू हो जाते हैं ,चेहरे के स्पष्ट चिन्ह उभर आते हैं जैसे ठुड्डी,नाक और माथे का विकास,फीटस अब हाँथ पैर और सिर हिलाने लगता हैं |इस वक्त तक बच्चे की गति ,हलन-चलन माँ को पता नही चलता हैं ,हर बार डॉ के पास जाने पर पेशाब की जांच,रक्त चाप और वजन का रिकार्ड रखना आवश्यक होता हैं |

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