2003 के वे दिन याद आते हैं जब मेरा इंटर का इग्जाम था ,सेंटर राधा रमन गर्ल्स इंटर कालेज नैनी था ,नकल लगभग न के बराबर थी ...मैंम सिर हिलाने नही देती थी ,और हम लोग नकल का सोचते ही नही थे ...,न तो हमारे स्कूल नक़ल में विश्वास करते थे ..इमानदारी और नैतिकता के साथ ..बैच(बोर्ड वालो) का भी लिहाज था ...अब परिदृश्य बदल चुका हैं|
मेरे स्टूडेंट्स ने cpmt निकाला,IIT निकाला,उनकी बात अलग सी थी ,कई मेरे ही मेडिकल कालेज में जूनियर और सीनियर भी हैं |पर इनमे कुछ करने की ,कुछ अलग ही बर्निंग डिजायर थी |एक सेकंड डिविजनर दोस्त ने आईएएस की परीक्षा पास की तो परसेंटेज बनाम वास्तविक योग्यता पर बहस छिड़ना लाजमी था |
मेरे स्टूडेंट कुलदीप 96.4
प्रतिशत के साथ तथा सर्वेश ने 96 प्रतिशत के साथ इसी साल इंटर उत्तीर्ण
किया ,इन लोगो ने पढाई में मेहनत भी की थी ...पर कहावत हैं न ..”बहती गंगा
में हाथ धोने वाली” ..यकीन हैं की मौका पाते ही ......हाथ अजमाया ही होंगा
...|पर परिवेश के अनुसार एडोप्ट करना पड़ता हैं ,बधाई हो बच्चो |जहा टीचर
नकल न करने वालो को क्लास से बाहर बैठा देते हो..भीड़ चाल में रहना तुम्हारी
मजबूरी भी हो सकती थी |
एक ही स्कूल के टापर ...वो भी ...उस बदनाम
स्कूल के जो नकल के लिए ब्लैक लिस्टेड रहा था कभी |....फिर यू पी बोर्ड की
सफाई...”रिजल्ट पारदर्शी तरीके से घोषित किये गये हैं”|इलाहाबाद जनसंख्या
की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला हैं जहाँ पर सबसे अधिक इंटर कालेज
भी हैं ...हिंदी मीडियम यू पी बोर्ड का कालेज जहाँ बच्चे सुविधा के अनुसार
एडमिशन लेते हैं की प्रबन्धक इग्जाम के समय व्यवस्था कर पाते हैं की नही
,व्यवस्था से मेरा तात्पर्य नक़ल की व्यवस्था ,सेंटर को मन वांक्षित जगह
लेने की व्यवस्था ..से हैं ,स्कूल सेंटर बदलवाने तक को घूस देते हैं |.जो लोग ऐसा करते हैं उनके यहाँ भीड़ ही भीड़ ...|पर
क्लास में न कोई पढ़ता हैं ...न पढ़ाता हैं |स्कुल नक़ल को बेस बना लिए हैं
...जहाँ कभी बेस पढाई हुआ करती थी ...
यू पी बोर्ड्स के निकलने वाले
टोपर का कुछ खास नही होता ....पालीटेक्निक,IERT ,सबका इग्जाम देते हैं कहीं
नही हुआ ..तो फिर इलाहाबाद की बड़ी कोचिंगो में एडमिशन लेकर माँ बाप पर
अतिरिक्त बोझ बनते हैं ...बड़ी मेहनत से दो जून की रोटी जुटाने वाले
गार्जियन बच्चे का परसेंट देखकर अपना पेट काटकर उसे खर्चा देते हैं ,पर
जिसका यूनिवर्सिटी के इग्जाम में नही हुआ उसका IIT में भला कैसे हो सकता
हैं ?साईड में कोचिंग फल फूल रहे हैं ....पांडे सर तो LED लगवा लिए हैं ६००
बच्चो को एक बैच में पढ़ाते हैं .....CP शर्मा ,सुजीत सर सबकी कोचिंगे हैं
......न जाने कित्ती कोचिंगे इलाहबाद में यु पी बोर्ड के बच्चे चला रहे
हैं ....अच्छा इन कोचिंगो में सेलेक्सन जिनका दिखाया जाता हैं ...वे कभी न
कभी यहाँ पढ़े भी रहते हैं भले ही वे सेलेक्सन के समय कोटा में रहे हों ,फिर
इनकी एक पेज वाली लिस्ट में २००३ में सिलेक्टेड बच्चे से लेकर २०१६ तक के
बच्चे रहते हैं ...जनमानस संख्या देखता हैं ...साल नही ....होप देखता हैं
.......जाल में फस जाता हैं ...
इसका क्या हल हो सकता हैं ?
प्राइवेट स्कूल किस दिशा में बच्चो को धकेल रहे हैं?
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