19 May 2016

सबकी सुनिए ,मन की करिए |

                   मेरा दोस्त मानसिक रोगी हो चला था ,एक बेहतरीन इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक किया था ,नेशनल लेवल के उस कालेज का तीसरा टोपर था ,कम्पनियां आई लोग नौकरिया पाते गये ...वो नहीं पाया |इसी से डिप्रेस था....| नींद लाने वाली दवा खाए बिना उसे नींद तक नही आती थी |उसे घर वालो ने कुछ दिन घूमने के लिए बाहर भेज दिया ,वह लौटा,
नयी उर्जा से ,नयी शक्ति खुद को बदला और विगत वर्ष PCS का टापर बना |
                       PCS में जाना उसका ड्रीम था,हमेशा अफसर बनने की बाते करता था ,इसीलिए वह अपने इंजीनियरिंग कैरियर के साथ न्याय नही कर पा रहा था |अगर उसको नौकरी मिल गयी होती तो,जिंदगी भर वह ऐसा काम कैसे करता ?जो उसको उतना पसंद नही था ...कुछ दिन पहले कोटा से खबर आई IIT में 140 नम्बर पाने वाली एक लड़की ने सुसाईड कर ली थी ,क्यूंकि वह इंजीनियरिंग नही पढना चाहती थी किन्तु उसने अपने माँ के दबाव के कारण चुना था ,सुसाईड नोट में उसने लिखा की अपनी माँ से नफरत करती हैं साथ ही माँ को हिदायत भी दी हैं की उसकी छोटी बहन पर यह सब न थोपे ....कोटा में ऐसे सैकड़ो केस होते रहते हैं ,अभिभावक अपने सपनो को न जाने कब बच्चो पर लाद देते हैं ....वो नही कर पाए तो उनके बच्चे ये बनेंगे ,वे बनेंगे ....ध्यान रखिये बच्चे आपके माध्यम से आये जरूर हैं ,पर उनकी रूचि अलग हो सकती हैं ,उनको करने दीजिये जो करना चाहे कैरियर से जुड़ा ....आप बस सही गलत और उससे जुड़े लोगो की नीयत देखिये |वे यूनिक हैं ,उनके फिंगरप्रिंट आपसे नही मिलते ,उनकी परवरिश आपसे अलग हैं ,उनकी कैरियर सम्बन्धी चुनौतिया आपसे अलग हैं ,फिर आप उनसे ,उन सपनो को पूरा करने की आस क्यूँ लगा बैठे हैं जो आप कभी नही कर सके |
                  जो होता हैं अच्छे के लिए होता हैं , जो नही होता वो और अच्छे के लिए होता हैं |अगर मेरे दोस्त को नौकरी मिल जाती तो वह रोज टिफिन उठाता ,आफिस जाता ...फिर बॉस की डांट खाता घर आता...वही सबकुछ ,,,पर वो देश के विकास में जो सक्रीय भूमिका निभाना चाहता था उससे वंचित रह जाता ...साथ ही अपना सपना भी पूरा नही कर पता ....PCS की परिस्थितिया ,प्लेसमेंट से पायी नौकरी की तुलना में तो काफी बेहतर तो हैं ही ,साथ ही उसका बड़ा अफसर बनने का सपना भी पूरा हुआ |

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