18 April 2020

चिकित्सको की कमी पूरी करेंगी :टेलीमेडिसिन तकनीक

दूर बैठे किसी स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर द्वारा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किसी मरीज की बीमारियों या चोट पर परामर्श प्रदान करना टेलीमेडिसिन कहलाता है |
स्वास्थ्य एवं परिवार मंत्रालय ने 25 मार्च 2020 को नयी गाइडलाइन जारी की है जिसके अनुसार केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर ही टेलीमेडिसिन से परामर्श दे पाएंगे |

उपयोगिता:-

  1.  सुदूर स्वास्थ्य सुविधा वंचित भागों तक पहुंच|
  2.  मरीज के  परिवहन में समय और लागत की बचत|
  3.  गंभीर देखभाल वाला मरीज ,जिसे स्थानांतरित करना मुश्किल होगी ,की निगरानी |
  4. चिकित्सा शिक्षा  नैदानिक के अनुसंधान में मदद
  5.  आपदा में भी चिकित्सा सुविधाएं अनवरत|
  6.  रोबोट्स द्वारा उच्च दक्षता की स्वास्थ्य  टेलीमेटेड सर्जरी
  7.  महामारी की आशंका में रियल टाइम निगरानी
 चुनौतियां 
  1.  विकसितक्षेत्रों में कमजोर इंटरनेट, वीडियो कांफ्रेंसिंग में बाधा पहुंचाता है
  2.  कुछ बीमारियों  का निदान मुश्किल जैसे नाक कान गला आदि
  3.  यदि सरकारी नीतियों  के अनुसार केवल रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर इलाज कराएं करेंगे गूगल फेसबुक मेसेंजर द्वारा कैसे पता चलेगा कि कौन परामर्श दे रहा है 
सरकारी प्रयास
1) संजीवनी-
  •  वर्ष 2005 में केंद्र सरकार ने जारी किया संजीवनी सॉफ्टवेयर  टेलीमेडिसिन हेतु |
  • स्टोर एवं फॉरवर्ड कांसेप्ट
2) सेहत -
  • वर्ष 2015 में केंद्र सरकार द्वारा अपोलो अस्पताल के साथ मिलकर
  •  60000 कॉमन सर्विस सेंटर
3)   कान टिक-
  •  कोविड-19 नेशनल टेलीकंसल्टेशन सेंटर का संक्षिप्त नाम|
  • 2020 से शुरू
  •  एम्स दिल्ली द्वारा जारी

 अतः हम कर सकते हैं टेलीमेडिसिन  प्रायोगिक की प्रौद्योगिकी के द्वारा मानवता का संरक्षण है |यह  टेक्नोलॉजी जिन ऊंचाइयों की हकदार है ,अभी नहीं प्राप्त कर पाई है ,पर अब सरकारें भी इसमें रुचि लेने लगी है आपदा प्रबंधन में जैसे वर्तमान में कोरोना  प्रसार के दौरान टेलीमेडिसिन का महत्व दुनिया को समझ में आ रहा है|

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