सामाजिक नेटवर्किंग सेवा एक ऑनलाइन जरिया हैं जिससे लोगों के बीच सामाजिक नेटवर्किंग अथवा सामाजिक संबंधों को स्थापित किया जा सकता हैं |उदाहरण के लिए ऐसे
व्यक्ति जिनकी रुचियां अथवा गतिविधियां समान होती हैं। यह एक अपरंपरागत मीडिया (nontraditional
media) है|
अभी जल्द ही BPRD; Bureau of police research and
development ने कानून प्रवर्तन
एजेंसियों के लिए स्टेप टू स्टेप गाइड प्रकाशित किए Jiska
uddeshy फेक news (येलो जर्नलिज़्म) aur video ko पहचानना Jo घृणा aur
communal hinsa ko failate Hain॥जिसका परिणाम दिल्ली
दंगों के रूप में देखा जा सकता है |हाल
में हुई पालघर मे साधुओ की हत्या की घटना इसका उदाहरण है,
कुछ दिनों से फेक न्यूज़ चल रही है कि देश के गृहमंत्री गंभीर रूप से बीमार है
जबकि वह स्वस्थ है |आर्थिक राजनीतिक लाभ लेने पहुँच को बढ़ाने के लिए अक्सर कुछलोग सनसनीखेज खबर फैलाते हैं ।
कई देशों ने सोशल मीडिया पर निगरानी के लिए बेहतर नियंत्रण तंत्र विकसित किया
है यदि कोई सोशल मीडिया या अन्य साधनों के जरिए झूठी खबर फैलाता है तो उसे तुरंत
पकड़ लिया जाता है|
इस मामले में वहां का समाज भी अधिक जागरूक है वहां का समाज फर्जी खबर फैलाने
वाले लोगों का बहिष्कार कर देता है और कुछ नजर से देखता जाता है लेकिन भारत में इस
प्रकार की जागरूकता नहीं है, सोशल मीडिया के नियमन की मांग नहीं huyi है ,जब-जब इसका दुरुपयोग हुआ है तभी इसकी मांग हुई है|
व्हाट्सएप और फेसबुक द्वारा फेक न्यूज़ के खिलाफ दिए जा रहे विज्ञापन इसी
सतर्कता ka hissa हैं। साइबर विशेषज्ञ आगाह करते हैं कि अपनी पोस्ट या अकाउंट पर आप जो कुछ शेयर
करते हैं उसके लिए आप ही जिम्मेदार है
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय दिन में तीन बातो को ध्यान में रखाना चाहिए
1) किसी भी खबर को सोशल मीडिया पर शेयर करने से पहले उसके
स्रोत की पड़ताल जरूर कीजिए।
2) किसी भी समाचार इतिहास से जुड़ी जानकारी और गंभीर मसले से
संबंधित सूचना को आगे बढ़ाते समय अन्य कई सारे प्रमाणित स्रोतों से भी मिला लेना
चाहिए कोशिश
3)कीजिए कि किसी मुद्दे पर हर तरफ को विचारों को जानने की।
जांच के लिए वेबसाइटो को एसेस किया जा सकता है जैसे हिंदू डॉट कॉम ,पीआईबी gov.in, रिपोर्टर लैब डॉट कॉम और भी अन्य कई शामिल है।
सरकार द्वारा जारी मैनुअल में संप्रदायिक कोन की पहचान के लिए गाइडलाइन में एक
फेक वीडियो का स्क्रीनशॉट लगाया है जिसमें मुसलमानों पर साफ प्लेटो और चमचों से
बड़े पैमाने पर लोगों को वायरस स्थानांतरित करने का आरोप लगाया गया है।
एक क्लिप को भी लगाया गया है जहां उपद्रवियों ने नकली यूआरएल यूनिफॉर्म
रिसोर्स लोकेटर के जरिए उन लोगों को गुमराह करने की कोशिश किया जो पीएम केयर फंड
में दान देना चाहते थे Google reverse image search ka istemal करके videos ke liye police aur Anya agency जांच kar sakte हैं।
भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत बताते हैं की बाहरी ताकतों का चुनाव में
हस्तक्षेप चिंताजनक है इसके लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया गया है यह किसी देश
को खत्म करने का एक नया तरीका है।
दुश्मन राष्ट्र सोचते हैं कि वर्तमान समय में लड़ाई करने का कोई मतलब नहीं है
।
उससे कहीं बेहतर है वहां असक्षम सरकार खड़ी कर दी जाए जिससे वह देश स्वयं खत्म
हो जाएगा ।
सोशल मीडिया के जरिए मतदाता को प्रभावित किया जाता है ताकि वह किसी व्यक्ति
विशेष के पक्ष में मतदान करें ,यह काम विदेशी शक्तियां करती हैं जो सोशल मीडिया के माध्यम से देश और समाज को
जाति धर्म संप्रदाय आदि के आधार पर बांटने की साजिश करती हैं।
जिससे आवाम एक असक्षम सरकार को चुनाव कर लेती है इसके बारे में ना तो जनता को
जानकारी होती है नहीं राजनीतिज्ञों को उन्हें अंदाजा होता है कि यह कितना बड़ा
खतरा है। भारत के चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया के इस्तेमाल और नियमन के लिए अक्टूबर 2013 में दिशा निर्देश जारी किए थे इन नियमों के
अनुसार सोशल मीडिया को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कानूनी परिभाषा के दायरे में लाया
गया.
इन नियमों के बाद चुनाव के आखिरी 48 घंटों में पार्टियां प्रत्याशियों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से चुनाव
प्रचार नहीं किया जा सकता|
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