17 April 2020

कोरोना प्रसार एव बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव

पूरे विश्व में अपना भू राजनीतिक एवं व्यापारिक प्रभुत्व कायम करने के उद्देश्य 2013 ईस्वी में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने “वन बेल्ट वन रोड परियोजना” शुरू की जिसे 2016  से “बेल्ट एंड  रोड इनीशिएटिव" के नाम से जाना जाता है| यह एशिया, यूरोप तथा अफ्रीका के बीच भूमि एवं समुद्री क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए चीन द्वारा संचालित परियोजनाओं का एक समूह है इसके अन्य नाम सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट  एव 21वीं सदी की   सामुद्रिक सिल्करोड है|

 बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव परियोजना से जुड़े देशों में कनेक्टिविटी  व लॉजिस्टिक्स की सुविधा बेहतर हुई, फलस्वरुप परियोजना के क्रियान्वयन से संबंधित कर्मचारियों के आवागमन से इटली ,पोलैंड, ग्रीस, ऑस्ट्रिया, पुर्तगाल लक्जमबर्ग और स्विट्जरलैंड में भी  कोरोना वायरस का प्रसार द्रुतगति से हुआ |अमेरिका द्वारा आरोपित आर्थिक प्रतिबंधों से तंग ईरान ने भी 2019 में BRI परियोजना पर हस्ताक्षर किए ,ईरानी स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के कर्मचारियों यहां चीन से लौटने वाले व्यापारियों से कोरोना  ईरान में फैला| चीन के वुहान सीफूड मार्केट से दुर्लभ में पशु पक्षियों का मांस BRI परियोजना से जुड़े देशों में निर्यात हुआ जिससे अन्य देश बड़े स्तर पर प्रभावित हुए| भारत भले ही इस परियोजना का हिस्सा नहीं है पर प्रथम तीन कोरोना संक्रमित वुहान  से ही आए थे|
 कोरोना वायरस का प्रसार चीन की निर्माण और निवेश परियोजनाओं में देरी और व्यवधान उत्पन्न करने के साथ-साथ वर्षों के परिश्रम एवं  अरबो डालर की क्षति पहुंचा रहा है |यद्यपि विश्व की अन्य परियोजनाएं भी (CPEC,इंडोनेशिया में हाई स्पीड रेल योजना, श्रीलंका में बंदरगाह निर्माण योजना)  भी बाधित है |विभिन्न देश जो BRI पर प्रतिबंध की मांग कर रहे हैं उनकी वजह से चीन आर्थिक रूप से तनाव में है जिन देशों को उसने ऋण जाल में फंसाया है उसने उनसे वह वसूली कर सकता है|
 यद्यपि भारत प्रत्यक्ष रूप से BRI परियोजना का हिस्सा नहीं है पर इस परियोजना के प्रतिबंध से भारत की सामरिक चिंताएं कम होंगी एवं भारत को घेरने की चीन की नीति को धक्का पहुंचेगा किंतु चिंता इस बात की भी है किस चीन द्वारा ऋण प्राप्त भारत के पड़ोसी (श्रीलंका ,पाकिस्तान ,बांग्लादेश ,नेपाल) ऋण चुकाने में विफल रहे तो चीन इन देशों को अपना उपनिवेश बना सकता है जो भारत के सामरिक एवं रणनीतिक हितों को चुनौती देगा|

 अतः संकट की इस घड़ी में विश्व की समस्त महा शक्तियों को मिलकर साधनों का अधिकतम प्रयास करके महामारी की हरसंभव रोकथाम करनी चाहिए| इनको अपने रिसर्च डब्ल्यूएचओ एवं अन्य देशों के साथ सहयोग करके वायरस के प्रसार रोकने का सामूहिक उपाय करना चाहिए|
-डॉ अजय यादव

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