15 April 2020

संस्कृति एव सभ्यता (culture and civilization) || art &culture ||GS PAPER 1|| UPSC and UPPCS Mains




संस्कृति

संस्कृति मानव की बौद्धिक उपलब्धियों (नृत्य संगीत कला धर्म दर्शन अध्यात्म विज्ञान साहित्य परंपरा विश्वास मानवीय मूल्य रहन-सहन जीवन शैली आदि) का प्रकटीकरण है|

    विशेषताएं

1)संस्कृति एक  सामाजिक संकल्पना है इसका निर्माण मनुष्यों के सामूहिक योगदान से होता है |
2)भिन्न भिन्न संस्कृतियों में अपने परिवेश एवं सामाजिक नियमों को लेकर भिन्नता होती हैं जैसे यूरोप में मेघों का गर्जन बिजली की कड़क को अशुभ माना जाता है जबकि भारत में इसे कल्याण एवं सौभाग का सूचक माना जाता है |
3)संस्कृतिया तृप्ति दायक( सुख देने वाली होती है )सांस्कृतिक व्यवहार के पालन से मानव को आनंद की प्राप्ति होती है |
4)संस्कृतियों में मूल्य निहित होता है इसमें सही एवं गलत की पहचान की जाती है तथा सही के चयन की वकालत की जाती हैं |
 5)संस्कृतियां अनुवांशिक नहीं होती बल्कि से बाहर से सीखा जाता है यह हस्तांतरित भी होती हैं जिन का आदान-प्रदान भी होता रहता है |
6)संस्कृतिया  व्यक्ति समूह समाज एवं राष्ट्र के पहचान का निर्धारण करती hain ..

संस्कृति  का निर्माण एवं विकास:- 

एक सतत प्रक्रिया है इसका निर्माण व्यक्ति समूह समाज तथा राष्ट्रपति सांगठनिक स्तर पर होता है


संस्कृतियों के अध्ययन का महत्व-

संस्कृतियों का अध्ययन व्यक्ति समूह समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है|
व्यक्ति की दृष्टि से महत्व- किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण खानपान व्यवहार वेशभूषा सोच आदतें ,उसके सांस्कृतिक परिवेश द्वारा तय की जाती है संस्कृतिया व्यक्ति का नियमन एवं समाजिक करण का कार्य करती हैं | व्यक्तियों को समग्रता में जानने के लिए संस्कृति का अध्ययन अपरिहार्य होता है|
सामाजिक दृष्टि से महत्व :संस्कृति का निर्माण मुख्यतः  सामाजिक प्रयासों की देन है संस्कृत इन समाजों को जोड़ने का कार्य करती हैं और उसी को ध्यान में रखते हुए अनेक तीज, त्योहार, मेलों एवं उत्सव का विकास हुआ है| प्रत्येक समाज अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप संस्कृति के अनेक तत्वों जैसे कला, धर्म, दर्शन, विज्ञान आचार व्यवहार, परंपरा आदि का निर्माण करता है अतः समाज को समझने के लिए भी संस्कृत को समझना महत्वपूर्ण है|
राष्ट्रीय दृष्टि से महत्व :संस्कृतिया राष्ट्रीय पहचान का निर्धारण करती हैं क्योंकि इसका निर्माण राष्ट्र के तहत आने वाले निवासियों के सामूहिक योगदान से हुआ होता है| संस्कृतिया विभिन्न राष्ट्रों को जोड़ने का भी कार्य करती  हैं भारत सहित विश्व में अनेकों ऐसे देश हैं जिनकी संस्कृति का विस्तार राष्ट्रीय सीमा के बाहर तक है अतः राष्ट्रीय दृष्टि से भी इसका महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है|

संस्कृति एवं सभ्यता(कल्चर एंड सिविलाइजेशन)

संस्कृति एवं सभ्यता एक दूसरे से संबंधित अवधारणाएं हैं -इन दोनों शब्दों के अर्थ एवं व्यवहार को लेकर विद्वानों के बीच आम राय नहीं है, अनेक विद्वान दोनों में अंतर पर बल देते हैं वहीं कुछ विद्वान दोनों शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची के रूप में करते हैं तथा एक दूसरे का पूरक मानते हैं|

संस्कृति मानव के द्वारा विभिन्न विधियों द्वारा अर्जित एक मानवीय पूंजी  है| जिसके तहत धर्म, दर्शन, चिंतन, विचार, कला ,विज्ञान, भाषा,  साहित्य, आचार, व्यवहार, रीति रिवाज जीवनशैली आदि आते हैं |संस्कृतियों के मूल में मूल्य एवं आदर्श निहित होते हैं| संस्कृतियों का निर्माण सतत रूप से होता रहता है |

सभ्यता संस्कृति के मानकीकरण की एक अवस्था है |सांस्कृतिक यात्रा मे  मानव द्वारा जब एक उन्नत तकनीकी स्तर तथा उच्च आर्थिक समृद्धि को प्राप्त कर लिया जाता है तो उसे सभ्यता कहा जाता है ,सभ्यता के अवस्था में विचलन (डेविएशन )हो सकता है यही कारण है सभ्यताओं का पतन हो सकता है संस्कृतियों का नहीं जैसे हड़प्पा एवं मेसोपोटामिया की सभ्यता आदि |
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मूल्यांकन-

  1. संस्कृति एवं सभ्यता में तार्किक दृष्टि से विशेष अंतर नहीं हैं दोनों एक दूसरे के पूरक हैं एक दूसरे से अलग-थलग या महत्वहीन नही हैं |
  2. सांस्कृतिक यात्रा के दौरान मानव हमेशा बेहतर तकनीकी स्तर उच्च भौतिक संस्कृति को प्राप्त करने का उद्देश्य रखता है |
  3. सभ्यता के दौरान भौतिक एवं तकनीकी उपलब्धि के बाद भी मानव अपने सांस्कृतिक मूल्य को भी बनाए रखता है |
  4. सांस्कृतिक यात्रा के दौरान यदि सभ्यता को प्राप्त करने का दृष्टिकोण ना हो तो मानव को ऊर्जा एवं प्रेरणा नहीं मिलेगी |
  5. सभ्यता का स्तर प्राप्त करने के बाद यदि उसने सांस्कृतिक मूल्यों को छोड़ दिया तो सभ्यता का पतन हो सकता है
  6. स्पष्टता है दोनों एक दूसरे के पूरक हैं एक दूसरे के बिना अर्थहीन है|
                                                              Dr.Ajay Yadav



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