पुनर्जागरण
पुनः जागना
विश्व इतिहास को तीन भागों में बांटा जा सकता है
- प्राचीन विश्व( आरम्भ से पांचवी सदी)
- मध्यकालीन विश्व( अभी से 16 वी सदी)
- आधुनिक विश्व (16 वी सदी अब तक)
1)पश्चिमी राजधानी रोम
2) पूर्वी राजधानी कुस्तुनतुनिया (तुर्की)
- लौकिक जीवन पर बल दिया जाता था
- मानव केंद्र में था
- मानव के तर्क एवं विवेक पर बल दिया गया था
- मानव के चिंतन की स्वतंत्रता धर्म के बंधन से मुक्त
- मानव स्वतंत्र धार्मिक शोषण के विरुद्ध आवाज उठाने लगा
- मानव पुनर्जागरण
पुनर्जागरण के कारण
1) धर्म युद्ध ईसाई vs इस्लाम
परिणाम 1)
- ईसाई धर्म के पॉप ने अपने सेना को विजय होने का आशीर्वाद दिया था
- किंतु धर्म युद्ध में इस तरह की पराजय हो गई
- अतः धर्म की सत्ता के प्रति संशय पैदा हुआ
- अधर्म की पकड़ से मानव मुक्त होने लगा
- मानव के तर्क विवेक को प्रोत्साहन मिला
2) युद्ध में सामंतों का धन एवं बाल समाप्त होने लगा
- सामंतवाद का पतन
- धार्मिक गतिशीलता बढ़ने लगी
- पुनर्जागरण चेतना का विकास हुआ
3)कुस्तुनतुनिया पर इस्लाम के अनुयायियों का नियंत्रण
- अतः भूमध्य सागरी व्यापार बाधित हुआ
- अतः नए मार्ग की जिज्ञासा
- आवश्यकता बड़े भौगोलिक खोजों को प्रोत्साहन मिला
- कोलंबस /वास्कोडिगामा अपने अपने मिशन पर निकल गए
- अन्य को भी प्रेरणा मिली
- साहस एकता का विकास
2) कुस्तुनतुनिया का पतन
- कुस्तुनतुनिया पर इस्लाम का नियंत्रण
- अतः यहां मौजूद यूरोपी विद्वान कलाकार भागकर निकट के क्षेत्र में पहुंचे
- वे अपने साथ ग्रीक एवं लेकिन साहित्य भी ले गए
- इसमें प्राचीन रोमन साम्राज्य की मानवतावादी लौकिक चेतना की प्रवृत्तियां वर्णित थी
- अतः इन ग्रंथों का ज्ञान होने लगा
- और अतीत से प्रेरित होकर वर्तमान को बदलने का भाव/ प्रेरणा पैदा हुए
- अतः मानव की क्षमता और तर्क विवेक को प्रोत्साहन मिला
- इससे पुनर्जागरण चेतना का उदय हुआ|
3) प्रिंटिंग प्रेस का विकास
- धार्मिक एवं वैज्ञानिक चिंतन का प्रचार होने लगा
- अतः बाइबल का अनुवाद स्थानीय भाषा में होने लगा
- अब ज्ञान सर्व सुलभ हो गया
- अतः 'बाइबल में ऐसा लिखा है कह कर'
- लोगों को गुमराह नहीं किया जा सकता
- मानव धर्म के माध्यम से मुक्त होने लगा
- पुनर्जागरण चेतना का उदय हुआ
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